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Stories related to सोनल गरबो शीरे अंबे मां

Kalpana Srivastava

#मां

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कुछ मां यशोदा जैसी होती है 
जो दूसरे के संतान को भी अपने गले 
से लगाए रहती है।
और कुछ मां कैकई की तरह 
अपने बच्चों में ही फर्क करती है।

©Kalpana Srivastava #मां

नवनीत ठाकुर

#मां

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मां की ममता का कोई हिसाब नहीं होता,
उसका हर आँसू भी बेवजह नहीं होता।

दुआएं उसकी साये की तरह होती हैं,
मां के कदमों तले ही तो जन्नत होती है।

©नवनीत ठाकुर #मां

शुभम मिश्र बेलौरा

#sad_quotes मां

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White खुदा तेरी सबसे बड़ी ये खुदाई, 
दुनिया में तूने जो मां है बनाई।
वो रिश्ते सारे अकेले निभाती,
शिकन देख चेहरे का सब जान जाती।
मुझे देखकर एक दिन मुझसे बोली,
छिपाया जो उनसे वही राज खोली।
बीमारी में जब से बदहाल हूं मैं,
तेरी झुर्रियां देख बेहाल हूं मैं।
अकेले तू मुझसे छिप-छिपके रोता,
मुझे देखकर क्यूं परेशान होता।
मेरे हाथों को चूमीं और समझायीं,
न होगा मुझे कुछ,ये मुझसे बताईं।
कहा मैं नहीं मां मैं रोया नहीं हूं,
कल रात से बस मैं सोया नहीं हूं।
ये सुनते ही बस, एक थपकी लगाई
रोती हुई फिर गले से लगाई
बहुत झूठ बोलता ,बहाने बनाता 
बड़ा हो गया!अब मां को समझाता।
गले लगके उनसे रोने लगा मैं,
आंसू से आंचल भिगोने लगा मैं।
कहा बिन तुम्हारे कहां जाउंगा मैं,
बिना अपनी मां के न जी पाउंगा मैं।

©Shubham Mishra #sad_quotes मां

शुभम मिश्र बेलौरा

#good_night मां

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White ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी यूं ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

ज़माने में खिलाते सब निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे, कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में
किसी मज़लूम के खातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के खातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #good_night मां

शुभम मिश्र बेलौरा

#sunset_time मां

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White  ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी इस ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

हैं दुनिया में खिलाते सब, निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं, मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे मैं कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में,
किसी मज़लूम के ख़ातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के ख़ातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #sunset_time मां

शुभम मिश्र बेलौरा

#sunset_time मां

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White ये जन्नत इक भरोसा है, कोई दीदार न करता।
बिना मेहनत के, कोई रास्ता बेदार न करता।
हकीकत ढूंढकर देखा ज़माने के चिरागों से,
मेरी मां से ज्यादा मुझसे कोई प्यार न करता।।

©Shubham Mishra #sunset_time मां

Anokhi

मां

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शुभम मिश्र बेलौरा

#sad_qoute मां

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White धूप बेगानी और पानी बेगाना दिखता है,
परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है,
नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली,
सब नया नया है पर वीराना लगता है।
चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब,
नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब,
तमाशाई होड़ में चले आये थे हम भी शहर पर, 
मां की यादों में रोज सिसकते रहते हैं अब।

©Shubham Mishra #sad_qoute मां
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