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New 'mahabharat तक' Quotes, Status, Photo, Video

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Kulvant Kumar

#sad_ll जब तक लोग मुझ तक पहुंचेंगे, हम आगे जा चुके होगे ll 🇦 🇱 🇴 🇳 🇪 🇧 🇴 🇾

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White ll जब तक लोग मुझ तक पहुंचेंगे, हम आगे जा चुके होगे ll 
🇦 🇱 🇴 🇳 🇪 🇧 🇴 🇾

©Kulvant Kumar #sad_ll जब तक लोग मुझ तक पहुंचेंगे, हम आगे जा चुके होगे ll 🇦 🇱 🇴 🇳 🇪 🇧 🇴 🇾

Praveen Jain "पल्लव"

#good_night बजट तक नही होता इंतजार

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White पल्लव की डायरी
मनसूबे किया है
जंगल जहाँ को बना देंगे
सभ्यसमाज की हिला दी शिला
खोदकर बुल्डोजरो से सब कुछ
इंसानियत की मिशाल बुझा देगे
धर्म की आड़ में लूटकर
भिखारी जनता को बना देंगे
बजट तक नही होता इंतजार
हर महीने दाम बढ़ा देगे
सरकार हो गयी बनिया की दुकान
नफा नुकसान की भरपाई में
कोई भी फार्मूला लगा देंगे
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #good_night बजट तक नही होता इंतजार

Sunita Pathania

NOTHING

neelu

#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...

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White Yesterday I saw a few episodes 
of the Mahabharat series 
and today all I can say is
विजय भव .....कल्याण हो..
Thank God...

©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes 
of the #Mahabharat series 
and today all I can say is
विजय भव .....कल्याण हो..
Thank God...

Divuu.writes

#love_shayari फर्क तक नहीं पड़ता

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White हम जो जिए जा रहे हैं
किसी को याद कर कर के
उन्हें फर्क तक नहीं पड़ता
हम जिन्दा भी हैं या मर गए

©Divuu.writes #love_shayari फर्क तक नहीं पड़ता

Himanshu Prajapati

#Lifelight लगाव तब तक अच्छा है, जब तक घाव ना‌ दे..! #36gyan #hpstrange

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लगाव तब तक अच्छा है,
जब तक घाव ना‌ दे..!

©Himanshu Prajapati #Lifelight लगाव तब तक अच्छा है,
जब तक घाव ना‌ दे..!
#36gyan #hpstrange

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun

Shiv Narayan Saxena

जब-तक जीओ, मस्त जीओ

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unique writer

लक्ष्य तक पहुंचने की ठान ली है तो

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