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aakanksha Tiwari
"स्वतंत्रता दिवस" जैसे महान शब्द को व्यक्त करना एक गौरव का विषय है क्योंकि इस दिवस का उत्सव मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है उसके पीछे अनंत कुर्बानियां आहुतियां हमारे वीरों की है। आज हम गर्व के साथ अपने देश में रहते हैं और स्वतंत्रता पूर्वक जहां चाहे वहां घूमते हैं और रहते हैं परंतु आज भी स्वतंत्रता का संपूर्ण महत्व उजागर नहीं हुआ है स्वतंत्रता का शाब्दिक अर्थ तो हम समझ गए पर क्या वह हमारे देश के उस वर्ग को प्राप्त है जिसे दलित समुदाय माना जाता है क्या आज भी उसे उन सुविधाओं से वंचित रखने का प्रयास नहीं किया जाता जो स्वतंत्रता के तत्व है समता के बगैर स्वतंत्रता हासिल ही नहीं की जा सकती हमारा संविधान भी इस बात को मानता है । इस पावन पर्व पर मुझे देशवासियों से यही कहना चाहती हूं सिर्फ इस दिवस पर देशभक्ति और देश प्रेम व्यक्त करके हम विकास नहीं कर सकते हमें स्वतंत्रता को सही मायने में पाने के लिए पुलिस कांस्टेबल से लेकर सेना के वीर जवानों तक सब को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए यही हम सबका धैर्य होना चाहिए। धन्यवाद आवर वे ऑफ द मोटिव में आपका स्वागत है, स्वतन्त्रता दिवस पर निबंध गरिमापूर्ण शब्दों में व्यक्त करना है पूर्ण जानकारी व्यक्त कीजिये सुसज्जि
नेहा उदय भान गुप्ता
15 अगस्त 1947 का दिन... जिस दिन भारत आजाद हुआ, तब से लेकर हम आज तक इस दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनातें हैं, आज के दिन हम ध्वजारोहण करतें हैं और पूरे हर्ष उल्लास के साथ इस दिन को एक पर्व के रूप में मनातें हैं, जाति वर्ण के भेद को भूलकर इस पर्व को बेहद शालीनता से और ख़ुशी के साथ मनातें हैं.......पर ये स्वतंत्रता दिवस केवल हमारी स्वतंत्रता ही नहीं हैं....ये हमारे वीरों के शहादत की निशानी हैं, उनकी कुर्बानी हैं, उनका बलिदान हैं, उनके समर्पण की निशानी हैं....ये हमारी वो स्वतंत्रता हैं जों ख़ुद को गुलामी में कैद करा लिया.....पर भारत को स्वतंत्रता दिलाने का हठ नहीं छोड़ा....अपनी मां की कोख सुनी कर गए.....पर अपनी भारत मां की स्वतंत्रता का हठ नहीं छोड़ा.....पत्नी की मांग की सिंदूर मिट गई...बहन की राखी अधूरी रह गई....पर वो अडे रहें अपनी मां की स्वतंत्रता के लिए........ अतेव हमारा भी फ़र्ज़ बनता हैं अपनें देश के प्रति, अपनें शहीद वीरों के प्रति, खुद अपनें प्रति....जिससे ये देश दिन प्रतिदिन उन्नति करता रहे....जी ऊंचाई पर वीर भाई देखना चाहते थे हम वहां तक लें जाएं...... हम एक लक्ष्य बनाएं इस दिन और पूरे साल पूरे मनोयोग से उस लक्ष्य को पूरा करें....फिर नए वर्ष नया लक्ष्य बनाएं....और ये कार्य निरन्तर करतें रहे...अपनें लिए, अपनें ,परिवार के लिए, अपनें देश के लिए... धन्यवाद आवर वे ऑफ द मोटिव में आपका स्वागत है, स्वतन्त्रता दिवस पर निबंध गरिमापूर्ण शब्दों में व्यक्त करना है पूर्ण जानकारी व्यक्त कीजिये सुसज्जि
नेहा उदय भान गुप्ता
भारत की होती जिनसे शोभा, जों दिखलाती भारत की आभा। आज उदय दुलारी नेह लिखेगी, भारत के विरासत स्थलों की गाथा।। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, फ़ैला मेरे भारत का प्रकाश हैं। पूरब पश्चिम हो या बात करूं उत्तर दक्षिण की, चारों दिशा में भारत की बात हैं। मंदिर मंदिर में होता महाभारत, गीता, वेद, और हैं पुराण यहां। भाई चारा हैं यहां, मस्जिदों में होती हैं संग संग बैठकर कुरान यहां।। राम की भूमि अयोध्या नगरी यहां, सांवरे की मथुरा वृंदावन बृजधाम हैं। काशी विश्वनाथ का मंदिर, प्रयाग राज का संगम, चित्रकूट का धाम हैं।। कुतुबमीनार, लालकिला, और हैं जामा मस्जिद, भारत की शान हवा महल। आठवां अजूबा हमारे यहां, शाहजहां के प्रेम की याद दिलाता वो ताजमहल।। अमरकंटक, स्वर्ण मंदिर, रामायण में नल नीर की याद दिलाता वो रामेश्वरम। चारों धाम हमारे भारत धाम में, उदय दुलारी नेह करती इनको बारम्बार नमन।। गंगा यमुना सरयू की धार यहां, ग्वालियर के किलों की अजब शान हैं। फूलों की घाटी, सारनाथ, चंपागढ़ पावनेर ये हर भारतीयों का अभिमान हैं।। सांची का स्तूप यहां, एलीफेंटा की गुफाएं काजीरंगा, चोल मंदिर, हम्पी का स्मारक हैं। कोरणार्क का सूर्य मंदिर, भीम बेटिका बोधगया और फतेहपुर सीकरी भारत के विरासत हैं।। आवर वे ऑफ द मोटिव में आपका स्वागत है, भारत के अनेक विरासत स्थल को एक कविता में समाहित कीजिये । पूर्ण जानकारी सहित सुसज्जित शब्दो मे, कोई
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
भारत की होती जिनसे शोभा, जों दिखलाती भारत की आभा। आज उदय दुलारी नेह लिखेगी, भारत के विरासत स्थलों की गाथा।। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, फ़ैला मेरे भारत का प्रकाश हैं। पूरब पश्चिम हो या बात करूं उत्तर दक्षिण की, चारों दिशा में भारत की बात हैं। मंदिर मंदिर में होता महाभारत, गीता, वेद, और हैं पुराण यहां। भाई चारा हैं यहां, मस्जिदों में होती हैं संग संग बैठकर कुरान यहां।। राम की भूमि अयोध्या नगरी यहां, सांवरे की मथुरा वृंदावन बृजधाम हैं। काशी विश्वनाथ का मंदिर, प्रयाग राज का संगम, चित्रकूट का धाम हैं।। कुतुबमीनार, लालकिला, और हैं जामा मस्जिद, भारत की शान हवा महल। आठवां अजूबा हमारे यहां, शाहजहां के प्रेम की याद दिलाता वो ताजमहल।। अमरकंटक, स्वर्ण मंदिर, रामायण में नल नीर की याद दिलाता वो रामेश्वरम। चारों धाम हमारे भारत धाम में, उदय दुलारी नेह करती इनको बारम्बार नमन।। गंगा यमुना सरयू की धार यहां, ग्वालियर के किलों की अजब शान हैं। फूलों की घाटी, सारनाथ, चंपागढ़ पावनेर ये हर भारतीयों का अभिमान हैं।। सांची का स्तूप यहां, एलीफेंटा की गुफाएं काजीरंगा, चोल मंदिर, हम्पी का स्मारक हैं। कोरणार्क का सूर्य मंदिर, भीम बेटिका बोधगया और फतेहपुर सीकरी भारत के विरासत हैं।। आवर वे ऑफ द मोटिव में आपका स्वागत है, भारत के अनेक विरासत स्थल को एक कविता में समाहित कीजिये । पूर्ण जानकारी सहित सुसज्जित शब्दो मे, कोई
aakanksha Tiwari
यह गाथा हम शब्दों में क्या गाये। लिखते-लिखते पन्ने हजारों भर जाए।। कश्मीर से कन्याकुमारी तक तिरंगे की शान में। भारत है अजूबा सारे जहान में।। ह्रदय में जिसके धड़कता मध्य भारत है । अमरकंटक- पंचवटी -उज्जैन -खजुराहो है।। जीवन की सरिता गंगा- यमुना -सरस्वती। सुश्रुत ने दी विश्व को अपनी सुश्रुत संहिता।। रामेश्वरम- स्वर्णमंदिर- जामा मस्जिद गुरुद्वारे । दे शांति मन को भक्तों की दुख सारे हारे।। महाभारत- रामायण -गीता में ज्ञान का मार्ग दिखाया। संसार को धर्म का पाठ पढ़ाया।। कुतुब मीनार- ताजमहल -लालकिला- हवा महल शान है हमारी। इस देश की विरासत पहचान है हमारी।। यह गाथा हम शब्दो में क्या गाये। लिखते लिखते पन्ने हजारों भर जाएं।। आवर वे ऑफ द मोटिव में आपका स्वागत है, भारत के अनेक विरासत स्थल को एक कविता में समाहित कीजिये । पूर्ण जानकारी सहित सुसज्जित शब्दो मे, कोई
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
15 अगस्त 1947 का दिन... जिस दिन भारत आजाद हुआ, तब से लेकर हम आज तक इस दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनातें हैं, आज के दिन हम ध्वजारोहण करतें हैं और पूरे हर्ष उल्लास के साथ इस दिन को एक पर्व के रूप में मनातें हैं, जाति वर्ण के भेद को भूलकर इस पर्व को बेहद शालीनता से और ख़ुशी के साथ मनातें हैं.......पर ये स्वतंत्रता दिवस केवल हमारी स्वतंत्रता ही नहीं हैं....ये हमारे वीरों के शहादत की निशानी हैं, उनकी कुर्बानी हैं, उनका बलिदान हैं, उनके समर्पण की निशानी हैं....ये हमारी वो स्वतंत्रता हैं जों ख़ुद को गुलामी में कैद करा लिया.....पर भारत को स्वतंत्रता दिलाने का हठ नहीं छोड़ा....अपनी मां की कोख सुनी कर गए.....पर अपनी भारत मां की स्वतंत्रता का हठ नहीं छोड़ा.....पत्नी की मांग की सिंदूर मिट गई...बहन की राखी अधूरी रह गई....पर वो अडे रहें अपनी मां की स्वतंत्रता के लिए........ अतेव हमारा भी फ़र्ज़ बनता हैं अपनें देश के प्रति, अपनें शहीद वीरों के प्रति, खुद अपनें प्रति....जिससे ये देश दिन प्रतिदिन उन्नति करता रहे....जी ऊंचाई पर वीर भाई देखना चाहते थे हम वहां तक लें जाएं...... हम एक लक्ष्य बनाएं इस दिन और पूरे साल पूरे मनोयोग से उस लक्ष्य को पूरा करें....फिर नए वर्ष नया लक्ष्य बनाएं....और ये कार्य निरन्तर करतें रहे...अपनें लिए, अपनें ,परिवार के लिए, अपनें देश के लिए... धन्यवाद आवर वे ऑफ द मोटिव में आपका स्वागत है, स्वतन्त्रता दिवस पर निबंध गरिमापूर्ण शब्दों में व्यक्त करना है पूर्ण जानकारी व्यक्त कीजिये सुसज्जि
aakanksha Tiwari
प्रस्तावना है आत्मा, निर्माताओं की मन की कुंजी है। यह संविधान हमारा देश की आजादी के पूंजी है।। भेदभाव से रहित समता जिसमें समाहित है । कानून का रखवाला, विश्व के बृहद हस्त लेखनी है ।। अंबेडकर है पिता जिसके महान हमारे जो महानायक है। संविधान हमारा जो इस देश का रखवाला है।। आवर वे ऑफ द मोटिव में आपका स्वागत है, संविधान के तथ्य गरिमापूर्ण शब्दों में व्यक्त करना है पूर्ण जानकारी व्यक्त कीजिये सुसज्जित शब्दो मे,
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
जो जीवन का सार हैं, जिसको जानता हैं जग सारा। आज उदय दुलारी नेह बताएगी, संविधान की गाथा। बहुत पुरानी बात हैं, आजादी का जब बजा बिगुल था। चारों तरफ खुशी का माहौल, पर कुछ तो कमी था। कौन कैसे कहां से शुरुवात करें, था यें प्रश्न गंभीर। तब आएं बाबा भीमराव, बनकर भारत का वीर। 58 देशों का भ्रमण किया, किया वहां की बातों का अध्यन। करके एक सभा गठित, होने लगा फ़िर संविधान पर मंथन। 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय, बन तैयार हुआ हमारा संविधान। 299 लोगों ने लिखा इसे, स्थाई अध्यक्ष बनें राजेन्द्र प्रसाद। 26 जनवरी 1950 को, लागु हुआ हमारे संविधान का विधान। तबसे हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता संविधान दिवस। सबसे बड़ा लिखित संविधान ये, सब कुछ का इसमें विधान। बाबा भीमराव ने हर वर्ग के लिए इसमें किया है प्रावधान। है इसमें एक उद्देशिका सम्मिलित, 448 हैं इसमें अनुच्छेद। 12 अनुसूची सम्मलित इसमें, संविधान में हैं 25 भाग।। 5 अनुलग्नक इसमें समलित, 125 हुए अभी तक संशोधन। धर्म निरपेक्ष शब्द जोड़ा गया, करके अलग संशोधन। एकता अखंडता का प्रतीक, मूल कर्तव्यों का हैं समावेश। सभी वर्णों का मूल अधिकार इसमें, इसमें नहीं कोई द्वेष। नीति निदेशक तत्व की, बात हैं सबसे प्यारी। बच्चों से लेकर बूढों तक, रक्षा करती ये हमारी। 26 जनवरी का दिन हैं इतना प्यारा, कैसे करूं मैं इसकी बखान। इसी दिन दिए जाते हैं, भारत रत्न, पद्म भूषण आदि सम्मान। कविता - जो जीवन का सार हैं, जिसको जानता हैं जग सारा। आज उदय दुलारी नेह बताएगी, संविधान की गाथा। बहुत पुरानी बात हैं, आजादी का जब बजा बिगुल
नेहा उदय भान गुप्ता
जो जीवन का सार हैं, जिसको जानता हैं जग सारा। आज उदय दुलारी नेह बताएगी, संविधान की गाथा। बहुत पुरानी बात हैं, आजादी का जब बजा बिगुल था। चारों तरफ खुशी का माहौल, पर कुछ तो कमी था। कौन कैसे कहां से शुरुवात करें, था यें प्रश्न गंभीर। तब आएं बाबा भीमराव, बनकर भारत का वीर। 58 देशों का भ्रमण किया, किया वहां की बातों का अध्यन। करके एक सभा गठित, होने लगा फ़िर संविधान पर मंथन। 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय, बन तैयार हुआ हमारा संविधान। 299 लोगों ने लिखा इसे, स्थाई अध्यक्ष बनें राजेन्द्र प्रसाद। 26 जनवरी 1950 को, लागु हुआ हमारे संविधान का विधान। तबसे हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता संविधान दिवस। सबसे बड़ा लिखित संविधान ये, सब कुछ का इसमें विधान। बाबा भीमराव ने हर वर्ग के लिए इसमें किया है प्रावधान। है इसमें एक उद्देशिका सम्मिलित, 448 हैं इसमें अनुच्छेद। 12 अनुसूची सम्मलित इसमें, संविधान में हैं 25 भाग।। 5 अनुलग्नक इसमें समलित, 125 हुए अभी तक संशोधन। धर्म निरपेक्ष शब्द जोड़ा गया, करके अलग संशोधन। एकता अखंडता का प्रतीक, मूल कर्तव्यों का हैं समावेश। सभी वर्णों का मूल अधिकार इसमें, इसमें नहीं कोई द्वेष। नीति निदेशक तत्व की, बात हैं सबसे प्यारी। बच्चों से लेकर बूढों तक, रक्षा करती ये हमारी। 26 जनवरी का दिन हैं इतना प्यारा, कैसे करूं मैं इसकी बखान। इसी दिन दिए जाते हैं, भारत रत्न, पद्म भूषण आदि सम्मान। कविता - जो जीवन का सार हैं, जिसको जानता हैं जग सारा। आज उदय दुलारी नेह बताएगी, संविधान की गाथा। बहुत पुरानी बात हैं, आजादी का जब बजा बिगुल