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Rohit Sharma
एक बात पूछनी थी... ये पैंट की पिछली जेब में कंघी रखने वाले लोग अभी भी पाए जाते हैं कि विलुप्त हो गए ??? 😂 #जस्ट_पूछ_रहे ©Rohit Sharma #SunSet एक बात पूछनी थी... ये पैंट की पिछली जेब में कंघी रखने वाले लोग अभी भी पाए जाते हैं कि विलुप्त हो गए ??? 😂 #जस्ट_पूछ_रहे
Ravendra
कर्म गोरखपुरिया
शर्म आनी चाहिए ©कर्म गोरखपुरिया दुनिया का सबसे विनाशकारी चीज इंसान स्वयं है ! हवस का ज्वार लोगों मे इस तरह चढ़ा हुआ है की लोगों का विवेक मर चुका है ! इंसानियत ने भी हैवानिय
N S Yadav GoldMine
*संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अध्ययन में कहा गया है कि 51% से अधिक बुजुर्ग सीढ़ियां चढ़ने के दौरान गिर जाते हैं। अमेरिका में हर साल सीढ़ियां चढ़ने से 20,000 मौतें होती हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं, कि 60 वर्ष की आयु के बाद निम्नलिखित 10 क्रियाएं न करें:* {Bolo Ji Radhey Radhey} 1. सीढ़ियों/सीढ़ी पर चढ़ना. 2. बहुत तेजी से मुड़ें मुड़ना/घूमना. 3. अपने पैरों पर झुकना. 4. खड़े होकर पैंट पहनना. 5. सिट अप्स. 6. बाएँ और दाएँ मुड़ना. 7. पीछे हटना. 8. भारी सामान उठाने के लिए झुकना 9. अचानक बिस्तर से खड़े हो जाना. 10. बहुत तनाव में रहना. 60 साल की उम्र के बाद कोशिश करें कि उपरोक्त 10 काम न करें। *✍🏻वृद्धावस्था की चार आम समस्याएं 👉🏼* 1. गले में भोजन फंसने से दम घुटन। 2. गलत तकिया। 3. पैर में ऐंठन। 4. झुनझुनी पैर। मदद कैसे करें:- 1. भोजन का दम घोंटना:- आपको केवल "हाथ ऊपर उठाने" की आवश्यकता है। हाथों को सिर के ऊपर उठाने से आपके गले में फंसा खाना अपने आप नीचे चला जाएगा। 2. गलत तकिए:- कभी-कभी जब आप उठते हैं तो आपको गर्दन में दर्द महसूस होता है। तकिया गलत होने पर क्या करें? आपको केवल अपने पैरों को ऊपर उठाने की जरूरत है, फिर अपने पैर की उंगलियों को खींचकर दक्षिणावर्त या वामावर्त दिशा में मालिश करें। 3. पैरों में ऐंठन:- जब आपके बाएं पैर में ऐंठन महसूस हो, तो अपने दाहिने हाथ को ऊपर उठाएं, जब आपके दाहिने पैर में ऐंठन हो, तो अपने बाएं हाथ को ऊपर उठाएं, यह तुरंत बेहतर महसूस करेगा। 4. झुनझुनी पैर:-जब बायां पैर झुनझुनी हो तो अपनी दाहिनी हथेली को अपनी पूरी ताकत से घुमाएं, जब दायां पैर झुनझुनी हो तो अपनी बाईं हथेली को अपनी पूरी ताकत से घुमाएं। जय श्री राधे कृष्ण जी बस इस जानकारी को *सेव न करें*। कृपया *बाँटें।* कौन जाने... *आप किसी और को बचा सकते हैं*। Rao Sahab N S Yadav.... 🙏🪷🙏🪷🙏🪷 ©N S Yadav GoldMine #GuzartiZindagi *संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अध्ययन में कहा गया है कि 51% से अधिक बुजुर्ग सीढ़ियां चढ़ने के दौरान गिर जाते हैं। अमेरिका में
Ankur tiwari
इश्क़ मुहब्बत प्यार वफ़ा के ताने बाने बुन रहा हूं लोगों की बातें आजकल चुपचाप मैं सुन रहा हूं जींस शर्ट के दौर में कही सादगी जल्दी दिखे नही काले धागे वाले जमाने में मैं पायल लेकर घूम रहा हूं ©Ankur tiwari #Aasmaan इश्क़ मुहब्बत प्यार वफ़ा के ताने बाने बुन रहा हूं लोगों की बातें आजकल चुपचाप मैं सुन रहा हूं जींस शर्ट के दौर में कही सादगी जल्दी
Nisheeth pandey
शीर्षक - बहती हवाँ और मैं 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती हवाँ संग रोमांचित मन हो रहा था मानो बहती हवाँ में विलुप्त था, तृप्त मन हो रहा था बहती हवाँ आगोश के भवँर में लपेट रहीं थी मन मुग्ध तन चंचल हल्की फुल्की बारिश बूँदों की सिहरन मेरे मन ने पुझा ऐ हवाँ तुम रोज यूँ ही मिलते क्यों नहीं बहती हवाँ की तेज बहाव करीब आ कर बड़े अदब से कहा- मैं रोज तुम्हारे करीब से गुजरती ,ये और बात तुम मुलाक़ात नहीं करते ?” हवाँ ने कहा - जब तुम आसमानों में बादलों की चित्रकारी देखते वहां दृष्टिकोण में मैं ही हूँ। भीनी माटी की सुगन्ध तुम तक पहुँचती वह मैं ही हूँ। खिड़की पर जब बारिश देखते ,तुम तक बारिश की बूँदों को पहुँचाती मैं ही हूँ। सुगन्ध से गुलाब के फूलों से परिचित मैं ही करवाती हूँ। अदरक वाली कड़क मीठी चाय से महक धूएँ बन तुम तक आती मैं ही हूँ । तुम्हारे पसंदीदा गानों की धून बन कर मैं ही आती हूँ । शर्ट के टूटे हुए बटन में मैं ही उछलती हूँ । तुम्हें खिंच पहाड़ों में मैं ही लाती हूँ। बहते झरनों की आवाज तुम तक मैं ही लाती हूँ। कभी निशीथ पहर में तुम्हें चाँद तक मैं लाती हूँ नदी किनारों में बैठे तुम तुम्हारे पाँव को पानी से मैं ही सहलाती हूँ। मौसम की बहारों का चित्त मैं ही लाती हूँ अभी तुम्हें बारिश की पानी के गीली गीली एहसास मैं ही दिलाऊँगी लेकिन तुम्हें मुझे एहसास करने की फुर्सत कहाँ मिल पाती है 🥰 @निशीथ ©Nisheeth pandey #ChaltiHawaa दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती ह
Anuradha T Gautam 6280
Nisheeth pandey
#वो रात बेहया !!!! ----------- वो रात मानो ,बेहया हो गयी थी जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ... आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन नाभी के ऊपर से बाँधे शर्ट का कोर... मुझे रिझाती रहीं ... तुम्हारे होठों पर हँसी कातिल निगाहें ... वो रात बन गई थी शराब ... नहीं झेंप रहीं थी ...किसी भी बात पर अपनी अदां तुम ,मैं और वो रात कोई भी हो... मुहब्बत तन मन बेबाक सुनाती अपनी प्यास... दिल की चाहत प्यार बरसे मिटे प्यास.. इश्क़ के गीत...सरेराह गाती तुम बल्ब के घूरने पर... स्विच ऑन ऑफ करती तुम मानो 'आँख मारकर' लुभाती तुम... अपने पारदर्शी पोसाक में...इतना इतराती तुम . हाँ!बेहया सी दिख रहीं थी वो! आधुनिकता जो आज काम वासना ग्लाश में शराब शराब में घुलता बर्फ स्त्री पुरुष के हर गुण अपनाया...ये बेहयापन कैसे निभाया? दरवाज़ा बंद रहा...गैरों के लिए तो ,अपनों से भी... कभी अस्तिव बचाती थी ? धर्म पर अडिग थी हाँ! अब बेहया हो गयी थी आधुनिकता के तलब में वो! जो इरादों से अपनी आधुनिकता की पक्की थी सच में...वो रात ज़िद्दी थी... अब वो भीड़ में भी गम्भीर नही ...भीड़ से लड़ने की हुनर रखती अपनी हर मजबूरी से... हर-हाला लड़ी थी हर तूफ़ान जन्म देकर उड़ जाती जब उसके सर पे वोडका वाइन चढ़ता अपने ही ज़िस्म से चादर फाड़ देती ... ना सूरज की दरकार-ना चाँद का इंतज़ार चिटकती सड़कों पर नशे में झूमकर चलती है... हाँ! आधुनिकता में बेहया होती जा रहीं थी वो रात ! अपने हर ख्वाब को मुक़म्मल करने में हर पुरुष को ठोकर मार... खुद को बराबर जता रहीं ... स्त्रीत्व के चेहरे का नक़ाब नोंच कर पुरुष की तिलिस्म वो रच रहीं ... रात भर जागती-उघियाती , बियर के मगों से बतियाती है... कभी कुछ लिखती तो कभी संस्कार के कैनवास पर खुद को नंगी चित्रित करती है... हाँ! तुम बेहया हो गयी ! खुद को मॉडर्न बनाने में ढलती रात में , वाशना के चाशनी में मिठाई बनती रहीं... जिश्म का प्यार में रमी रहीं , रूह का गला घोंट दिया... आधुनिकता के बाज़ार में जिंदा रहेंगी मेरी साँसों के साथ वो रात और तुम , ये बात दोहराती रहेंगी ... आधुनिकता में परुष से बराबरी करना बराबरी में बेहया होने की जिद्द करना .... आधुनिकता की परिभाषा क्या था तुम्हारे लिये बस पुरुषों के दुर्गुणों का बराबरी करना .... हाँ वो रात बेहया हो गयी थी .... हाँ वो रात बेहया हो गयी थी .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #WoRaat वो रात बेहया !!!! ----------- वो रात मानो बेहया हो गयी थी जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ... आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन
@Madhu ji