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Kajal The Poetry Writer
White लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं, पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बता सकूं,, उसके स्नेह और प्यार को चंद लफ्जो में जता सकूं।। वो कहती हैं, जब बता आज क्या खाया तूने, तब अहसास होता हैं कि मां का साया भी पाया हैं मैंने।। उसके जीवन भर प्रेम ,त्याग का मेरा अनुमान व्यर्थ हो जायेगा,, जो नापू मै पोर्वो पर उसका मेरे सारे काम करना, मेरा जीवन अनर्थ हो जायेगा।। जब वो बोले तू आजा न मैं तेरे लिए कुछ खास बनाऊंगी,, उस पर लिख कर 4 लफ्ज़ मैं कैसे महान बताऊंगी।।। मैं क्या लिखूं उस पर कुछ खास, जो मेरी दुनिया इतनी सुंदर लिखने वाली हो,, वो प्यार हैं, परोपकार हैं,, मीठा सा दुलार हैं,, जो कायनात ने नवाजा रब का दिया उपहार हैं।। न द्वेष हैं, न लालच शेष हैं।। जीवन का आधार हैं वो मां हैं,, इसलिए विशेष हैं।। Happy mother's day 💐❤️ mammy lot's of love. ©Kajal The Poetry Writer #mothers_day लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं, पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बत
#mothers_day लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं, पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बत #Poetry
read moreRavishankar Nishad
गांव में दूल्हा और दुल्हन नाचते हुए और बाराती भी नाचते हुए जबरदस्त माहौल #वीडियो
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- विदाई अजब है खेल कुदरत का बहन की इस जुदाई में । बहुत रोया गले लगकर पिता भी तो विदाई में । पड़ी बेसुध उधर थी माँ विदा कर आज बेटी को - सिसक कर रो रहा दूल्हा सुनो अपनी सगाई में ।। मुहब्बत कर लिया हमने जताना है जरा मुश्किल । भरी महफ़िल गिरे आँसूं छुपाना है जरा मुश्किल । मिलन की भी घड़ी आयी विदाई की घड़ी लेकर - जिऊँगा मैं भला कैसे बताना है जरा मुश्किल ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- विदाई अजब है खेल कुदरत का बहन की इस जुदाई में । बहुत रोया गले लगकर पिता भी तो विदाई में । पड़ी बेसुध उधर थी माँ विदा कर आज बेट
मुक्तक :- विदाई अजब है खेल कुदरत का बहन की इस जुदाई में । बहुत रोया गले लगकर पिता भी तो विदाई में । पड़ी बेसुध उधर थी माँ विदा कर आज बेट #कविता
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