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Anupama Jha
"काश" इच्छाओं का उपसर्ग है और "आस" प्रत्यय । #काश #आस #उपसर्ग #प्रत्यय #yqdidi #hindiquote #हिंदीकोट्स
Veer Keh Raha
On the Border वीरता के दीप प्राण पुंज से जलाने वाली सोमनाथ जैसी जिन्दगानियाँ प्रणम्य है। पैर से मशीन गन बांध के चलाने वाली कुमाऊँ के सिंह की कहानियाँ प्रणम्य है। शौर्यता की गोलियों से तोप को उड़ाने वाली अब्दुल हमीद की रवानियाँ प्रणम्य है। कारगिली चोटियों की जीत में शहीद हुई विक्रम, मनोज की जवानियाँ प्रणम्य है। कारगिली चोटियों की जीत में शहीद हुई विक्रम, मनोज की जवानियाँ प्रणम्य है। #kargilvijaydiwas #IndianArmy #Soldier Internet Jockey Satyaprem
vishnu prabhakar singh
गुम हो जाता है परस्पर अपेक्षा में काबिज़ चलन में उपसत्य जो है गुम हो जाता है धन अर्जन में रीती के टेक में उपवंश जो है गुम हो जाता है विकास के दौर में संयत के तौर में उपयोग जो है गुम हो जाता है पुत्र के मोह में मित्र के जोह में उपहार जो है गुम हो जाता है सेवा के भाव में मेवा के चाव में उपचित्त जो है जिस तरह समाजवाद का उपसर्ग परिवारवाद,उसी तरह नैतिकता का उपसर्ग बदलाव। #गुमहोजाताहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Y
Veer Keh Raha
वीरता के दीप प्राण पुंज से जलाने वाली सोमनाथ जैसी जिन्दगानियाँ प्रणम्य है। पैर से मशीन गन बांध के चलाने वाली कुमाऊँ के सिंह की कहानियाँ प्रणम्य है। शौर्यता की गोलियों से तोप को उड़ाने वाली अब्दुल हमीद की रवानियाँ प्रणम्य है। कारगिली चोटियों की जीत में शहीद हुई विक्रम, मनोज की जवानियाँ प्रणम्य है। कारगिली चोटियों की जीत में शहीद हुई विक्रम, मनोज की जवानियाँ प्रणम्य है। #IndianArmy #kargilvijaydiwas #Nojoto #Poetry Internet Jockey
Kavi Diptesh Tiwari
आतंक क्यो हम आतंकी आघातों को सीने में सह जाते है, क्यो हम पकिस्तानी बातो को सुनकर रह जाते है, और अपमान हमारी भारत मा जननी का होता है, तो क्यो हम नपुंसक होके शर्मशार खड़े रह जाते है, इतना चोटिल हम न होते गर द्रोण अभी भी होते, हम इतने लाचार न होते गर कौटिल्य अभी भी होते, और लाशें मां के बेटो की ना आती वापस घर को, गर कुरुओ के बल गंगा पुत्र भीष्म अभी भी होते, थोड़ी आज़ादी देकर हिम्मत भर दो हममे मोदी जी, हम यल.ओ.सी के भीतर घुस उनको काल दिखाएंगे, थोड़ी पंख लगा हमको आकश दिखा दो मोदी जी, फिर तो हम चण्डी को आतंकी मुंडमाल पहनाएंगे, और थोड़ी भर दो जान हमारी बन्दूकों में मोदी जी, तो फिर हम पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाएंगे, दिप्तेश तिवारी आतंक सभी को मेरा प्रणम्य हाल में ही हमे शहीद नरेंद्र के बारे में पता चला कैसे आतंकियों ने उनका कत्ल कर दिया तब मैं कुछ कहता हूँ अगर सच कह रह
Vedantika
अति काम मद लोभ में देखो मनुष्य गया हार देव के भेष में राक्षसों की हो रही जय-जयकार मानवता का हुआ हनन सब देख रहे है निःशब्द खुद पर संकट आएगा तो चिल्लाएंगे सब गैरजिम्मेदार सब हुए एक दूसरे को रहे ताक कौन सुधारे खुद को घूम रहे सब बेबाक मान मनोव्वल चाहिए झूठे हो जज्बात दिल खोल बता रहे एक दूसरे की बात विशेष बन कर रह रहे दुनिया मे धनवान गरीब की पीड़ा से रहे हरदम ये अंजान चलते रहे जो मखमली कालीन पर सदा कैसे सहे पथरीली जमीन के निशान निसन्देह इस संसार मे सब नहीं एक जैसे जीवन की कठिन डगर पार होगी कैसे प्रश्न बड़ा ही है कठिन उत्तर ना जाने कोई ईश्वर की शक्ति के आगे राह आसान बन जाई उपसर्ग का प्रयोग: अति- बहुत ज्यादा गैरजिम्मेदार- लापरवाह विशेष- खास निसन्देह- बिना किसी शक के