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Parasram Arora
White निर्णायक साँसो के रथ पर. बैठ चुका हैँ वो थका हुआ मुसाफिर हालाकि ये पथ उपेक्षिरत भी हैँ. कटकित भी हैँ इसके बावजूद मुसाफिर मे यहां हलचल कोई दिखती नही ©Parasram Arora # निर्णायक सांसे
# निर्णायक सांसे
read moreJayesh gulati
Unsplash करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा । मेरे ख्वाबों में, तेरी ये तस्वीर भी चलती हैं ।। पढ़ता हूँ मैं तस्बीह¹, हर रोज़ तेरे नाम की । सुना हैं, यह दुनियां खुदा के नाम से चलती हैं ।। (read full in caption) ©Jayesh gulati तुम, नहीं जानती ये कैसे चलती हैं । यहां सांसे मेरी, तेरे दीदार से चलती हैं ।। करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा । मेरे ख्वाबों में
तुम, नहीं जानती ये कैसे चलती हैं । यहां सांसे मेरी, तेरे दीदार से चलती हैं ।। करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा । मेरे ख्वाबों में
read moreDhaneshdwivediwriter
Unsplash दस साल बाद मौत नजर आई दम घुटने लगा और पैर लड़खड़ाए जब उसने कहा अब तुम मुझे भूल जाओ, घरवाले नहीं मानेंगे। । ©Dhaneshdwivediwriter #traveling दस साल बाद मौत नजर आई दम घुटने लगा और पैर लड़खड़ाए जब उसने कहा अब तुम मुझे भूल जाओ, घरवाले नहीं मानेंगे। #dhaneshdwivediwriter #dh
#traveling दस साल बाद मौत नजर आई दम घुटने लगा और पैर लड़खड़ाए जब उसने कहा अब तुम मुझे भूल जाओ, घरवाले नहीं मानेंगे। #dhaneshdwivediwriter dh
read moreArjun Singh Rathoud #Gwalior City
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की चहचहाट थमी। आकाश रंग बदलता, शाम आई, मन को भाती। * संध्या का समय: आज का दिन हुआ समाप्त, तारे निकले, चाँद आया। हवा चलती, शीतल लगती, मन शांत, आनंद भरा। * शाम की यादें: बचपन की शामें याद आतीं, दोस्तों संग खेलते थे। खेतों में दौड़ते फिरते, खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍 ©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
read moredarpanpremka by Rajesh Rj
White क्यों सुनते नहीं हो तुम दिल जो कहता है , सांसे क्यों रोती है कुछ दिल तो कहता हैं , इतना रुठे तुम जैसे कोई मीन नीर के बिन , आये ही नहीं हो तुम राहे ये कहता है । ©darpanpremka by Rajesh Rj क्यों सुनते नहीं हो तुम दिल जो कहता है , सांसे क्यों रोती है कुछ दिल तो कहता हैं , इतना रुठे तुम जैसे कोई मीन नीर के बिन , आये ही नहीं हो मि
क्यों सुनते नहीं हो तुम दिल जो कहता है , सांसे क्यों रोती है कुछ दिल तो कहता हैं , इतना रुठे तुम जैसे कोई मीन नीर के बिन , आये ही नहीं हो मि
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