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Abhishek 'रैबारि' Gairola
हिमालय की गोद, वादियों की ठंडी हवा, बर्फ़ की कुशाग्र चोटियां, रमणिक पहाड़ी गांव और उनका सुस्त व श्रमिक जीवन, बूढ़ी दंतहीन दादी, गौचर, भोटिया कुकुर, पंछी, नदी, मिट्टी के मकान, चीड़, बांज और देवदार के वृक्ष, नारंगी-पीले मालटे और पुष्प। कहो सुकून क्या है? ©Abhishek 'रैबारि' Gairola हिमालय की गोद, वादियों की ठंडी हवा, बर्फ़ की कुशाग्र चोटियां, रमणिक पहाड़ी गांव और उनका सुस्त व श्रमिक जीवन, बूढ़ी दंतहीन दादी, गौचर, भोटिया
शिखर सिंह
तंग सब जंग से, क्या मिला जंग में, हम खुश जंग में, तुम दुखी जंग से, तन्हा हुए जंग में, रिश्ते भंग जंग से, लाल रंग जंग में, आँख नम जंग से, बरबाद सब जंग में, बेतार सब जंग से, अंग भंग जंग में, कुशाग्र तंग जंग से, तन घायल जंग में, मन घायल जंग से, लाभ क्या जंग में, सब लुप्त जंग से, ओझल हुए जंग में, सम्पदा नष्ट जंग से, काल सब जंग में, विनाश सब जंग से, तुम खुश जंग में, हम दुखी जंग से, तंग सब जंग से, क्या मिला जंग में। -शिखर सिंह तंग सब जंग से, क्या मिला जंग में, हम खुश जंग में, तुम दुखी जंग से, तन्हा हुए जंग में, रिश्ते भंग जंग से, लाल रंग जंग में, आँख नम जंग से, बरब
रजनीश "स्वच्छंद"
ज़िंदा हूँ मैं।। रुधिरों में बहता वही तो रक्त, रवानी वही वही है अभिव्यक्त। संताप का ज्वर समेटे मन मे, बस जिये जा रहा हूँ अभिशप्त। फिर आया ख्याल, अरे हाँ अभी ज़िंदा हूँ मैं। फुटपाथों पर सोता भविष्य-बचपन, खाली उदर और नग्न बदन। मूक बधिर सुनता हूँ चीत्कार सब, द्रवित होता हृदय नहीं सुन कोई रुदन। फिर आया ख्याल, अरे हाँ अभी ज़िंदा हूँ मैं। तीव्र कुशाग्र, तीव्रतम कुशाग्र, मन छलता दानवी ये व्याघ्र। दैव जनित माटी में पशुता का वास, निजकर करूँ अपना ही श्राद्ध। फिर आया ख्याल, अरे हाँ अभी ज़िंदा हूँ मैं। उचित अनुचित भरपूर वंचित, हृदय धकेलता लहु भाव निःसंचित। कष्ट पूरित मानव देह धर, कर्म धर्म का शेष न किंचित। फिर आया ख्याल, अरे हाँ अभी ज़िंदा हूँ मैं। न सहचर अनुचर, धड़ बिन सर, व्ययीत होता पहर पे पहर। अश्वरोध लगे आंखों से, कृमिरुप रहा मैं हूँ टघर। फिर आया ख्याल, अरे हाँ अभी ज़िंदा हूँ मैं। स्याही श्वेत कागज़ भी श्वेत, बस अवलोकन का रहता खेद। न कोई श्रमिक न पथद्रष्टा मैं, बस बहते रहे आंसू और स्वेद। फिर आया ख्याल, अरे हाँ अभी ज़िंदा हूँ मैं। किस हक कलम लिए फिरता हूँ, पल पल स्वनयन गिरता हूँ। कुछ पन्नों पे बन लिपि कोई, चौक चौराहे टंगा मिलता हूँ। फिर आया ख्याल, अरे हाँ अभी ज़िंदा हूँ मैं। एक कथा फिर दूजा कथा, बना के अपनी कलम को सखा। आज नहीं तो कल सुन लेगा, कोई इस बहते स्याही की व्यथा। फिर आया ख्याल, अरे हाँ अभी ज़िंदा हूँ मैं। ©रजनीश "स्वछंद" ज़िंदा हूँ मैं।। रुधिरों में बहता वही तो रक्त, रवानी वही वही है अभिव्यक्त। संताप का ज्वर समेटे मन मे, बस जिये जा रहा हूँ अभिशप्त। फिर आया ख्
Bhuwnesh Joshi
Vandana
क्या सीधा सरल पन उसको कोई समझ पाता क्या शातिर दिमाग उसमें भी शक करते हैं विभिन्न प्रकार के व्यक्तित्व हैं इस संसार में कोई सीधा सरल अबोध भोला भाला हो जाता है कोई तेज दिमाग शातिर हो जाता है पर बात यह है कि कौन बेह
Divyanshu Pathak
जीवन ऊर्जा का पुंज बेटी है। सुंदर सुवास भरा कुंज बेटी है। बेटी से पूर्ण होता हर आयाम! यूँ सुख से भरा निकुंज बेटी है। जीवन ऊर्जा का पुंज बेटी है। सुंदर सुवास भरा कुंज बेटी है। बेटी से पूर्ण होता हर आयाम! यूँ सुख से भरा निकुंज बेटी है। ---------------------
INDIA CORE NEWS
Abhijit Agrahari
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम) राम शब्द से ही मेरी रूक गई कलम लिखने की जागृति हमको राम से मिली रावण से युद्ध में जख्मी हुए हैं सब पर वीरगति हमको राम से मिली मां बाप का ख्याल गर जिगर में आ पले कंटकों में फूल की प्रशस्ति हमको राम से मिली मेरे हाथ खंजरों से मन अहंकार में सना उनके वरण से मुक्ति हमको राम से मिली तुलसी के गीत जो अमरत्व पा गये बाल्मीकि की विरक्ति हमको राम से मिली निज़धाम आठोंयाम का फरमान सुन लिए शौहर की धर्मक्रांति हमको राम से मिली रक्तपात हुआ मनचलों का ढूंढ़ कर शजर नाक काटने की युक्ति हमको राम से मिली मनुष्यता के दीप जल सूर्य तक पकड़ मर्यादा की कितनी सूक्ति हमको राम से मिली वनवास ज़िंदगी में सहर लेके आ गया जंगलों की रति हमको राम से मिली समभाव धैर्य शौर्य के स्वरूप का दर्पण जीने की अभिव्यक्ति हमको राम से मिली हर हालात,मुश्किलों का सबक दे गये सबको तूफ़ां की मिसाल शक्ति हमको राम से मिली निष्काम,पाप,लोभ,काम,क्रोध मुक्त ही रहें जीवन की दुर्लभ नीति हमको राम से मिली भाई से फासला हुआ तो ख़ाक ए फसल जहां विभीषणों से कितनी क्षति हमको राम से मिली झूठे फलों से रिश्ते नाते मित्र बन गये ऐसी गिरफ़्त प्रीति हमको राम से मिली ग्रंथों को मानते हैं धर्म गवांरा नहीं उनको ऐसी कुशाग्र मति हमको राम से मिली दुनिया के संस्कार का विधिवत विधान है ऐसी अलौकिक ख्याति हमको राम से मिली जब राम वन गये तो सबके राम बन गए वातावरण पर जीत हमको राम से मिली हर कोई आज छोटा-बड़ा मित्र हो गया दिल से संभालो भक्ति हमको राम से मिली Abhijit Agrahari मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम) राम शब्द से ही मेरी रूक गई कलम लिखने की जागृति हमको राम से मिली रावण से युद्ध में जख्मी हुए हैं सब पर वीर