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jaydeep sinha
||का होगे तोला रेे बादर|| का होगे तोला रे बादर, अब तय अतिक काबर तरसावत हस| धरती के भगवान ला तै अतिक काबर रोवावत हस ||1 आषाढ निकल गे सावन अधियागे ,तभो ले तै मिटकाये हस | का होगे अतेक तय , मोर छईया भुईयां ला तपाय हस ||2 सावन हा भागत हे ,भादो हा आवत हे | तोर रद्दा देखत देखत दिन हा पहावत हे ||3 नदिया हा सुखा गे , नरवा हा सुखा गे | तोर अगोरा मा, किसान हा रिसा गे ||4 आषाढ़ मा बूंद भर गिरा के, सावन भर तरसा देस | का गलती होगे हमर ले ,कि तय बुंद बुंद बर रोवा देस ||5 खेत सुखागे ,खार सुखागे | तोर अगोरा म ,अब धान घलो पिंवरा गे ||6 सावन के निकलती म अउ झन न तरसाना रे | का होगे तोला रे बादर ,अब अउ झन रोवाना रे ||7 आधा तो कोरोना तरसावत हे,अब तहु झन तरसाना रे | अाजा ना रे बादर ,अब अऊ झन तरसाना रे ||8 जयदीप सिन्हा ✍️ 8435330330 आजा ना रे बादर Suman Zaniyan
JAINESH KUMAR ''ज़ानिब''
झिमिर झिमिर पानी ह गिरत हे... संग म बादर घलोक गरजत हे..., चम चम बिजली चमकत हे... अगास के जी ह जरत हे..., हो.....मन करथे भीग जातेंव, कहूं बन के धरती, मन करथे भीग जातेंव, कहूं बन के धरती, देख के पानी के लहरा ..., झिमिर झिमिर पानी ह गिरत हे... संग म बादर घलोक गरजत हे..., चम चम बिजली चमकत हे...,अगास के जी ह जरत हे...,।।। झर झर मारत हे पानी के लहरा... तन ल भीगा के उड़ावत हे अछरा... ।। 2 ।। छुनुर छुनुर जब तैं पैरी बजाये... मया के फूल मन ल ममहाये... बरसे जब, बरसे जब बरसे जब ये कारी बदरा... जिया म आगी लगाये......., झिमिर झिमिर पानी ह गिरत हे... संग म बादर घलोक गरजत हे..., चम चम बिजली चमकत हे... अगास के जी ह जरत हे...,।।। मनमोहनी रूप तोर आंखी हे कारी.. चेहरा ह दमके तोर चंदा ले भारी... ।। 2 ।। तैं जो आंखी मूंदे हो जाये अंधियारी... हांसी म तोर मोहा जाथे ये दुनिया सारी..., चमके जब.... चमके जब.... चमके जब माथे के तोर बिंदिया.... उड़ा जाथे रे मोर निंदिया......, झिमिर झिमिर पानी ह गिरत हे... संग म बादर घलोक गरजत हे..., चम चम बिजली चमकत हे... अगास के जी ह जरत हे..., हो.....मन करथे भीग जातेंव, कहूं बन के धरती, मन करथे भीग जातेंव, कहूं बन के धरती, देख के पानी के लहरा ..., झिमिर झिमिर पानी ह गिरत हे... संग म बादर घलोक गरजत हे..., चम चम बिजली चमकत हे...,अगास के जी ह जरत हे...,।।। #छत्तीसगढ़ी_गीत #झिमिर झिमिर पानी ह गिरत हे... संग म #बादर घलोक गरजत हे..., चम चम बिजली चमकत हे... #अगास के जी ह जरत हे..., #jainesh_kumar
JAINESH KUMAR ''ज़ानिब''
छत्तीसगढ़ी गीत तरसत हे कईसे बतावंव तोला रे संगी मैं तोर से मिले बर मोर जीवरा ह कतका तरसत हे जबले गे हस तैंहां मोर ले रिसा के ये बैरी बादर घलोक नई बरसत हे ।। 2 ।। कईसे बतावंव तोला रे संगी.........।। सावन के पानी नैना ले बरसे तन मोर नई भींजे अगास ले गरज के बिजरी मोर मन ल जराए ।। 2 ।। मन मंदिर म तैंहां समाये तोर बिन कछु नई भाये हो जियत हंव मर मर के मैं फेर तैं दरस नई दिखाये वो कलपत हावंव तोर बैरी फेर तोला तरस नई आये वो कईसे बतावंव तोला रे संगी.......................।। पखरा होगे तैंहां रे कईसे मोर पिरित ल भुलाके जिहंव कईसे मैं सब किरिया कसम बिसराये रे ।। 2 ।। बिन पानी के मछरी बरोबर देख कईसे तड़पत हों करू होगे मया हमर अब तो ज़हर बनके रही गेहों रे नई सहाए अब ये पिरा छोड़ के ये दुनिया जावत हों कईसे बतावंव तोला रे संगी.....................।। कईसे बतावंव तोला रे संगी मैं तोर से मिले बर मोर जीवरा ह कतका तरसत हे जबले गे हस तैंहां मोर ले रिसा के ये बैरी बादर घलोक नई बरसत हे ।। #छत्तीसगढ़ी_गीत #jainesh_kumar कईसे बतावंव तोला रे संगी मैं तोर से मिले बर मोर जीवरा ह कतका तरसत हे जबले गे हस तैंहां मोर ले रिसा के ये बै
Anuj Ray
प्रकृति के यौवन के, खिलते हैं जैसे उपवन में फूल । ठीक वैसे ही लगते, अधर तुम्हारे, चढ़ते यौवन के शूल। ©Anuj Ray # प्रकृति के यौवन के..
Anuj Ray
ज़िन्दगी के सफ़र के, बिल्कुल आख़री ,कगार के नजदीक पहुंचकर एकदम, छुड़ा के हाथ, अगर तुमसे कोई कहे कि, अब ये रिश्ता हो गया यहीं पे खतम। क्या हुआ, थक गए क्या चलते-चलते, कोशिश करो चलने के और भी दो चार कदम। वैसे तो लाजमी है, बिछड़ ही जाएंगे, लेकिन तुम तो, मेरे गर्दिशों के साथी हो हमदम। बस क्या , ज़िन्दगी भर के कसमें वादे, और प्यार वफा का, तुम्हारा यही इन्तकाम है। शायद मोहब्बत में ,किसी को नहीं मिला होगा, ये पहला मेरी क़िस्मत का इनाम है। ©Anuj Ray # ज़िन्दगी के सफ़र के,