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Stories related to अफसाना लिख रही हूं

Radhe Radhe

जीवन दे रही,,,

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जीवन में जीवन से बेइंताह मोहब्बत है
क्योकि जीवन ही जीवन दे रही 
जय श्री राधे

©Radhe Radhe जीवन दे रही,,,

Ravendra Singh

#Shiva चाहूं तो मैं बहुत कुछ और भी लिख सकता हूं, जो सिर्फ अपने लिए जीते हैं मैं उनके लिए भी जी सकता हूं, मगर वो तो कमबख्त एहसान फरामोश निकले

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White चाहूं तो मैं बहुत कुछ और भी लिख सकता हूं,
जो सिर्फ अपने लिए जीते हैं मैं उनके लिए भी जी सकता हूं,
मगर वो तो कमबख्त एहसान फरामोश निकले,
जिनके लिए मैं जीते जी जमाने का जहर भी पी सकता हूं।।

©Ravendra Singh #Shiva चाहूं तो मैं बहुत कुछ और भी लिख सकता हूं,
जो सिर्फ अपने लिए जीते हैं मैं उनके लिए भी जी सकता हूं,
मगर वो तो कमबख्त एहसान फरामोश निकले

नन्हीं कवयित्री sangu...

चलती हूं,जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे .... Tc

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लो जीत गए तुम हमसे, हार गए हम तुमसे 🫠

©नन्हीं कवयित्री sangu... चलती हूं,जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे .... Tc

jaiveer singh

#camping नाचा रही है जिंदगी

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Unsplash  मौत मेरी राहें ऐसे तो न सजा।.....
माना कि तू अपने इशारे पे
 नचा रही है जिंदगी...
गाने तो मेरी पसंद के बजा।।...

©Jaiveer Singh #camping नाचा रही है जिंदगी

BANDHETIYA OFFICIAL

#sad_quotes #अनबन रही है।

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White मुझे खोज, कौन रहा है,
मन से मन मौन रहा है।
क्या कर खबर ले कि करे,
पता न फिर गौण रहा है।
जाहिर है, दुक्ख जताये,
सुख तो छू पौन रहा है।
जल लूं अपने कमरे में,
कहीं कोप -भौन रहा है।

©BANDHETIYA OFFICIAL #sad_quotes #अनबन रही है।

Shyarana Andaaz (अज्ञात)

फिराक में हूं।

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M.K Meet

दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 😂😂😂😂😂😂😂😂

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दिल को पत्थर बनाने की कशमकश में हूं!
के वह बार-बार तोड़े,और मुझे दर्द भी न हो






.

©M.K Meet दर्द से राहत का उपाय ढुंढता हूं 
पागल हूं मैं ये क्या ढुंढता हूं 
😂😂😂😂😂😂😂😂

विष्णु कांत

मैं तुझे जान मानता हूं

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विष्णु कांत

मैं बदल गया हूं

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डॉ.अजय कुमार मिश्र

डरता हूं

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White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं,
जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं।

हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की,
आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं।
धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।।

 कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से ,
आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं।

कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार।
आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र डरता हूं
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