Find the Latest Status about भक्ति सागर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, भक्ति सागर.
INDIAN GOLD
White Jai Bholenath ji ©Deepak Sain #Jai Shambhu भक्ति सागर Hinduism
#jai Shambhu भक्ति सागर Hinduism
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक। 4,, दिसंबर,,2024,, वार बुधवार समय सुबह पांच बजे ्््भाव से काम कर रहे वह आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो की मुस्कान बने,, यही मेरी स्वरचित कविता भाव में स्थित सोच पर जिंदगी में, एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द ही आनंद है ््् ््निज विचार ्् ्भावचित्र ् भावचित्र में सनातन वैदिक विचारधारा शाश्वत सत्यता पर ख्यालात अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर सकते हैं ् वर्तमान समय में जिस प्रकार निराकार साकार लोक में भ़मण करते हुए ईश्वर रुप में भारतीय नागरिक मतदाता होने पर एक दिलचस्प बात यह है, देश में अवाम में खुशहाली आती है तो देश आगे बढ़ेगा और आज हमारे देश में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा आयोजित सेवा में समर्पित करिष्यामि नमन वन्दंनीय है,, ्््भावचित्र है मां गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर सकल सनातन विचार सच में एक जीवंत प्रयास करें ,, यही भाव से मेरी स्वरचित रचना में मालवी भाषा में, कुछ लिखने का प्रयास किया गया है ्शीर्षक ् मनुज जणम जोणि में धरम करम का रोणा में, रौवे जींव जगत का मैला ढोने लाग्या रै््।।1।। ।म्हणे मनुज जणम पायोजी मैंने,, थाके सेवाणी गौवंश गौसेवा में, सजल नयन अश्रुजल से,नहलायो तन मन को।।2।। चौरासी लख जणम जोणि में,, पण मण धण में जींव म्हारो असो लांगे।।3।। माणो गौरक्षधाम प्यारों श्याम सुंदर णे , माखण मिश्री की मटकी फोड़ी, ग्वाल धेनूबाल संग वन में रोटीयां से , माखण सब कुछ,बांटचुटकर खावी जावे।।4।। तण मण जोगण बरसाणा में,, लागी लगण राधिका श्याम में।।5।। मण धण में जींव म्हारो घट में,, लुफ्त है प्राण असो प्यारो लांगे रै।।6।। मण आंन्दणो जाणो माणो,, गौरक्षधामणो में पंछी बणके, रचिया बसिया चुगणा लाग्या।।7।। प्रेम भक्ति का दाणा चुगिणे ,, चाल्या अपणा अपणा घोंसला में।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ् 4, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक 3 दिसम्बर 2024 वार मंगलवार समय सुबह दस बजे ््भाव रस से भावचित्र ्् ्निज विचार ् ्््छाया चित्र में दिखाया गया जिसे हम इस नश्वर शरीर में प्राण वायु और पंचतत्व से बना हुआ प्राणतत्व में माया मोह में फंसे हुए जीवन में कर्मलीला कर्मशील नायक बम्हदेव वरदानित भाव है क्या देव असुर, यक्ष, किन्नर, गन्धर्व, मनुज देह है प्राण गंवाए है मारिच असूर सर्वग्य भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं ब़म्हकर्मसाक्ष्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है ्् ््् ,,निज मानस स्वरचित है भावचित्र स्वज्ञान है,, ़्् कंचन मृग मारिच असूर,मन हरण, सियाजानकी रघुराज लीला करत ,मारिचप्रान अधार करंहि,, लखन राम राम उच्चारण ही हरण,शरण, दासहनुं््यमदूत शोकविनाशमं काल है,।। छल माया मोह ््मद सब धर्मों में, भेद नहीं भाव नहीं है, सब कर्म भूमि पर जातक जींवजीवाश्म प्राणी में , प्राण वायु सब कुछ एक है,, ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 3,, दिसंबर 2024,, ©Shailendra Anand भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
read moreShailendra Anand
White रचना दिनांक 19,,11,,2024, वार, मंगलवार, समय,सुबह, पांच, बजे, ् ््भावचित्र ्् ्् निज विचार ्् ्् शीर्षक ्् ््््निज विचार ्् ््््भावचित्र ्् भज लिया सो राम,, कर लिया सो काम।1 । यह जीवन है विश्राम , कुछ पल,घड़ी विलक्षण प्रतिभा ,, अनमोल विचार प्रवाह प्यार में बदल रहे ।2। परिवर्तन शील प्रयोग परीक्षा प्रतिभा अनमोल है,, जो सत्य है वो जन्म, मरण, परण, जस, अपजस, लाभ ,हानि ,कर्म, विधी,विधाता के अनुसार है।3। धर्म ,अर्थ ,काम, मोक्ष, मूलं,कारकं,दिव्य ज्योति,, प्राकट्य ,प्रकट,स्वधर्म परिपालन केअनुसार है।4।। प्रतिभा जींव प्राणी जीवाश्म में कर्म भूमि पर जातक के प्रारब्ध, भविष्य, और वर्तमान, ही,, , सुन्दर छबि मनोमय नरोत्तम उत्तमशक्ति परमपुरुष परमात्मा से प्रार्थना, योग,भोग, अन्नपूरणेश्वरी देवीभ्यो नमः।।5 ।। पेट भरा फिर भी हो खाली हाथ चला,, कि वो लफ्जो से भावना मन से लिख दिया ।।।।6।। ईश प्राप्ति वंदना कीर्ति यश वरदान ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र देवत्व कलाओं से परिपूर्ण हो,, यही याचना करने से सम्पूर्ण जीवन कर्म फलित है, निर्राकारआकारहीन ईश्वरपूर्ण रूप सम्पूर्ण है।।7।। यही सनातन विचार सच का मूल मंत्र शक्ति दिव्यता प्रदान एक दस्तावेज उदगम स्त्रोत स्थल जो जीना सिखाता है,, सच्चा धर्मगुरु सच्चा दोस्त सच्चाई कर्मभूमि मृत्युलोक है।।8 ।। यहां इन्सान जो बनकर आया है,, वह वास्तव में फिर लौटकर देवलोक गमन हो जाना है।। 9।। ना कोई संदेश ना कोई चिट्ठी,, यह सब कुछ प्रभू कृपा प्राप्त एक बहानाहै । ।।10।। सम्भल जाओ यह मृत्युलोक सर्व धर्म कर्म का,, मर्म सुंदर सुजान है ,यही हिन्दूस्तान की ् पहचान है।।11 ।। सम्भल जाओ यह मृत्युलोक सर्व धर्म कर्म का,, मर्म सुंदर सुजान है यही हिन्दूस्तान की पहचान है।।11 ।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 19 , नवम्बर 2024,, 19,, नवम्बर 2024,, ©Shailendra Anand #good_night भक्ति सागर ््कवि शैलेंद्र आनंद
#good_night भक्ति सागर ््कवि शैलेंद्र आनंद
read more