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SANTU KUMAR
White एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. ❤️❤️🙏🙏❤️❤️ ©SANTU KUMAR #love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. 🖤
#love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. 🖤
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी व्यवस्थाओं के झुन झुने दोहन परिवारों का कर रहे है शिक्षा स्वास्थ्य सब पर टैक्स लगे नैनो परिवार मेहनत करके भी नही पल रहे है कौमो में जंग छेड़ दी विस्तृत परिवारो की रोजगार व्यवसाय चल नही रहे है अवसरवादी सियासत हो गयी बजूद सबके खतरे में बताकर अहम मुद्दों से मुख मोड़ रहे है महँगाई के इस दौर में शादी विवाह भी युवाओं पर बोझ बन रहे है सन्तति होड़ पैदा करके बढ़ भी जाये मगर उनके भविष्य की गारंटी कौन सरकारे दे रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #love_shayari कौमो में जंग छेद दी विस्तृत परिवारों की
#love_shayari कौमो में जंग छेद दी विस्तृत परिवारों की
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White अना की ऐसी बला खुदसे निकाल दी मैने, जो नागवार है वो बात टाल दी मैने//१ किसी से अब नहीं रंजिश,न मेल मिलाप, घुटन थी जितनी खुदी मे पिघाल दी मैने//२ मेरे रकीब तेरा राज-फाश हो-ना कभी, हाँ तुझपे इज्जत-ए-रिदा डाल दी मैने//३ कदम अमीरी का जब मयकदे में जा धमका, के दोनो दस्त से दौलत उछाल दी मैने//४ बहुत जरूरी है जालिम को आइना देना, इसी सबब उसे,उसकी मिसाल दी मैनें//५ मेरे जहन मे मचलते हैँ बे-शुमार सुखन,सो आज इनपे कलम अपनी निकाल दी मैने//७ वो जिसने तोड़े नशेमन"शमा के कुंबों के, उसी यजीद को फिर जान-ओ-माल दी मैने//८ #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sad_quotes अना की ऐसी बला खुदसे निकाल दी मैने,जो नागवार है वो बात टाल दी मैने//१ किसी से अब नहीं रंजिश,न मेल मिलाप,घुटन थी जितनी खुदी मे प
#sad_quotes अना की ऐसी बला खुदसे निकाल दी मैने,जो नागवार है वो बात टाल दी मैने//१ किसी से अब नहीं रंजिश,न मेल मिलाप,घुटन थी जितनी खुदी मे प
read moreनवनीत ठाकुर
ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म, जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम। बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई, ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई। दिल के अंदर एक कहानी दबी थी, जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी। गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी, ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी। दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा, जिसे कह न सका, वही आह में बहा। मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई, जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई। ©नवनीत ठाकुर #जुबां खामोश थी
#जुबां खामोश थी
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