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New 'आजाद और सरिता का डमकच' Quotes, Status, Photo, Video

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MD Iftekhar

कहावत कौआ और कान का

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एक बहुत ही पॉपुलर कहावत है
कौआ कान बाला क्या है ये कहावत हमें बताएं

©MD Iftekhar कहावत कौआ और कान का

BANDHETIYA OFFICIAL

#GoodMorning #गलती और पाप का घड़ा 😥

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White कोई घड़ी होती है, बुरा ही बुरा होता है,
ताउम्र चलता है जो, घड़ी का घड़ा होता है,
भरता है पाप जैसे, दर्द वो बड़ा होता है,
टूट ही जाता सपना, बवंडर खड़ा होता है,
झेलो वो पागल सनकी,
करो खूब अपने मन की,
छन छन छनती है वो,
गलती जो होती क्षण की।

©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodMorning #गलती और पाप का घड़ा 😥

Parasram Arora

फुल का उदय और अंत

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White जिस फुल को सुबह
 मैंने उगते देखा था 
उसी सांझ उसे मैंने 
मुरझा कर धरती पर 
बिखरते देखा.

और ये भी सच है 
उसी फूल को मैंने सुबह 
हँसते और महकरे हुए 
देखा था  लेकिन 
उसी साँझ उसे मैने 
धरती पर उसे 
दहाड़े मार कर  
रोते हुए भी देखा था

©Parasram Arora  फुल  का उदय और अंत

madhusudan

green-leaves मुस्तकबिल सोचा था,मैने
पसंदीदा शख्स के आगोश में रहूंगा
कब सोचा था,मैने
हिज़्र में उसके शायरी लिखूंगा

©madhusudan #GreenLeaves #मुस्तकबिल #Youtube #facebook #meta #आजाद #लव #love

Azaad Pooran Singh Rajawat

#newyearresolutions #आजाद संकल्प#

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New Year Resolutions      












आध्यात्मिक आस्था के साथ 
 हर कर्म करेंगे।
नशे से और नशा करने 
वालों से  दूरी बनाकर रखेंगे।
सात्विक शाकाहारी भोजन करेंगे 
 फास्ट फूड से जहां तक 
संभव होगा बचेंगे।

©Azaad Pooran Singh Rajawat #newyearresolutions #आजाद संकल्प#

Parasram Arora

भक्त और भगवान का रिश्ता

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Unsplash भक्त और भगवान
 का रिश्ता दिख जाता 
है कभी कभी मंदिरो मे 

अच्छा लगता 
भगवान को अगर
 उसे तुमने अपने घर 
बुला कर पूजा होता

©Parasram Arora भक्त और भगवान का रिश्ता

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#आजाद ग़ज़ल

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Unsplash आजाद ग़ज़ल 
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जाने कब तिजोरी से माल निकाल लेता है 
ये आदमी बाल की खाल निकाल लेता है 

यहाँ तो कटता नहीं लम्हा उसके बिना 
वो मजे से साल दर साल निकाल लेता है 

हैरान हूँ उससे बहस कर करके मैं वो 
मिरे हर जबाब से सवाल निकाल लेता है

ख़ामोश रहे आना तुम्हारा ये और बात है 
वो माहिर सब हाल चाल निकाल लेता है 

मिरे ताकत-ए-तसव्वुर को नज़र अंदाज न कर ये 
तिरे भीतर के भी ख़याल निकाल लेता है 

मैं मजबूर हूँ उसे सुनकर हँस देने को वो 
बात बात पे जुमले कमाल निकाल लेता है

वो सौदागिरी में बड़ा कमजोर नज़र आया मैं 
दाल मांगता हूँ वो गुलाल निकाल लेता है

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल

Parasram Arora

सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ

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Unsplash सभ्यता क़ी छीद्रित  टोकरी
को उलट कर 
अब न जाने उसमे क्या कुछ संग्रहित करने क़ी चेष्टा क़ी जा रहीं है
 
सस्कृति का धुँवा अब विषैला हो चुका और समपूर्ण राष्ट्र के वातायन को कालीख पोत कर  स्याह करने  क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है

इसके बावजूद हमारे राजनेताओं द्वारा ऐसी सभ्यता और संस्कृति को बरकरार रखने क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है

©Parasram Arora सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#आजाद ग़ज़ल

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कहीं नज़र में आये तो अच्छा घर खानदान बताना 
बेटी की ज़िंदगी का सवाल है नेक इंसान बताना 

वज़ह सबूत ही सही कुछ ज़ख्म छुपा रख्खे हैं 
वो क़ातिल लौट आये तो मेरे निशान बताना 

कब तक घुमड़ते उमड़ते ही रहोगे तुम 
बादलों बरस के अपनी पहचान बताना..

मैं कह दूंगा तुम्हें तुम्हारी ख़ुशी के लिए जमीं 
तुम भी मुझे शौहरतों का आसमान बताना 

यूँ तो शहर के नामी रईसों में शुमार है वो 
पर कहता है मेरा तारुफ़ केवल किसान बताना 

तू किस प्रान्त से है मुझे फर्क नहीं पड़ता मगर 
कोई गैर पूछे तो पता हिन्दोस्तान बताना

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#आजाद ग़ज़ल

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White फलक पे माँ बाप का दर्जा रखा है मैंने 
बाकी कहाँ किसी का कर्जा रखा है मैने 

जुबाँ का इस्तेमाल ही कम करना है मुझे 
तुम कहते रहो मुँह में जर्दा रखा है मैंने 

कहीं सच जुबाँ पे आया तो बिखर जायेंगे 
रिश्तों की खातिर थोड़ा पर्दा रखा है मैंने 

कोई क़ीमत नहीं ली उसे खुश रखने की 
ऊपर से बोझ उसके सर का रखा है मैने 

उजालों ने साथ छोड़ा तो क्या करते फिर 
अंधेरों से याराना उम्र भर का रखा है मैंने 

न फ़िदा हूँ उनके हुस्न-ओ-अदाओं पे तो 
बेवज़ह मुलाकातों पर पहरा रखा है मैंने 

उनसे भी तो उम्मीद ही कहाँ रखी जिनसे
रिश्ता मोहब्बत का गहरा रखा है मैंने

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल
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