Nojoto: Largest Storytelling Platform

New अमरेला आस्तीन Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about अमरेला आस्तीन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अमरेला आस्तीन.

Sushma

#Ladki शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो इतनी आँखें गिरी जमीं पर कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ

read more
Unsplash शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ कॉलर में अटकी थी
कुछ उलझी थी बालों में
गर्दन के पीछे चिपकी मिली
कुछ उंगलियों में पोरों में, कुछ नशीली कुछ रसीली
कोई बेशर्मी से भरी हुई
ये आंखें ऐसी क्यों हैं? उनकी हमारी सी आंखें
पर इतना अंतर क्यों है?
मैं रोज़ प्रार्थना करती हूँ
कुछ न चिपका मिले मुझ पर
जैसी मैं सुबह जाती हूँ घर से ,
वैसे साफ सुथरी आऊं वापस
मगर ऐसा हो पाता नहीं
बोझ उठाये नजरों का हरदम
चलते रहना नियति है मेरी, शायद।

©Sushma #Ladki  शाम घर आकर जब मशायद खुद को झड़ाया तो
इतनी आँखें गिरी जमीं पर
कुछ घूरती, कुछ रेंगती ,कुछ टटोलती मेरा तन मन
कुछ आस्तीन में फंसी थी ,कुछ

BROKENBOY

#Exploration कुछ शो पीस, कुछ निराशा के मोती, कुछ आस्तीन के सांप, कुछ मतलबी पीठ, कुछ झूठे कंधे, कुछ खीर में खटाई, और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं

read more
कुछ शो पीस,
कुछ निराशा के मोती,
कुछ आस्तीन के सांप,
कुछ मतलबी पीठ,
कुछ झूठे कंधे,
कुछ खीर में खटाई,
और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं के सौदागर,
सब दोस्त दोस्त नहीं होते!!!!

©BROKENBOY #Exploration 
कुछ शो पीस,
कुछ निराशा के मोती,
कुछ आस्तीन के सांप,
कुछ मतलबी पीठ,
कुछ झूठे कंधे,
कुछ खीर में खटाई,
और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं

Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

read more
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile