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Aklesh Yadav

#klrahul नारद‌ जी को देवर्षि कहा जाता है #विचार

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 5 – जीवन का चौराहा 'आप कुछ व्यस्त दीखते हैं!' देवर्षि ने चित्रगुप्त की ओर देखा। 'भग

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
5 – जीवन का चौराहा

'आप कुछ व्यस्त दीखते हैं!' देवर्षि ने चित्रगुप्त की ओर देखा।

'भग

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 5 – जीवन का चौराहा 'आप कुछ व्यस्त दीखते हैं!' देवर्षि ने चित्रगुप्त की ओर देखा। 'भग

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
5 – जीवन का चौराहा

'आप कुछ व्यस्त दीखते हैं!' देवर्षि ने चित्रगुप्त की ओर देखा।

'भग

Poetry with Avdhesh Kanojia

#जन्माष्टमी #श्रीकृष्ण #कृष्णमेरे #Krishna #poem poetry #lovequote दोहा- श्यामल छबि तन पीत पट, मोर मुकुट प्रभु माथ। युगल चरन

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दोहा- श्यामल छबि तन पीत पट, मोर मुकुट प्रभु माथ।
         युगल चरन में शत नमन, करूँ जगत के नाथ।।

चौपाई- जय गिरिधर जय -जय व्रजनंदन। 
           जोरि पानि हम करते   वंदन।।

तव पद पंकज नावहुँ शीशा 
आरति हरहु मोर जगदीशा।।

परम शक्ति तव राधे रानी। 
वंदहि  देवर्षि: अरु ध्यानी।।

देवराज कर मान नसाई।
अरु बिरंचि अभिमान हटाई।।

पंच शत्रु मोहि घेरे ठाढ़े। 
अवगुन दोष सकल हैं बाढ़े।।

त्राहिमाम प्रभु!शरण तिहारी।
हौं प्रसन्न अब पातकहारी।।

दोहा- जय माधव रणबाँकुरे!, नमन प्रेम अवतार।
     कण कण में छवि आपकी, महिमा अमित अपार।। #जन्माष्टमी #श्रीकृष्ण #कृष्णमेरे #krishna    #poem  #poetry #lovequote 

दोहा- श्यामल छबि तन पीत पट, मोर मुकुट प्रभु माथ।
         युगल चरन

Vibhor VashishthaVs

Meri Diary Vs❤❤ भारत की समृद्ध ऋषि परंपरा को नमन करते हुए ऋषि पंचमी के पावन पर्व की समस्त देशवासियों को शुभकामनाएं...। सप्त ब्रह्मर्षि, #yourquote #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yourquotebaba #yourquotedidi #vs❤❤ #yqaestheticthoughts

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Meri Diary #Vs❤❤ 
भारत की समृद्ध ऋषि परंपरा 
को नमन करते हुए ऋषि पंचमी 
के पावन पर्व की समस्त देशवासियों 
को शुभकामनाएं...।
सप्त ब्रह्मर्षि, देवर्षि, महर्षि, परमर्षय:
कण्डर्षिश्च, श्रुतर्षिश्च, राजर्षिश्च क्रमावश:
ऋषि पंचमी पर सप्तऋषि को कोटि कोटि 
नमन...। 
🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏
सभी देशवासियों और विशेष रूप 
से उत्कल समाज को नुआखाई पर्व 
की बधाई एवं शुभकामनाएं।
नई फसल के आगमन, धरती एवं 
भगवान के वंदन और किसान भाईयों 
के बंधुत्व और एकत्व का प्रतीक यह 
त्यौहार ऋषि पंचमी के दिन मनाते हैं।
गांव की समृद्धि, खुशहाली और सामाजिक 
संबंधों को यह त्यौहार प्रगाढ़ करे।
✍️Vibhor vashishtha Vs Meri Diary #Vs❤❤ 
भारत की समृद्ध ऋषि परंपरा 
को नमन करते हुए ऋषि पंचमी 
के पावन पर्व की समस्त देशवासियों 
को शुभकामनाएं...।
सप्त ब्रह्मर्षि,

N S Yadav GoldMine

#boat नारदजी विष्णु भगवान के परम भक्तों में से एक माने जाते हैं आइये विस्तार से जानिए !!🌲🌲 {Bolo Ji Radhey Radhey} नारद जयंती :- 🎻 नारदजी वि #प्रेरक

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 16 – भाग्य-भोग 'भगवन! इस जीव का भाग्य-विधान?' कभी-कभी जीवों के कर्मसंस्कार ऐसे जटिल

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
16 – भाग्य-भोग

'भगवन! इस जीव का भाग्य-विधान?' कभी-कभी जीवों के कर्मसंस्कार ऐसे जटिल

PARBHASH KMUAR

आज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की एक सुंदर कथा का वर्णन करेंगे। इस कथा में आप जानेंगे कि किस प्रकार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ #Knowledge

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N S Yadav GoldMine

नारद जी की जन्म कथा :- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🌺 देवर्षि नारद पहले गन्धर्व थे। एक बार ब्रह्मा जी की सभा में सभी देवता और गन्धर्व भगवन्नाम का #Hope #पौराणिककथा

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नारद जी की जन्म कथा :-
{Bolo Ji Radhey Radhey}
🌺 देवर्षि नारद पहले गन्धर्व थे। एक बार ब्रह्मा जी की सभा में सभी देवता और गन्धर्व भगवन्नाम का संकीर्तन करने के लिए आए। नारद जी भी अपनी स्त्रियों के साथ उस सभा में गए। भगवान के संकीर्तन में विनोद करते हुए देखकर ब्रह्मा जी ने इन्हें शाप दे दिया। जन्म लेने के बाद ही इनके पिता की मृत्यु हो गई। इनकी माता दासी का कार्य करके इनका भरण-पोषण करने लगीं।

🌺 एक दिन गांव में कुछ महात्मा आए और चातुर्मास्य बिताने के लिए वहीं ठहर गए। नारद जी बचपन से ही अत्यंत सुशील थे। वह खेलकूद छोड़ कर उन साधुओं के पास ही बैठे रहते थे और उनकी छोटी-से-छोटी सेवा भी बड़े मन से करते थे। संत-सभा में जब भगवत्कथा होती थी तो यह तन्मय होकर सुना करते थे। संत लोग इन्हें अपना बचा हुआ भोजन खाने के लिए दे देते थे।

🌺 साधुसेवा और सत्संग अमोघ फल प्रदान करने वाला होता है। उसके प्रभाव से नारद जी का हृदय पवित्र हो गया और इनके समस्त पाप धुल गए। जाते समय महात्माओं ने प्रसन्न होकर इन्हें भगवन्नाम का जप एवं भगवान के स्वरूप के ध्यान का उपदेश दिया।

🌺 एक दिन सांप के काटने से उनकी माता जी भी इस संसार से चल बसीं। अब नारद जी इस संसार में अकेले रह गए। उस समय इनकी अवस्था मात्र पांच वर्ष की थी। माता के वियोग को भी भगवान का परम अनुग्रह मानकर ये अनाथों के नाथ दीनानाथ का भजन करने के लिए चल पड़े। एक दिन जब नारद जी वन में बैठकर भगवान के स्वरूप का ध्यान कर रहे थे, अचानक इनके हृदय में भगवान प्रकट हो गए और थोड़ी देर तक अपने दिव्य स्वरूप की झलक दिखाकर अन्तर्धान हो गए।

🌺 भगवान का दोबारा दर्शन करने के लिए नारद जी के मन में परम व्याकुलता पैदा हो गई। वह बार-बार अपने मन को समेट कर भगवान के ध्यान का प्रयास करने लगे, किंतु सफल नहीं हुए। उसी समय आकाशावाणी हुई, अब इस जन्म में फिर तुम्हें मेरा दर्शन नहीं होगा। अगले जन्म में तुम मेरे पार्षद रूप में मुझे पुन: प्राप्त करोगे।

🌺 समय आने पर नारद जी का पांच भौतिक शरीर छूट गया और कल्प के अंत में वह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र के रूप में अवतीर्ण हुए। देवर्षि नारद भगवान के भक्तों में सर्वश्रेष्ठ हैं। यह भगवान की भक्ति और महात्म्य के विस्तार के लिए अपनी वीणा की मधुर तान पर भगवद् गुणों का गान करते हुए निरंतर विचरण किया करते हैं। इन्हें भगवान का मन कहा गया है। इनके द्वारा प्रणीत भक्ति सूत्र में भक्ति की बड़ी ही सुंदर व्याख्या है। अब भी यह अप्रत्यक्ष रूप से भक्तों की सहायता करते रहते हैं। 

🌺 भक्त प्रह्लाद, भक्त अम्बरीष, ध्रुव आदि भक्तों को उपदेश देकर इन्होंने ही उन्हें भक्ति मार्ग में प्रवृत्त किया। इनकी समस्त लोकों में अबाधित गति है। इनका मंगलमय जीवन संसार के मंगल के लिए ही है। यह ज्ञान के स्वरूप, विद्या के भंडार, आनंद के सागर तथा सब भूतों के अकारण प्रेमी और विश्व के सहज हितकारी हैं। 

🌺 अविरल भक्ति के प्रतीक और ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाने वाले देवर्षि नारद का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक भक्त की पुकार भगवान तक पहुंचाना है। वह विष्णु के महानतम भक्तों में माने जाते हैं और इन्हें अमर होने का वरदान प्राप्त है। भगवान विष्णु की कृपा से यह सभी युगों और तीनों लोगों में कहीं भी प्रकट हो सकते हैं।

©N S Yadav GoldMine नारद जी की जन्म कथा :-
{Bolo Ji Radhey Radhey}
🌺 देवर्षि नारद पहले गन्धर्व थे। एक बार ब्रह्मा जी की सभा में सभी देवता और गन्धर्व भगवन्नाम का

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 3 – अकुतोभय हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
3 – अकुतोभय

हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार
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