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Deepa Didi Prajapati
जहां बड़े से बड़े केस सत्यवादी राजाओं के राज्यों में, चंद समय में सुलझते थे, वहीं अनर्थकारी कलयुग में छोटे छोटे मुकदमे, दुष्ट कानूनी दरिंदों के हत्थे चढ़ उलझते चले जाते हैं।अपना केस मुजरिम स्वयं आसानी से सुलझा सकता है, लेकिन पुलिस, वकील,जज उसे कमाई का साधन बनाये रखने हेतु उलझाते हैं ©Deepa Didi Prajapati #मुजरिम _कानून
꧁ARSHU꧂ارشد
मोहब्बत जुर्म दिल मुजरिम और दर्द गवाही ... साबित न हुई बेगुनाही अता की गई रिहाई ... ©꧁ARSHU꧂ارشد मोहब्बत जुर्म दिल मुजरिम और दर्द गवाही .. साबित न हुई बेगुनाही अता की गई रिहाई ... NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) Sethi Ji Anshu writer sana n
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White शिर्क किया न कभी रब्बे जुलजलाल से,इ सलिए पशेमा ना हुई महशर ए अंजाम से//१ मैं यक़ीं मुनाफिको पर कैसे करूं,जो करे वादा खिलाफी और मुकर जाएं खुद के ही कलाम से//२ माजरा बेकसो_बेबसो का हमसे सुनो जो रह गए तिश्ना लब नहर ए फरात से//३ वो मुजाहिद क्यूं डरे भला किसी जल्लाद से, उम्र तमाम हो जिसकी जिहाद ए मकाम से//४ गर हो जाए बंटवारा रिश्तों का जहां,तो फिर नहीं पुकारते हमशीरी मुहब्बत ए कलाम से//५ चश्म में अश्क लिये और तिश्न लब लिए,क्यूं दिल मिलाएं हम,ऐसे*हाकीम ए हुक्काम से//६ माह ओ साल रदीफ और काफिया,लिख रही हूंअपने सुखन मे हालेजार*अय्याम से//७ बंद करे जो दर दरीचे आपकी*इखलास के, होते है कुछ*बाब हासिद ए हिसाब से//८ कभी चलती सांसों का हाल तो पूछा नहीं,अब क्यूं लेते हो पल्ले शमा*क मय्यत के *तआम से//९ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #SAD शिर्क किया न कभी रब्बे जुलजलाल से,इसलिए *पशेमा ना हुई महशर ए अंजाम से//१* लज्जित मैं यक़ीं*मुनाफिको पर कैसे करूं,जो करे वादा खिलाफी और
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White यतिमों को सीने से लगाता कौन है, खुदा के सिवा इनको निभाता कौन है//१ गरीब की गैरत ही उसका वकार है, वरना गरीब को जीने देता कौन है//२ रिश्ते बिकाऊ हो गए संसार में,अब रिश्तों के लिए अश्क को बहाता कौन है//३ जालिम ही मुजरिम नहीं मजलूम भी गुनाहगार है फकत इन्हे जुल्म सहने को कहता कौन है//४ "शमा"ये आपकी जर्रा नवाजी आपने पूछा हमे, वरना हम मुंह मुफलिसो को लगाता कौन है//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #eidmubarak *यतिमों को सीने से लगाता कौन है,खुदा के सिवा इनको निभाता कौन है//१*अनाथ गरीब की गैरत ही उसका वकार है,वरना गरीब को जीने देता कौन
Dk Patil
Devesh Dixit
अपराधों की श्रृंखला (दोहे) अपराधों की श्रृंखला, का फिर से विस्तार। जगह-जगह से मिल रही, खबर देख हर बार।। कई तरह के जुर्म हैं, जिसको दें अंजाम। बिना डरे ही ये करें, दहशत वाले काम।। जीना ही दुश्वार है, शैतानों के बीच। कर्म करें ये कौन सा, जाने कैसे नीच।। अपराधों से है भरा, देख आज अखबार। कितनों की गिनती करें, छोड़ें भी हर बार।। प्रेम जाल में जो फंँसी, हो श्रृद्धा सा हाल। अपराधों में यह जुड़ा, हुआ देख विकराल।। सख्त हुआ कानून है, फैंका ऐसा जाल। मुजरिम को फिर है धरा, खींची उसकी खाल।। न्याय मिले जब देर से, परिजन हैं लाचार। अपराधी हैं घूमते, पीड़ित करें गुहार।। न्याय प्रणाली चुस्त हो, अपराधी भयभीत। जुर्म मिटे तब हों सुखी, तभी मिले फिर जीत।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अपराधों_की_श्रृंखला #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अपराधों की श्रृंखला (दोहे) अपराधों की श्रृंखला, का फिर से विस्तार। जगह-जगह से