Find the Latest Status about थलचर प्राणी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, थलचर प्राणी.
ARTI JI
White https://www.instagram.com/reel/C7UI5MKy1aJ/?igsh=MTNvZXI2ZWt5dW95NA== 22June 2024को परम् पिता परमात्मा परम् अक्षर ब्रह्म जी का प्रकट दिवस, संत रामपाल जी के 15+आश्रमों में देश विदेश में सभी जगह मनाया जाता है राजस्थान में पाली सोजत , आश्रम में सभी राजस्थान वालो से विनर्म निवेदन है सभी आत्माओं को परमात्मा के भंडारे, महायज्ञ में सम्मिलित होना चाहिए। इस यज्ञ को महायज्ञ कहते हैं इस से के एक कण को चिटी भी खाती है तो उसका भी बड़ा फ़ल मिलता है, मनुष्यो के लिए सबसे अच्छी बात यह है की इस महायज्ञ में पूर्ण गुरु के द्वारा कराया गया प्रसाद, कहीं जन्मों के पाप काटता है,। गीता में भगवान कहते हैं यज्ञ के द्वारा खाया गया भोजन, पाप कर्मों को समाप्त करता है यज्ञ में परमात्मा प्रतिष्ठित होता है जहां यज्ञ होते हैं वाहा परमात्मा अवश्य ही होता है ओर यज्ञ से वर्षा होती है वर्षा से अन्न पैदा होता है अन्न से सभी जीव का पेट भरता है इस प्रकार यज्ञ ही वह धार्मिक अनुष्ठान हैं जो न हो तो संपूर्ण प्राणी भूखे मरे ©ARTI JI #mango_tree #election_2024 #VoteForIndia #voting #लव #शायरी #कविता #viral #Love https://www.instagram.com/reel/C7UI5MKy1aJ/?igsh=MTNvZXI2Z
Devanand Jadhav
.......... ©Devanand Jadhav #MahavirJayanti अहिंसा परमो धर्म: ...जगाला शांती, अहिंसा व सत्य यांचा मार्ग दाखविणारे भगवान महावीर हे जैन धर्माचे 24 वे तिर्थकार आहेत...त्य
Ankit Singh
“मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इन्सान के लिए है जैसे ही कोई इन्सान खुशी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं।” ©Ankit Singh मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इन्सान के लिए है जैसे ही कोई इन्सान खुशी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं #anima
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों करके क्रोध , बोलते हो कटु वाणी । भूल प्रेम व्यवहार , खड़ा करते हो झंझट । आज परीक्षा मान , भूल जाओ सब संकट ।। २२/०३/२०२४ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों कर
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा ।। साधू कब तक बोले । लोभी मन मत डोले ।। इच्छा जब बढ़ती है । वो तो फिर डसती है ।। हो जीवन फिर बाधा । बोले गिरधर राधा ।। मीठी सुनकर वाणी । दौड़े सब अब प्राणी ।। सोचा नहिँ कुछ आगे । जोड़े मन-मन धागे ।। १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं । शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।। मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में । सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।। तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में । आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।। जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में । उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।। सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में । मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।। जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के । दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।। जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के । यही सीढ़ियां ऊपर जाएं , देखो नित संसार के ।। २८/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु