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Mahant Vivek Giri

देवगुरु #बात

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey} भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार देवता और दैत्यों (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार  एक बार देवता और दैत्यों  (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी नहीं हुए। इंद्र हार के भय से दु:खी होकर  देवगुरु बृहस्पति के पास विमर्श हेतु गए। गुरु बृहस्पति के सुझाव पर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन विधि-विधान से व्रत  करके रक्षासूत्र तैयार किए और  स्वास्तिवाचन के साथ ब्राह्मण की उपस्थिति में  इंद्राणी ने वह सूत्र  इंद्र की  दाहिनी कलाई में बांधा  जिसके फलस्वरुप इन्द्र सहित समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई।

रक्षा विधान के समय निम्न लिखित मंत्रोच्चार किया गया था जिसका आज भी विधिवत पालन किया जाता है:

"येन बद्धोबली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

दानवेन्द्रो मा चल मा चल।।"

इस मंत्र का भावार्थ है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूँ। हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।

यह रक्षा विधान श्रवण मास की पूर्णिमा को प्रातः काल संपन्न किया गया  यथा  रक्षा-बंधन अस्तित्व में आया  और  श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने लगा।

©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey}
भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार  एक बार देवता और दैत्यों  (दानवों ) में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ परन्तु देवता विजयी

Vikas Sharma Shivaaya'

दीपावली के पावन पर्व पर सभी बुजुर्गगणों को सादर चरण स्पर्श ,सभी बराबर के साथियों को प्रेम भरा -निश्छल आलिंगन (गले मिलना )एवं समस्त छोटों को #समाज

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🎉दीपावली के पावन पर्व पर सभी बुजुर्गगणों को सादर चरण स्पर्श ,सभी बराबर के साथियों को प्रेम भरा -निश्छल आलिंगन (गले मिलना )एवं समस्त छोटों को प्यार भरा आशीर्वाद ...ईश्वर से एवं सतगुरु से अरदास है की संपूर्ण धरातल पर सुख -समृद्धि -ऐश्वर्या -वैभव एवं मंगल करें तथा सबके मन मस्तिष्क से नकारात्मकता को खत्म कर सकारात्मकता का प्रवेश करें जिससे अमन -भाईचारा -प्रेम -सद्व्यवहार -इंसानियत का प्रकाश चहुँ ओर फैले ,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ 🙏


देवगुरु बृहस्पति मंत्र -देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम।


रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून-पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥


रहीम जी ने पानी का तीन अर्थों में प्रयोग किया है-

 पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है-रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए। 

पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। 

पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है।रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है।


🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' दीपावली के पावन पर्व पर सभी बुजुर्गगणों को सादर चरण स्पर्श ,सभी बराबर के साथियों को प्रेम भरा -निश्छल आलिंगन (गले मिलना )एवं समस्त छोटों को

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 6 – पूर्णकाम ‘तृष्णाक्षये स्वर्गपदं किमस्ति' 'देवाधिप की मुखश्री आज म्लान दीखती है!

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
6 – पूर्णकाम

‘तृष्णाक्षये स्वर्गपदं किमस्ति'

'देवाधिप की मुखश्री आज म्लान दीखती है!

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 6 – पूर्णकाम ‘तृष्णाक्षये स्वर्गपदं किमस्ति' 'देवाधिप की मुखश्री आज म्लान दीखती है!

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
6 – पूर्णकाम

‘तृष्णाक्षये स्वर्गपदं किमस्ति'

'देवाधिप की मुखश्री आज म्लान दीखती है!

Vikas Sharma Shivaaya'

गुरुवार: गुरुवार सप्ताह का पाँचवा दिन है-इसे बृहस्पतिवार या वीरवार भी कहा जाता है-मुसलमान इसे जुमेरात कहते हैं क्योंकि यह जुम्मा (शुक्रवार) #समाज

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गुरुवार:
गुरुवार सप्ताह का पाँचवा दिन है-इसे बृहस्पतिवार या वीरवार भी कहा जाता है-मुसलमान इसे जुमेरात कहते हैं क्योंकि यह जुम्मा (शुक्रवार) से एक दिन पहले आता है...,

   "धार्मिक मान्यताओं के अनुसार"-

भाग्य जागृत करने और लंबी आयु के लिए गुरुवार का व्रत करना चाहिए...

ये कार्य न करें :
इस दिन शेविंग न बनाएं और शरीर का कोई भी बाल न काटें अन्यथा संतान सुख में बाधा उत्पन्न होगी ... 

दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य में यात्रा करना वर्जित है... 

गुरुवार को ऊपर से नमक डालकर नहीं खाना चाहिए ... 

इस दिन दूध और केला खाना भी वर्जित माना गया है...केले के वृक्ष में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है. मान्यता है कि केले के पेड़ में भगवान विष्णु निवास करते हैं. इसलिए गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है.

पोछा न लगाएं: मान्यता है कि गुरुवार के दिन घर में पोछा नहीं लगाना चाहिए. क्योंकि इस दिन पोछा लगाने से घर का ईशान कोण कमजोर होता है और ईशान कोण को संबंध घर के छोटे सदस्यों से है. वास्तु के अनुसार घर की उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण का कारक ग्रह गुरु है-घर की इस दिशा में पोंछा लगाने से गुरु ग्रह अशुभ होता है-व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है...

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 442 से 453 नाम

442 क्षमः समस्त कार्यों में समर्थ
443 क्षामः जो समस्त विकारों के क्षीण हो जाने पर आत्मभाव से स्थित रहते हैं
444 समीहनः सृष्टि आदि के लिए सम्यक चेष्टा करते हैं
445 यज्ञः सर्वयज्ञस्वरूप
446 इज्यः जो पूज्य हैं
447 महेज्यः मोक्षरूप फल देने वाले सबसे अधिक पूजनीय
448 क्रतुः तद्रूप
449 सत्रम् जो विधिरूप धर्म को प्राप्त करता है
450 सतां-गतिः जिनके अलावा कोई और गति नहीं है
451 सर्वदर्शी जो प्राणियों के सम्पूर्ण कर्मों को देखते हैं
452 विमुक्तात्मा स्वभाव से ही जिनकी आत्मा मुक्त है
453 सर्वज्ञः जो सर्व है और ज्ञानरूप है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' गुरुवार:
गुरुवार सप्ताह का पाँचवा दिन है-इसे बृहस्पतिवार या वीरवार भी कहा जाता है-मुसलमान इसे जुमेरात कहते हैं क्योंकि यह जुम्मा (शुक्रवार)

Vikas Sharma Shivaaya'

देवगुरु बृहस्‍पति मंत्र-देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम। पिघला दे जंजीरें बना उनकी शमशीरें-कर हर मैदान फ़तेह-ओ बंदेया कर हर मैदान फ़त

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देवगुरु बृहस्‍पति मंत्र-देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम।

पिघला दे जंजीरें बना उनकी शमशीरें-कर हर मैदान फ़तेह-ओ बंदेया कर हर मैदान फ़तेह-घायल परिंदा है तू-दिखला दे जिंदा है तू-बाक़ी है तुझमें हौसला-तेरे जूनून के आगे अम्बर पनाहे मांगे-कर डाले तू जो फैसला रूठी तकदीरें तो क्या टूटी शमशीरें तो क्या टूटी शमशीरें से ही हो.. कर हर मैदान फ़तेह-कर हर मैदान फ़तेह-कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया हर मैदान फ़तेह

इन गर्दिशों के बादलों पे चढ़ के-वक़्त का गिरबान पकड़ के पूछना है जीत का पता जीत का पता.. इन मुठियों में चाँद तारे भर के आसमां की हद से गुज़र के-हो जा तू भीड़ से जुदा भीड़ से जुदा भीड़ से जुदा-कहने को ज़रा है तू लोहा का छर्रा है तू- टूटी शमशीरों से ही हो.. कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह- रे बंदेया हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया हर मैदान फ़तेह 

तेरी कोशिशें ही कामयाब होंगी जब तेरी ये जिद्द आग होगी- फूँक दे नाउमीदियाँ, नाउमीदियाँ तेरे पीछे पीछे रास्ते ये चल के बाहों के निशानों में ढल के ढूँढ लेंगे अपना आशियाँ अपना आशियाँ, अपना आशियाँ.. लम्हों से आँख मिला के रख दे जी जान लड़ा के टूटी शमशीरों से ही हो.. कर हर मैदान, हर मैदान हर मैदान.. हर मैदान.. कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया हर मैदान फ़तेह कर हर मैदान फ़तेह रे बंदेया हर मैदान फ़तेह..

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' देवगुरु बृहस्‍पति मंत्र-देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम।

पिघला दे जंजीरें बना उनकी शमशीरें-कर हर मैदान फ़तेह-ओ बंदेया कर हर मैदान फ़त

Vikas Sharma Shivaaya'

देवगुरू बृहस्‍पति :- गुरूवार को बृहस्पति जी की पूजा होती है है जिनको देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। चार हाथों वाले बृहस्‍पति जी स #समाज

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देवगुरू बृहस्‍पति :-

गुरूवार को बृहस्पति जी की पूजा होती है है जिनको देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। चार हाथों वाले बृहस्‍पति जी स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुंदर माला धारण किये रहते हैं, और पीले वस्त्र पहने हुए कमल आसन पर आसीन रहते हैं। इनके चार हाथों में स्वर्ण निर्मित दण्ड, रुद्राक्ष माला, पात्र और वरदमुद्रा शोभा पाती है। प्राचीन ऋग्वेद में बताया गया है कि बृहस्पति बहुत सुंदर हैं। ये सोने से बने महल में निवास करते है। इनका वाहन स्वर्ण निर्मित रथ है, जो सूर्य के समान दीप्तिमान है एवं जिसमें सभी सुख सुविधाएं संपन्न हैं। उस रथ में वायु वेग वाले पीतवर्णी आठ घोड़े तत्पर रहते हैं!

परिवार:-देवगुरु बृहस्पति की तीन पत्नियां हैं जिनमें से ज्येष्ठ पत्नी का नाम शुभा, कनिष्ठ का तारा या तारका तथा तीसरी का नाम ममता है। शुभा से इनके सात कन्याएं उत्पन्न हुईं हैं, जिनके नाम इस प्रकार से हैं, भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती। इसके उपरांत तारका से सात पुत्र और एक कन्या उत्पन्न हुईं। उनकी तीसरी पत्नी से भारद्वाज और कच नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए। बृहस्पति के अधिदेवता इंद्र और प्रत्यधि देवता ब्रह्मा हैं। महाभारत के आदिपर्व में उल्लेख के अनुसार, बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। ये अपने प्रकृष्ट ज्ञान से देवताओं को उनका यज्ञ भाग या हवि प्राप्त करा देते हैं।  

बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्र:बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पितम।

ए सजनी लीनो लला लह्यो नन्द के गेह !
चितयो मृदु मुसिकाई के हरि सबे सुधि गेह !!

इस दोहे में रसखान जी वर्णन करते है कि हे प्रिय सजनी श्याम लला के दर्शन का विशेष लाभ है ! जब हम नन्द के घर जाते है तो वे हमें मंद मुस्कान से देखते है और हम सबकी सुधबुध लेते है ! अर्थार्त उनके घर जाने से हमारी सारी परेशानियों का हल निकल जाता है !

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' देवगुरू बृहस्‍पति :-

गुरूवार को बृहस्पति जी की पूजा होती है है जिनको देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। चार हाथों वाले बृहस्‍पति जी स

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष श्रावण महा की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह पर्व 22

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शुभ रक्षाबंधन

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष श्रावण महा की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह पर्व 22

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-
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