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GANESH EDITZ

🙏🏻१४ एप्रिल २०२४🙏🏻 जगभरातील करोडो लोकांच्या मनावर ज्यांनी आपल्या विचाराने,कार्याने,कर्तृत्वाने राज्य केले अशा युगपुरुष, बोधिसत्व,भारतरत्न, भ #Motivational #Bhim #Trending #viral #viralvideos #bhimjayanti #भीम #bhimarmy #भीमजयंती #भीमसैनिक

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Shaarang Deepak

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (13 & 14) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic #भक्ति #hanumanjayanti #JaiShreeRam #Shorts #hanumanji #hanumanchalisa #hanumantemple #हनुमान_चालीसा #hanumanbhajan

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PURAN SING‌H CHILWAL

#१४ यदि कोई इंसान बहुत जरूरी है 🌷 तो उसे बात को भूल जाओ और अगर बात बहुत जरूरी है 🌷 तो उस इंसान को भूल जाओ #लव

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Dk Patil

*॥ धर्मवीर बलिदान मास ॥* *श्लोक क्रमांक.१४* ************************** *#श्रीसंभाजीसुर्यहृदय* ⛳ जळल्या विना न उजळें जगतांत काहीं । #पौराणिककथा #धर्मवीर_बलिदान_मास #गुरुवर्य_श्रीसंभाजीराव_भिडे_गुरुजी

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सन्ध्या छन्द  221    111    22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा #कविता

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Village Life सन्ध्या छन्द 
221    111    22
माया जब भरमाती ।
पीड़ा तन बढ़ जाती ।।
देखो पढ़कर गीता ।
ये जीवन अब बीता ।।
क्या तू अब सँभलेगा ।
या तू नित भटकेगा ।।
साधू कब तक बोले ।
लोभी मन मत डोले ।।
इच्छा जब बढ़ती है ।
वो तो फिर डसती है ।।
हो जीवन फिर बाधा ।
बोले गिरधर राधा ।।
मीठी सुनकर वाणी ।
दौड़े सब अब प्राणी ।।
सोचा नहिँ कुछ आगे ।
जोड़े मन-मन धागे ।।
१४/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सन्ध्या छन्द 
221    111    22
माया जब भरमाती ।
पीड़ा तन बढ़ जाती ।।
देखो पढ़कर गीता ।
ये जीवन अब बीता ।।
क्या तू अब सँभलेगा ।
या तू नित भटकेगा

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- जीवन के हर रंग से , कर ले तू पहचान । इच्छा यहाँ अनंत है , करती नित व्वयधान ।।१ जीवन के इस रंग से , होते क्यों  हैरान । त्याग नहीं जी #कविता

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दोहा :-
जीवन के हर रंग से , कर ले तू पहचान ।
इच्छा यहाँ अनंत है , करती नित व्वयधान ।।१
जीवन के इस रंग से , होते क्यों  हैरान ।
त्याग नहीं जीवन कभी , संग चले भगवान ।।२
संकट सम्मुख देखकर , हो जाता हैरान ।
छोड़ चले जीवन यहाँ , पल भर में इंसान ।।३
मुश्किल से मुश्किल घड़ी , हो जाती है दूर ।
थोड़ा बस संयम रखो , होते क्यों मजबूर ।।४
मत कर जीवन से कभी , तू अब ऐसी चाह ।
जो फिर कल दीवार बन , रोके तेरी राह ।।५
धर्य-रहित जीवन जियो ,  संकट जाओ भूल ।
दें गिरधर आशीष तो , सब बन जाएं फूल ।।६
सत्य सनातन धर्म के , होते मीठे बोल ।
बतलाते जीवन यहाँ , सुन लो है अनमोल ।।७
जीव-जन्तु मानव यहां , सब में भरा कलेश ।
मृत्युलोक का है यही , सबको ये संदेश ।।८
जाना सबको है उधर , रख ले धीरज आज ।
अभी तुम्हारे बिन वहाँ , रुका न कोई काज ।।९
जीवन के हर रंग में , कर्म रखोगे याद ।
ये ही जीवन से तुम्हें , कर देंगे आजाद ।।१०
ये जीवन संग्राम है , विजयी होते धीर ।
मीठी बोली प्रेम की , भरे घाव गंभीर ।। ११
१४/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
जीवन के हर रंग से , कर ले तू पहचान ।
इच्छा यहाँ अनंत है , करती नित व्वयधान ।।१
जीवन के इस रंग से , होते क्यों  हैरान ।
त्याग नहीं जी

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले #कविता

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Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं ।
पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे ,
कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं ।
वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं,
जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१

वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब ,
वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं ।
कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ,
मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं ।
भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम,
सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं,
असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे ,
देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२
१४/०३/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले
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