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Harshit Rajasthani Official
Unsplash दो दिन की जिंदगी है हंस कर जी लीजिए, कोई भरोसा नहीं ये जिंदगी कब किस मोड़ पर विराम दे जाए। ©Singer Harshit Rajasthani दो दिन की जिंदगी
दो दिन की जिंदगी
read moreAnjali Singhal
बचपन के वो सुहाने दिन ✍️ #AnjaliSinghal #bachpan #Poetry #poetrycommunity #poetryshayari shayari nojoto
read moreनवनीत ठाकुर
"उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद, आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज। हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात, दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ, मयखाना खोल दो, मिले हैं यार दो साल बाद।" हर दिल से मिटा दो दूरी की साज़िश, महफ़िल को बना दो जन्नत की सौगात।" ©नवनीत ठाकुर "उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद, आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज। हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात, दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ
"उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद, आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज। हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात, दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ
read moreRAMLALIT NIRALA
गरिबी एक ऐसी बीमारी है साहैब जिसे ठीक होने के लिये डाक्टर या हाकिम कि जरूरत नहीं पैसो की होती है ©RAMLALIT NIRALA पैसा एक ऐसा दवा है मेहनत के बाद असर करती है
पैसा एक ऐसा दवा है मेहनत के बाद असर करती है
read moreParasram Arora
White काफ़ी दिनों तक साथ साथ हम चलते रहे फिर एक दिन अलग हुए अब मुझे तलाश है उस जगह की जहा नदी के दोनों किनारे जा कर मिलते हो ©Parasram Arora दो किनारे
दो किनारे
read moreneelu
White सारे मामलों की, सारे समस्यों की सारे फसाद की जड़ है........... बात शुरू ...बात खत्म ऐसी कोई एक वजह होती तो कितना अच्छा होता है.. आप अपना एक शब्द बना सकते हैं और फिर दिन में उसे चार बार रिपीट करेंगे तो आपको याद रहेगा.. ©neelu #good_night #आप #अपना एक शब्द बना सकते हैं और फिर दिन में उसे चार बार रिपीट #करेंगे तो #आपको याद रहेगा
#good_night #आप #अपना एक शब्द बना सकते हैं और फिर दिन में उसे चार बार रिपीट #करेंगे तो #आपको याद रहेगा
read mores गोल्डी
झालर उतार दिए , लडिया लपेट रहे है ! दिवाली बीत गई , अब खुशियां समेट रहे हैं !! ©s गोल्डी दिवाली के बाद
दिवाली के बाद
read moreShiv Narayan Saxena
बीते दिन बरसात के, फूले कास निहार। बड़ी रात के नाम से, दिवस हुए लाचार।। धीरे-धीरे झॉंक कर, कोहरा कर अनुमान। बीते दिन बरसात के, धुंध नयी मेहमान।। सेवानिवृत्त करैं सभी, विगत ज्यों वर्षा-बात। आज चुनौती हैं नयी, उनको क्या यह ज्ञात।। बीता मौसम मेंह का, प्रकृति न अब उमसाय। आया मौसम शौकिया, सब का मन हर्षाय।। मिलन अश्रु नहिं नयन मॉं, बीत गयी बरसात। अली कली और तितलियॉं, करें मिलन की बात।। ©Shiv Narayan Saxena #बारिशें बीते दिन बरसात के..... hindi poetry on life
#बारिशें बीते दिन बरसात के..... hindi poetry on life
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