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Akshay Nath Mishra

#WorldWaterDay #Nojoto कुछ भुली-बिसरी बातें ****************** उस चिलचिलाती धूप में इधर-उधर भटक रहा था मैं - बस कुछ बूँद पानी के लिए ! कु #Books

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जल (एक संस्मरण) 👇👇👇👇 #WorldWaterDay #nojoto   
कुछ भुली-बिसरी बातें
******************
उस चिलचिलाती धूप में इधर-उधर भटक रहा था मैं - बस कुछ बूँद पानी के लिए !
कु

Mahfuz nisar

भीनभिनाहट चाय की सलीके से सज़ी थाली लिए मैं जा रहा था, अचानक नीचे कुछ गड्ढे होने का एहसास हुआ, कि बस मैं कुछ सोचता, मैंने अपने पाँवों को ल

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भीनभिनाहट

चाय की सलीके से सज़ी थाली लिए मैं जा रहा था,
अचानक नीचे कुछ गड्ढे होने का एहसास हुआ, 
कि बस मैं कुछ सोचता, मैंने अपने पाँवों को लड़खड़ाते हुए पाया,
कदम के साथ मेरी हाथ में भी कंपन शुरू हो गए थे, 
फिर चाय की कप हिलने लगी कि मैंने ये भूलकर की मेरे पाँव गड्ढे में हैं,
हिलती हुई कपों को पकड़ने लगा, चाय गर्म थी,
मैं लगातार कोशिश में लगा था कि चाय बचा लूँ,
मेरे दिमाग़ ने ये बात भुला दिया था कि
इस कोशिश में मैं जल भी सकता हूँ,
और हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही, चाय के कप नीचे गिरने लगे और मैं उन गिरते कप को भी अपने हाथ से पकड़ रहा था, मेरी हाथ ने जैसे कुछ बहुत बड़ी चीज़ को संभालना था,
अफसोस , ऐसा नहीं हो पाया, 
सारे कप अजीबो-गरीब और बेहद आसानी से चुभने वाली शक्ल में बेतरतिब बिखर गए थे,
और गर्म चाय नीचे ज़मीन पर औंधे मुंह लेटी थी,
और हाँ फ़िर कुछ मक्खियां आकर वहाँ बेहद ज़ोर से भीनभिना रही थी,
मुझे लगा मुझे जाना पड़ेगा,
और मैंने अपने बोझिल कदमों से घर का रुख कर लिया,

मैं उदास अपने घर में चापाकल की ठंडी पानी से अपने जिस्म के जले हिस्सों को सुकून देने में लगा था। 
✍मैं महफूज़ भीनभिनाहट

चाय की सलीके से सज़ी थाली लिए मैं जा रहा था,
अचानक नीचे कुछ गड्ढे होने का एहसास हुआ, 
कि बस मैं कुछ सोचता, मैंने अपने पाँवों को ल

Vikram Agastya

"मेरी डिबिया की रौशनी"/विक्रम अगस्त्य #बचपन " पुस कि रात और मेरी डिबिया की रौशनी" [ विक्रम अगस्त्य] बेहद

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"मेरी डिबिया की रौशनी"/विक्रम अगस्त्य
#बचपन
   " पुस कि रात और मेरी डिबिया की रौशनी"
                                 [ विक्रम अगस्त्य]
बेहद
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