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Sangeeta Kalbhor

#Sands एकाग्र होकर प्रयास करो सफलता कदम चुमेगी कबतक रहेगी मंजिल दूर खुद होकर मिलने आयेगी रहना ना मगर गाफिल तुम पल पल की खबर लेते रहना स्वयं #शायरी

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#दुनिया मैंने देकर खुदको*दीन पे दावत,इस दिल से निकाली दुनियां....*धर्म. मैंने इस मानिंद दुनियां के मुंह पे,बड़ी ज़ोर से मारी दुनियां..... #Live #Trending #writersofindia #nojotohindi #NojotoFilms #shamawritesBebaak

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#landscape के हिज्र ए जहन में बिखरी है तेरी यादें इस कदर,ये शेर,ये नज़्म,ये अशआर,ये गजल इस कदर//१ इनमे से कोई तो मेरी रू दाद को आ जाए,ये म #Trending #nojotohindi #poetsofindia #NojotoFilm #poetrycorner #shamawritesBebaak #wtitersofondia

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Azhar Azad Khan

सुसि ग़ाफ़िल

" बहुत शिकायतें लेकर बैठ गई है जिंदगी जिंदगी है कि हमें बता रही है कि तुम जहां चले हो वहां काबिल नहीं हो मैं चला था मैं रुका था मुझे सब याद

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" बहुत शिकायतें लेकर बैठ गई है जिंदगी
जिंदगी है कि हमें बता रही है कि तुम जहां चले हो वहां काबिल नहीं हो

मैं चला था मैं रुका था मुझे सब याद है
आखिर में बीमार था लगता है कोई फरियाद है " " बहुत शिकायतें लेकर बैठ गई है जिंदगी
जिंदगी है कि हमें बता रही है कि तुम जहां चले हो वहां काबिल नहीं हो

मैं चला था मैं रुका था मुझे सब याद

सुसि ग़ाफ़िल

हाल जो हमारा नहीं पूछा हाल अब और भी अच्छा ही हुआ रहने को तो रहते हैं हम भी ताक में कि पूछो हमसे भी तबीयत तुम मगर तुम अपने हाल से ना निकल

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हाल जो हमारा नहीं पूछा 
हाल अब और भी अच्छा ही हुआ... 
 हाल जो हमारा नहीं पूछा 
हाल अब और भी अच्छा ही हुआ

रहने को तो रहते हैं हम भी ताक में
कि पूछो हमसे भी तबीयत तुम

मगर तुम अपने हाल से ना निकल

सुसि ग़ाफ़िल

कविताओं में नहीं समा पाई कोई भी कवि एक शहीद की अस्थियां सुख याद सब गाफिल हुए कविता बंजर हुई

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कविताओं में
नहीं समा पाया
कोई भी कवि
एक शहीद की अस्थियां

सुख याद सब गाफिल हुए

कविता बंजर हुई 
नहीं उगा पाई 
दोबारा एक सैनिक को | कविताओं में
नहीं समा पाई 
कोई भी कवि
एक शहीद की अस्थियां

सुख याद सब गाफिल हुए

कविता बंजर हुई

सुसि ग़ाफ़िल

एक बार एक घड़ी सजना तुम काम करना देख कर मेरा चेहरा खुदा को सलाम करना | मांगा है तुम को हर दुआ की चुप्पी में गर कभी मैं चुप रहा हूं त

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एक बार एक घड़ी सजना तुम काम करना
देख कर मेरा चेहरा खुदा को सलाम करना |

मांगा  है  तुम  को  हर  दुआ  की  चुप्पी में
गर कभी मैं चुप रहा हूं तो मेरा मान करना  |

काली - काली रातों में दबे हुए जज्बातों में
ना हो सके कभी गुफ्तगू तो गुणगान करना |

गर हम मिले कभी श्रीगंगा घाट के किनारे
नजरें मत झुकाना तुम यह एहसान करना  |

बंजर पड़ी छाती का जब तुम सजदा करोगे
चलाना पोरें फूलों की नींव तैयार नाम करना |

चूमना  तुम  भी  मेरा  माथा  बारीकी  से
और मन में सिमरन - ए - भगवान  करना  |

सुशील की आंखें नशीली और तासीर गाफिल
तेरे  आंचली  इत्र से गफलत को हराम करना |

अगर उठें कभी किसी बिस्तर से सोकर हम
उन बिस्तरों को आयतों का अता नाम करना |

मेरी रूह में नहीं है खींचातानी के फरमान
तेरे हिस्से का थोड़ा सा अमृत मेरे नाम करना | एक बार एक घड़ी सजना तुम काम करना
देख कर मेरा चेहरा खुदा को सलाम करना |

मांगा  है  तुम  को  हर  दुआ  की  चुप्पी में
गर कभी मैं चुप रहा हूं त

सुसि ग़ाफ़िल

मैं लंबे अरसे से गाफिल रहा हूं तुम भूलना मत मुझे कुरेदना जगाना उठाना जख्मों की गहरी नींद से

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मैं लंबे अरसे से 
गाफिल  रहा हूं

तुम भूलना मत 
मुझे कुरेदना 
जगाना उठाना 
जख्मों की 
गहरी  नींद  से

मैं भी चाहता हूं 
गफलत की 
दुनिया से उठकर
तेरा माथा चूमना

यह सब तेरे होने 
से ही मुमकिन है | मैं लंबे अरसे से 
गाफिल  रहा हूं

तुम भूलना मत 
मुझे कुरेदना 
जगाना उठाना 
जख्मों की 
गहरी  नींद  से

सुसि ग़ाफ़िल

एक सहमा-सा माहौल बन जाता है शाम आते आते | मुझे अंदर ही अंदर डर लगने लगता है शाम आते आते |

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एक सहमा-सा 
माहौल बन जाता है 
शाम आते आते |

मुझे अंदर ही अंदर 
डर लगने लगता है 
शाम आते आते |

मैं बेवकूफ हूं इतना 
मुझे दर्द होता है फिर 
भी गाफिल हो जाता हूं 
शाम आते आते |

दिन भर रहता हूं दुनिया में 
मुझे मालूम पड़ जाता है 
कुछ नहीं है मेरे पास 
शाम आते आते |

" सुशील " वो फूल 
बन जाता है प्रसाद का 
जो सुबह चढ़ाया था मंदिर में 
फेंक दिया जाता है बाहर 
शाम आते आते |

संकुचित हो जाता हूं 
ये महसूस करके जो 
चाहा है वो मुझे मिलेगा 
देर रात आते आते | एक सहमा-सा 
माहौल बन जाता है 
शाम आते आते |

मुझे अंदर ही अंदर 
डर लगने लगता है 
शाम आते आते |
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