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Bhupendra Rawat

ज़िंदगी की ढेरों ख्वाइशें लेकर में सफर में ही था खुद की ज़िंदगी से दूर मैं इस शहर में ही था हर एक ख्वाईश ने दूर से पुचकारा ही था,कि ज़िंदगी की #शायरी #OneSeason

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ज़िंदगी की ढेरों ख्वाइशें लेकर में सफर में ही था
खुद की ज़िंदगी से दूर मैं इस शहर में ही था
हर एक ख्वाईश ने दूर से पुचकारा ही था,कि
ज़िंदगी की फरमाइशों के बोझ तले मैं कब्र में ही था

भूपेंद्र रावत
8।07।2021

©Bhupendra Rawat ज़िंदगी की ढेरों ख्वाइशें लेकर में सफर में ही था
खुद की ज़िंदगी से दूर मैं इस शहर में ही था
हर एक ख्वाईश ने दूर से पुचकारा ही था,कि
ज़िंदगी की

Shubham Tripathi

गला घोंट दिया अरमानों का, अरमानों के ही खातिर तुमने सालों का प्रेम त्याग दिया, क्षणिक प्यार के खातिर तुमने तोड़ दिए वो सारे बंधन,मर्यादा

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 गला घोंट दिया अरमानों का,  अरमानों के ही खातिर तुमने
 सालों का प्रेम  त्याग दिया, क्षणिक प्यार के खातिर तुमने
 तोड़ दिए वो सारे बंधन,मर्यादा

Seema Kashyap (सीma)

जिंदगी की कहानी बयाँ कर रही हुँ ! हर लम्हें के पहलू को टटोल रही हुँ ! वो लम्हें जो कही छूट से गए है ! तो अर्ज किया है आज! क्या किया तुमने #Poetry #Zindagi #LifeStory #nojotopoetry #dpf

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 जिंदगी की कहानी बयाँ कर रही हुँ !
हर लम्हें के पहलू को टटोल रही हुँ !
वो लम्हें जो कही छूट से गए है !

तो अर्ज किया है

आज! क्या किया तुमने

Samiksha ◕‿◕

एक माँ चटाई पर लेटी आराम से सो रही थी, मीठे सपनों से अपने मन को भिगो रही थी... तभी उसका बच्चा यूँ ही घूमते हुये समीप आया, माँ के तन को छूकर #nojotophoto

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 एक माँ चटाई पर लेटी आराम से सो रही थी,
मीठे सपनों से अपने मन को भिगो रही थी...

तभी उसका बच्चा यूँ ही घूमते हुये समीप आया,
माँ के तन को छूकर

Anil Siwach

31 - सत्प्रयत्न || श्री हरि: || 'कृष्ण कहाँ है? कहाँ चला गया वह?' बाबा जिस शीघ्रता एवं आतुरता से पूछते आये हैं, उसने मैया को, माता रोहिण #Books

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31 - सत्प्रयत्न 
 || श्री हरि: ||


'कृष्ण कहाँ
है? कहाँ चला गया वह?' बाबा जिस शीघ्रता एवं आतुरता से पूछते आये हैं, उसने मैया को,
माता रोहिण

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 57 - स्नेहाश्रय 'दादा, तू बुला इन सबको।' कन्हाई हंस रहा है। मृग उसके चरणों को अपनी लाल - लाल कोमल जिव्हा से चाट लिया करते ह #Books

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|| श्री हरि: ||
57 - स्नेहाश्रय

'दादा, तू बुला इन सबको।' कन्हाई हंस रहा है। मृग उसके चरणों को अपनी लाल - लाल कोमल जिव्हा से चाट लिया करते ह

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 50 - जागरण 'हुम्मा! हुम्मा!' गायें बहुत रात पहले ही पुकारने लगती हैं। बछड़े गोष्ठ से भागकर द्वार पर आ जुटते हैं। मैया को ल #Books

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|| श्री हरि: ||
50 - जागरण


'हुम्मा! हुम्मा!' गायें बहुत रात पहले ही पुकारने लगती हैं। बछड़े गोष्ठ से भागकर द्वार पर आ जुटते हैं। मैया को ल

Anil Siwach

8 - संकोच में || श्री हरि: || #Books

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8 - संकोच में 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

33 - गोपाल || श्री हरि: || #Books

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33 - गोपाल 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 73 - श्याम पहले जगा 'श्यामसुंदर। उठ लाल। देख तो कितना सवेरा हो गया। देख तेरा मयूर आंगन में कैसा नाच रहा है।' मैया बहुत धीरे #Books

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|| श्री हरि: ||
73 - श्याम पहले जगा

'श्यामसुंदर। उठ लाल। देख तो कितना सवेरा हो गया। देख तेरा मयूर आंगन में कैसा नाच रहा है।' मैया बहुत धीरे
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