Find the Latest Status about हाडांचा अभ्यास करणारे शास्त्र from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, हाडांचा अभ्यास करणारे शास्त्र.
Anil Ray
किसी भी राष्ट्र की प्रगति को राष्ट्र में वर्तमान महिलाओं की प्रगति से मापन किया जाना चाहिए। ✍🏻...डॉ. भीमराव अम्बेडकर ©Anil Ray बादशाह-ए-कलम..........✍🏻🙏🏻 दुनिया की प्रत्येक विचारधारा ने लाखों-करोड़ो मानवों का रक्त बहाकर एक रक्तरंजित बाढ में स्वयं के वज़ूद को स्थापित
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} जिस घर में, जिस देश में, जिस जगह सदैव दान-पुण्य, वेद-शास्त्र, का पठन-पाठन, यजन-याजन, व्रत, जप-तप, सयम, आराधना, चिंतन-ध्यान, आदि का पालन होता रहता है, वही धर्म है, वो ही पुण्य आत्मा है। भगवान श्री कृष्ण।। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} जिस घर में, जिस देश में, जिस जगह सदैव दान-पुण्य, वेद-शास्त्र, का पठन-पाठन, यजन-याजन, व्रत, जप-तप, सयम
ARTI DEVI(Modern Mira Bai)
N S Yadav GoldMine
Men walking on dark street {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे सभी वेद व शास्त्र हमें जीवन और जीवन से आगे चलने के सूत्र का अनमोल विद्या से जीना सिखाते हैं, पर खुद से उलझकर रह जाओगे, किसी मूल जगतगुरु से ही सीखना व समझना होगा? ©N S Yadav GoldMine #Emotional {Bolo Ji Radhey Radhey} हमारे सभी वेद व शास्त्र हमें जीवन और जीवन से आगे चलने के सूत्र का अनमोल विद्या से जीना
Monika Gera jindagi. A poetess, writer, lyricist, singer,motivational speaker,Handwriting expert for three languages as to training + language teacher ( three languages).
Sangeeta Kalbhor
बाकी असणारचं आहे.. वाटतात गाडून टाकाव्यात मनातल्या भावना अगदी खोल खोल...त्या कोणाच्याही नजरेस येऊच नयेत...किंबहुना मीही कधी त्या उकरायच्या म्हंटल्या तरी त्याचे माणिकमोती बनावेत आणि यावे त्या विचारांनी आपल्या दुसऱ्या रुपात... हे असे म्हणण्या पाठीमागचे कारण असे आहे ना की काही भावना उगाचंच आपले मानसिक स्वास्थ्य खराब करतात... काही काही देणेघेणे नसताना... येते मरगळ मनाला आणि नंतर शरीराला आणि मग एकूणच जगण्याला..तेव्हा मग नको नको जीव होतो... शांत व्हायला आणि त्यातून बाहेर पडायला मनाची आणि विचारांची कोण मशागत करावी लागते काय सांगू... आणि मला तर या विचारांचा आणि भावनांचा जाम त्रास होतो...अगदी नको नकोसा करणारा.. एक ठराविक वेळ आणि काळ जाईपर्यंत हे विचारांचे गारुड नाही हटत ध्यान पटलावरुन... सारखे आपले तेचं तेचं आठवून आणि साठवून होतो त्रागा जो कधीकधी मलाही कळत नाही का आणि कशासाठी... तसं पाहिले तर या जीवसृष्टीमध्ये कोण कोणाला समजून घेते हो...अगदी जीवातला जीव जरी काढून ठेवला तरी एखाद्या दगडाला तो काय समजणार? निर्दयी त्या जीवाला मारेल ठोकर आणि म्हणेल... " बसं...की अजून काही' ' अशा वेळेस हा आपला मुर्खपणा असतो तो कळतो आपणास पण जेव्हा जीव हेका धरतो ना तेव्हा सगळ्या जाणीवा आणि विचारांना तिलांजली मिळालेली असते.. शहाण्यातला शहाणा आणि लहाणातला लहाणही या मनाच्या आणि जीवाच्या पुढे गुडघे टेकवतो.. स्वतःला अपराधी मानतो...हताश होतो... हे थोडे अधिक प्रत्येकाच्या बाबतीत झालेले असते...असावे... मग यावर उपाय काय तर मनावर लगाम घालायचा ...हासूड मारायचा आणि तरीही विचार नाहीत थांबले तर सरळ वेसन घालायची... जरा जरी इकडे तिकडे विचार किंवा भावना झाली की लगेचच इकडून दोर कसायचा...जाम...म्हणजे लागेल ओढ आणि थांबेल विचार रुपी जनावर..तिथल्या तिथे आणि राहील शांत जिथे आपल्याला हवे असेल... मला तरी असे वाटते की आपण आपले असतोच कुठे जेणेकरून आपण झोकून द्यावे एखाद्या भावनेत आपल्याला... अनेक नात्यांची गुंफण बनली की एक अख्खं आयुष्य आपल्याला मिळते...महत्प्रयासाने.. काय अधिकार असतो आपला आपल्यावर... नक्कीच नाही... जेव्हा केव्हा येतील भावनांचे ढग एकवटून तेव्हा आवश्यक असेल तर त्या ढगांना होऊ द्यावे रिक्त मनसोक्तपणे... कुठलाही आणि कोणाचाही विचार न करता जावे आपण आपल्या अंतःकरणाच्या प्रांगणात...प्यावे वारे आणि व्हावे टपोरे थेंब...सर्वांगावरुन अलगद ओघळणारे आणि तनामनाच्या संपूर्ण जाणीवांना नखशिखांत मुग्ध करणारे... व्हावा आपणच आपला सखा आणि लावावे पळवून दुःखा..... जमेल का हे मला तरी जे मी माझ्या लेखणीतून स्त्रवू दिलेय.... कदाचित...नव्हे ...नक्कीच होईल... आताच पहा ना माझी भावनांची उतरंड बरीच वरपर्यंत रचत चालली होती पण जसजसा मी उतरंडीच्या पहिल्या गाडग्याचा विचार केला आणि पाहिले आत तर खरंच काही नाही सापडले हो...तिथे केवळ रिक्त पोकळी होती जिच्यात मला हवे ते भरता येईल अशी....असेच वरच्या प्रत्येक गाडग्यात आढळले... मग मी प्रत्येक गाडग्याचा विचार केल आणि भरुन टाकले मला घडविणाऱ्या विचारांनी... आता ना कुठला विचार ना कुठली भावना... आता आहे फक्त नव्याने आपल्याशा केलेल्या भावना आणि त्यांना जगविण्यासाठी स्वतःला जगविण्याचा अट्टाहास..... बाकी असणारच आहे लेखणीत नेहमी मी माझी..... गढलेली...दडलेली आणि वेढलेली..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Hope बाकी असणारचं आहे.. वाटतात गाडून टाकाव्यात मनातल्या भावना अगदी खोल खोल...त्या कोणाच्याही नजरेस येऊच नयेत...किंबहुना मीही कधी त्या उकरा
N S Yadav GoldMine
भगवान राम को विष्णु के सबसे महत्वपूर्ण अवतारों में से एक माना जाता है:- जानिए और रोचक कथा !! 🌱🌱{Bolo Ji Radhey Radhey} मर्यादा पुरुषोत्तम राम:- 🌌 भगवान राम या श्री रामचंद्र भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। वह हिंदू महाकाव्य रामायण के मुख्य पात्र हैं, जिन्होंने लंकापति रावण का वध किया था और उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जाना जाता है। राम हिंदू धर्म के कई देवताओं में से एक हैं और विशेष रूप से वैष्णव धर्म के लोग राम की को ही परमेश्वर मानते हैं। उनके जीवन पर आधारित धार्मिक ग्रंथ और शास्त्र दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया की कई संस्कृतियों में एक प्रारंभिक घटक रहे हैं। कृष्ण के साथ, राम को विष्णु के सबसे महत्वपूर्ण अवतारों में से एक माना जाता है। श्रीराम का जन्म कथा:- 🌌 राजा दशरथ की 3 पत्नियाँ थीं, कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा। अपनी तीनों पत्नियों से संतान पाने में असफल रहने के बाद, उन्होंने पुत्रकामेष्टि यज्ञ (पुत्रों को जन्म देने के लिए किया जाने वाला अनुष्ठान) किया। इससे, अनुष्ठान के अंत में खीर का एक बर्तन प्राप्त किया गया था। कहा जाता है कि कौशल्या ने इसे एक बार लिया और राम को जन्म दिया, कैकेयी ने एक बार भरत को जन्म दिया और सुमित्रा ने इसे दो बार लिया और इसलिए उन्होंने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। इसी से अयोध्या के राजकुमारों का जन्म हुआ। भगवान राम की एक बड़ी बहन, शांता, दशरथ और कौशल्या की बेटी थी। जय श्री राम जी:- मर्यादा पुरुषोत्तम राम की पत्नी और पुत्र:- 🌌 हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष के महीने में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन भगवान राम का विवाह सीता से हुआ था। भगवान राम और उनकी पत्नी सीता के दो जुड़वां बेटे लव और कुश थे। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम की मृत्यु के बाद, यह उनके बड़े बेटे कुश थे, जिसे नया राजा बनाया गया था। श्राम के नाम का मतलब:- 🌌 कहा जाता है कि भगवान राम का नाम रघु वंश के गुरु वशिष्ठ महर्षि द्वारा दिया गया था। उनके नाम का एक महत्वपूर्ण अर्थ था, क्योंकि यह दो बीज अक्षरों से बना था - अग्नि बीज (रा) और अमृत बीज (मा)। जबकि अग्नि बीज ने उनकी आत्मा और शरीर को महत्वपूर्ण बनाने के लिए सेवा की और अमृत बीज ने उनको सारी थकान से उबार दिया। 🌌 पुराणों में लिखा है कि दुष्ट रावण को हराने के बाद, राम ने अपने राज्य अयोध्या पर 11,000 वर्षों तक पूर्ण शांति और समृद्धि का शासन किया। 🌌 कहा जाता है कि एक बच्चे के रूप में, भगवान राम ने एक बार अपने खिलौने को चंचलता से फेंक दिया और इसने मन्थरा की पीठ पर चोट की। मंथरा ने कैकेयी के माध्यम से अपना बदला लिया और भगवान राम को 14 साल के वनवास पर भेज दिया। मृत्यु के समय हनुमान को भेज दिया था नागलोक:- 🌌 कहा जाता है कि श्रीराम ने मृत्यु के वक्त हनुमान को अलग करने के लिए अपनी अंगूठी को फर्श में आई दरार में डाल दिया था और हनुमान जी से उसे लाने के लिए कहा था। जब हनुमान नीचे गए तो वह नागों की भूमि में पहुंच गए और राजा वासुकी से राम की अंगूठी मांगी। राजा ने उन्हें एक अंगूठियों के विशाल पहाड़ को दिखाते हुए कहा कि वह अंगूठी ढूंढ लें। जब बजरंगबली ने पहली अंगूठी उठाई वह भी श्री राम की थी और बाकी सभी श्रीराम की ही थी। तब राजा वासुकी ने उन्हें समझाया कि जो भी पृथ्वीलोक पर आता है उसे एक दिन सबकुछ छोड़कर जाना ही पड़ता है। भगवान विष्णु के 1000 नामों में से 394वां नाम है:- राम. 🌌 भगवान राम का जन्म इक्ष्वाकु वंश में हुआ था, जिसकी स्थापना भगवान सूर्य के पुत्र राजा इक्ष्वाकु ने की थी। इसीलिए भगवान राम को सूर्यवंशी भी कहा जाता है। विष्णु सहस्रनाम नामक पुस्तक में भगवान विष्णु के एक हजार नामों को सूचीबद्ध किया गया है। इस सूची के अनुसार, राम भगवान विष्णु का 394 वां नाम है। 14 साल तक नहीं सोए थे लक्ष्मण:- 🌌 कहा जाता है कि राम और सीता की रक्षा के लिए, लक्ष्मण को 14 साल तक नींद नहीं आई! यही कारण है कि, वह गुदाकेश के रूप में जाने जाते हैं, जो कि नींद को हराने वाला व्यक्ति था। इसके बजाय, लक्ष्मण की पत्नी, उर्मिला जो अयोध्या में थी, 14 साल तक सोती रही, क्योंकि उन्होंने अपनी और लक्ष्मण के हिस्से की नींद को पूरा किया था। उर्मिला रामायण की कहानी में एक कम ज्ञात चरित्र थी। लंकापति रावण को मिला था श्राप:- 🌌 पौराणिक मान्यतानुसार, भगवान शिव के द्वारपाल नंदी ने रावण को एक बार भगवान शिव से मिलने से रोक दिया। रावण ने नंदी के प्रकट होने का मजाक उड़ाया और इससे नंदी नाराज हो गए। फिर उन्होंने रावण के राज्य को शाप दिया, लंका को बंदरों द्वारा नष्ट कर दिया जाएगा। यह शाप तब सच हुआ जब हनुमान ने लंका को जलाया। युद्ध जीतने के लिए रावण ने किया था यज्ञ:-🌌 कहा जाता है कि लंकापति रावण ने युद्ध जीतने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया। तब राम जी ने बाली के पुत्र अंगद की मदद मांगी और लंका में अराजकता पैदा करने की मांग की। लेकिन रावण तब भी टस से मस नहीं हुआ और यज्ञ करता रहा। फिर अंगद ने रावण की पत्नी मंदोदरी के बाल खींचने शुरु किए ताकि रावण यज्ञ से उठ जाए और यज्ञ अधूरा रह जाए। शुरुआत में रावण स्थिर रहा लेकिन जब मंदोदरी ने उससे मदद की गुहार लगाई तो उसे यज्ञ छोड़ दिया। एन एस यादव।। ©N S Yadav GoldMine #Holi भगवान राम को विष्णु के सबसे महत्वपूर्ण अवतारों में से एक माना जाता है:- जानिए और रोचक कथा !! 🌱🌱{Bolo Ji Radhey Radhey} मर्यादा पुरुषोत
Srinivas
निरंतर अभ्यास से जो आकार लेती है प्रतिभा, वही तो है सफलता की सच्ची अभिव्यक्ति। ©Srinivas #pratice #Perfection निरंतर अभ्यास से जो आकार लेती है प्रतिभा, वही तो है सफलता की सच्ची अभिव्यक्ति।
RV Chittrangad Mishra
Village Life मात्र दिखावा है यहां, होना हिंदू मुसलमान | अंग्रेजी परम्परा ले रही सबके भीतर स्थान | भाषा वेष अंग्रेज का अंग्रेजी खान- पान | अंग्रेजों से आजादी का, सबमें झूठा है गुमान | अंग्रेजी की नीति पर चलता हर इंसान | वेद-शास्त्र के ज्ञान बस आते स्वार्थानुसार काम | - चित्रांगद ©RV Chittrangad Mishra #villagelife मात्र दिखावा है यहां, होना हिंदू मुसलमान | अंग्रेजी परम्परा ले रही सबके भीतर स्थान | भाषा वेष अंग्रेज का अंग्रेजी खान- पान |