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Rabendra pal @ Bablu Raj
करप्शन..? ----------- करप्शन नहीं यह एक बहाना है लोगों को बेवकूफ बनाना है वादे तो हम हर घड़ी हर साल करते हैं मुझे लोगों की नहीं अपनी फिक्र है क्योंकि मुझे अपनी कुर्सी जो बचाना है..! ©ek muhim aur bhi..! #करप्शन..?
Sonu Gautam
करप्शन से तो पूरा देश चलाता l एंटी करप्शन सिर्फ गरीबों और मिडिल क्लास के लिए होते है l वो चाहे नौकरी हो या कागजाती काम l ©Sonu Gautam एंटी करप्शन डे
Sanjeev gupta
राजनीति खेल करप्शन का राजनीति है वो खेल जिसमें एक नेता अजगर तो दूसरा व्हेल जनता को लूटने में नहीं इनका कोई मेल रोज नये घोटाले ये कर जाते दौलत की भूख इतनी ये कुछ भी कर जाते ना इनका कोई मजहब ना कोई ईमान देश में पाते फिर भी ये सम्मान इनके लिए बाप बड़ा ना भईया सबसे बड़ा रूपय्या मुफ्त की पाते पगार पब्लिक का पैसा भी जाते डकार ऐसे नेताओं को हमारा नमस्कार आओ चलो करें इनका जूतों से सत्कार राजनीति खेल करप्शन का
Amit Saini
जिस दिन भारत से करप्शन की बीमारी खत्म हो जाएगी भारत की गरीबी भारत से बहुत दूर हो जाएगी #poor गरीबी का मूल सूत्र करप्शन
Anti Corruption Core Of India
पत्र,पत्रिका,पत्रकार पर भरोसा कैसे करें, जब वो अपना काम सिर्फ सत्ता के लिए करें. ©Anti Corruption Core Of India एंटी करप्शन कोर ऑफ इंडिया #MerryChristmas
Amit Saini
Corruption can be defined as करते हैं गरीबों के दिल पर चोट लगाकर बोलियों में 500 के नोट मिलता है इन्हें सरकारी पोस्ट का लाभ फिर क्यों कर देते हैं ये भारत के दिल पर आघात #Corruption # जिस दिन मिटेगा भारत का करप्शन बन जाएगा भारत विश्व मे महानतम
निखिल कुमार अंजान
करप्शन....... #अंजान.... करप्शन........ अंजान साहब सुबह का अखबार पढ़ते हुए कहते हैं ओह हो आजकल देश मे भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है जँहा देखो वहीं झूठ और बेईमानी नजर आ
विलुप्त आवाज़
कहूँ कैसे कि मेरे शहर में अखबार बिकता है डकैती लूट हत्या और बलात्कार बिकता है। तेरे आदर्श तेरे मूल्य सारे बिक गए बापू तेरा लोटा तेरा चश्मा तेरा घर-बार बिकता है। बड़े अफसर का सौदा हाँ भले लाखों में होता हो सिपाही दस में और सौ में तो थानेदार बिकता है। वही मुंबई जहाँ टाटा अम्बानी जैसे बसते हैं वहीं पर जिस्म कईओं का सरे बाज़ार बिकता है। चुने जाते ही नेता सारे वादे भूल जाते हैं यह वोटर किस छलावे में भला हर बार बिकता है। ये कलियुग है ठगी की इन्तेहाँ होती नहीं कोई सुना है नेट पर दिल्ली का क़ुतुब मीनार बिकता है। करप्शन इस कदर हावी शहर के अस्पतालों में दवा के वास्ते हर रोज़ ही बीमार बिकता है। अभिनव अरुण ©विलुप्त आवाज़ कहूँ कैसे कि मेरे शहर में अखबार बिकता है डकैती लूट हत्या और बलात्कार बिकता है। तेरे आदर्श तेरे मूल्य सारे बिक गए बापू तेरा लोटा तेरा चश्मा