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Sanjeev Prajapati
शायद ही कोई इतना नासमझ होगा जो काली और गोरी चमड़ी पर पुते रंगीन पाउडर और क्रीमों को न पहचान पाए। होठों पर लाली पोत लेने पर और भौहों को उस्तरे से छीलकर उन्हें काले रंग से नकली भौंहें बना लेने पर अपने आप को मॉडल दिखने वाले सपना निरर्थक है किसी भी वस्तु की स्थिति और उसका आकार किसी से छुपता नहीं है। ©Sanjeev Prajapati शायद ही कोई इतना नासमझ होगा जो काली और गोरी चमड़ी पर पुते रंगीन पाउडर और क्रीमों को न पहचान पाए। होठों पर लाली पोत लेने पर और भौहों को उस्तरे
Monika Kanwar
बड़ी गहराइयों तक छू जाते हो तुम तुम्हारी अनकही बाते जो मैं बस देखकर समझ जाती हूं। तुम्हारी आंखो में कैद वो दर्द जो मुझसे नजरे मिलाते ही खामोशी से छलक जाता है। बड़ी गहराइयों तक छू जाते हो तुम। जब तुम उलझ जाते हो किसी अनसुलझी सी पहेली में, अपने दोनों हाथों की उंगलियों के आगे के सिरे को अपनी माथे की कनपटियों पर लगाते हो। अपनी भौहों को सिकोड़कर नाक की सिलवटों से सटाते हो। बड़ी गहराइयों तक छू जाते हो तुम।। #NojotoQuote #poetry_of_mine बड़ी गहराइयों तक छू जाते हो तुम तुम्हारी अनकही बाते जो मैं बस देखकर समझ जाती हूं। तुम्हारी आंखो में कैद वो दर्द जो मुझसे नज
अशेष_शून्य
तुम्हें स्मरण कर, विस्तृत होती असंख्य कल्पना! और मेरे भौहों के मध्य तुम्हारे होठों के स्पर्श से, मंदाकिनी के अंतिम छोर तक प्रतिबिंबित होती मेरी अनंत चेतना ! हां इसी प्रेम की आभा से प्रकाशित है मेरे ब्रह्मांड का हर एक कण! फ़िर तुम ही कहो कि सूर्य को हथेली पे रखकर क्या मिलेगा मुझे !! -Anjali Rai सप्त वचनों का ये .....पहला वाक्य है शब्द का पहला अक्षर मैं हूं और अंतिम तुम......❤️ ___________________ तुम्हें स्मरण कर, विस्तृत होती असंख
Shree
मूंदी पलकों में आपका अक्स, अधरों पर उभरी मुस्कान है... पल्लू बन कर लिपटी तन से, पूर्णतया अवलोकित सम्मान है! सुकून से लटें जो ठहरीं बंधी, कानों के पीछे कुछ गाती हैं, लाल चुड़ियों में खनकता... स्नेह निवेदन का प्रस्ताव है! रौनक सी बिखर लौटती रौशनी.. गई उजागर करने पथ आपके, हवा छू कर छेड़ती निकलती... अभिमंत्रित करती एक नाम है! दोनों भौहों के बीच केंद्रित, और थोड़ा अधरों पर बिखरी शान है! ये नैन-नक्श़, ये भाव-भंगिमा, उफ्फ़.. ठंडक बरसाता ख़्वाब है! मूंदी पलकों में आपका अक्स, अधरों पर उभरी मुस्कान है... पल्लू बन कर लिपटी तन से, पूर्णतया अवलोकित सम्मान है! सुकून से लटें जो ठहरीं बंध
ravindra pareek (गुरगुल)
NEERAJ SIINGH
तुम मुझकों नीर समझ लेना मैं तुमको धरा मैं चलूंगा तुम्हारी मांग से बनकर एक बूंद जरा , तुम मुझें अपने प्रेम के अंकुर के समान सम्मान देना धरा , मार्ग के हर ओर छोर पर तुम साथ देना मेरा , मैं उतरूंगा मांग से माथे में चूमते तुम्हारे ललाट को भौहों के बीच से फिसलूंगा में नाक को फिर अधरों की प्यास मैं बन जाऊंगा.. तुम्हे उकसाकर मैं थोड़ा और चंचल बन आऊंगा , मैं गिरूँगा तुम्हारे वक्ष पर प्रेम से मैं कोमल स्पर्श की अलख जगाउँगा , सिहरन उठा कर मैं बिंदुओं में फिर नाभि पर ठहर जाऊंगा कुछ पल तुम्हारे साथ मैं वहां जी पाऊंगा होंगे जब तुम आग मैं योनि में उतर जाऊंगा तुम रसपान मेरा कर लेना मैं तुममें सहज कहीं छिप जाऊंगा , बनकर प्रेमलीला मैं प्रेम का खेल दिखाऊंगा ,होंगे जब तुम चरम पर मैं छिटक कहीं दूर तुम्हे प्रणाम पैरों में गिर जाऊंगा तुम प्रेम के देवी मैं एक अंकुर तुम्हें बारम्बार नमन कर जाऊंगा..... तुम मुझकों नीर समझ लेना मैं तुमको धरा .. तुम मुझकों नीर समझ लेना मैं तुमको धरा मैं चलूंगा तुम्हारी मांग से बनकर एक बूंद जरा , तुम मुझें अपने प्रेम के अंकुर के समान सम्मान देना धरा
Anuradha T Gautam 6280
N S Yadav GoldMine
क्या कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत? जानिए क्या है मान्यता करवाचौथ पर बुधादित्य योग में अर्घ्य देंगी महिलाएं, जानिए चंद्र पूजन क्यों? 🌝🌝 {Bolo Ji Radhey Radhey} करवा चौथ 2022 :- 🍏 पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर 2022, दिन गुरुवार को रखा जाएगा। करवा चौथ का ये व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। महिलाएं करवा चौथ के दिन कठिन उपवास रखती है और चांद के निकलने तक पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती हैं। दिन भर व्रत रहने के बाद रात में चौथ का चांद देखने के बाद छलनी में पति का चेहरा देखकर ही महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। इस व्रत को पति के दीर्घायु और दांपत्य जीवन में खुशहाली प्रदान करने वाला माना गया है, इसलिए शादी-शुदा महिलाओं के द्वारा ये व्रत रखने का विधान है। वैसे तो ये व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा करने का विधान है, लेकिन कई बार लोगों के मन में ये प्रश्न आता है कि क्या अविवाहित लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं या नहीं। क्या अविवाहित लड़कियां भी रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत ? 🍏 ज्योतिष की माने तो अविवाहित लड़कियां अपने मंगेतर या प्रेमी जिसे वो अपना जीवन साथी मान चुकी हों, उनके लिए करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं। मान्यता है कि इससे उन्हें करवा माता का आशीष प्राप्त होता है। लेकिन कुंवारी कन्याओं के लिए करवा चौथ व्रत व पूजन के नियम अलग-अलग होते हैं, इसलिए यदि आप अविवाहित हैं और करवा चौथ का व्रत करना चाहती हैं, तो सबसे पहले इन बातों के बारे में जान लेना आवश्यक है। 🍏 वैसे तो इस व्रत में भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा का पूजन किया जाता है। लेकिन कुंवारी कन्याओं को करवा चौथ के व्रत में केवल मां करवा की कथा सुननी चाहिए व भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करना चाहिए। 🍏 कुंवारी लड़कियां तारों को देखकर अर्घ्य दे सकती हैं और व्रत का पारण कर सकती हैं। मान्यता के अनुसार, चंद्रमा को अर्घ्य देने का नियम केवल सुहागिन स्त्रियों के लिए होता है। इसके अलावा अविवाहित लड़कियों को छलनी के प्रयोग करने की भी कोई बाध्यता नहीं है। वे बिना छलनी के ही तारों को देखकर अर्घ्य दे सकती हैं और व्रत का पारण कर सकती हैं। इसलिए की जाती है चौथ पर चंद्रमा की पूजा :- 🍏 ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है,जो मन की चंचलता को नियंत्रित करता है। हमारे शरीर में दोनों भौहों के मध्य मस्तक पर चंद्रमा का स्थान माना गया है। यहां पर महिलाएं बिंदी या रोली का टीका लगती हैं,जो चंद्रमा को प्रसन्न कर मन का नियंत्रण करती हैं। भगवान शिव के मस्तक पर अर्धचंद्र की उपस्थिति उनके योगी स्वरूप को प्रकट करती हैं। अर्धचंद्र को आशा का प्रतीक मानकर पूजा जाता है। पुराणों में उल्लेख है कि सौभाग्य, पुत्र, धन-धान्य, पति की रक्षा एवं संकट टालने के लिए चंद्रमा की पूजा की जाती है। 🍏 करवाचौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का एक अन्य कारण यह भी है कि चंद्रमा औषधियों और मन के अधिपति देवता हैं। उसकी अमृत वर्षा करने वाली किरणें वनस्पतियों और मनुष्य के मन पर सर्वाधिक प्रभाव डालती हैं। दिन भर उपवास के बाद चतुर्थी के चंद्रमा को छलनी की ओट में से सभी नारियां देखती हैं,तो उनके मन पर पति के प्रति अनन्य अनुराग का भाव उत्पन्न होता है,उनके मुख व शरीर पर एक विशेष कांति 🍏 इससे महिलाओं का यौवन अक्षय,स्वास्थ्य उत्तम और दांपत्य जीवन सुखद हो जाता है। उपनिषद के अनुसार जो व्यक्ति चंद्रमा में पुरुषरूपी ब्रह्म को जानकार उसकी उपासना करता है,वह उज्जवल जीवन व्यतीत करता है। उसके सारे कष्ट दूर होकर सभी पाप नष्ट हो जाते हैं एवं वह लंबी आयु पाता है। चंद्रदेव की कृपा से उपासकों की इस लोक और परलोक में रक्षा होती है। करवा चौथ पूजा नियम :-🍏 पूजा की थाली में रोली, चावल, दीपक, फल, फूल,पताशा,सुहाग का सामान और जल से भरा कलश रखा जाता है। करवा के ऊपर मिटटी की सराही में जौ रखे जाते हैं। जौ समृद्धि,शांति,उन्नति और खुशहाली का प्रतीक होते हैं। ध्यान रहे कि पूजा की थाली में खंडित चावल व माचिस न रखें। 🍏 चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें। भूलकर भी अर्घ्य देते समय जल के छींटे पैरों पर न पड़ें,ऐसा होना शुभ नहीं माना जाता है। 🍏 मिटटी का करवा गणेशजी का प्रतीक माना गया है,इससे चंद्रमा को अर्घ्य दें और दूसरे लोटे के पानी से व्रत खोलें। 🍏 करवा साबुत और स्वच्छ होना चाहिए,टूटा या दरार वाला करवा पूजा में अशुभ माना गया है। 🍏 जिस सुहाग चुन्नी को पहनकर आपने कथा सुनी,उसी चुन्नी को ओढ़कर चंद्रमा को अर्घ्य दें। 🍏 इस दिन किसी की बुराई-चुगली अथवा किसी का अपमान न करें एवं लहसुन-प्याज वाला और तामसिक खाना न बनाएं। ©N S Yadav GoldMine क्या कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत? जानिए क्या है मान्यता करवाचौथ पर बुधादित्य योग में अर्घ्य देंगी महिलाएं, जानिए चंद्र प