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Poetry with Avdhesh Kanojia
नव भोर भई नव वर्ष की देखो ले नव पल्लव सी तरुणाई। कार्य सुगम हों सकल सभी के हो नष्ट सभी की कठिनाई।। अवधेश की है यह विनती रघुवर हो मानवता की अधिकाई। बजे सत्य का डंका चहुँ दिशि बजे प्रेम की शहनाई।। ✍️अवधेश कनौजिया© #newyear नव भोर भई नव वर्ष की देखो ले नव पल्लव सी तरुणाई। कार्य सुगम हों सकल सभी के हो नष्ट सभी की कठिनाई।। अवधेश की है यह विनती रघुवर हो म
Poetry with Avdhesh Kanojia
Happy New Year नव भोर भई नव वर्ष की देखो ले नव पल्लव सी तरुणाई। कार्य सुगम हों सकल सभी के हो नष्ट सभी की कठिनाई।। अवधेश की है यह विनती रघुवर हो मानवता की अधिकाई। बजे सत्य का डंका चहुँ दिशि बजे प्रेम की शहनाई।। ✍️अवधेश कनौजिया© #newyear नव भोर भई नव वर्ष की देखो ले नव पल्लव सी तरुणाई। कार्य सुगम हों सकल सभी के हो नष्ट सभी की कठिनाई।। अवधेश की है यह विनती रघुवर हो म
Poetry with Avdhesh Kanojia
नव भोर भई नव वर्ष की देखो ले नव पल्लव सी तरुणाई। कार्य सुगम हों सकल सभी के हो नष्ट सभी की कठिनाई।। अवधेश की है यह विनती रघुवर हो मानवता की अधिकाई। बजे सत्य का डंका चहुँ दिशि बजे प्रेम की शहनाई।। #newyear #newyear #नववर्ष #poetry #poem #life #lifequotes नव भोर भई नव वर्ष की देखो ले नव पल्लव सी तरुणाई। कार्य सुगम हों सकल सभी के हो नष
Poetry with Avdhesh Kanojia
भारतीय नव वर्ष (विक्रमी सम्वत 2077) की समस्त भारतवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं नव भोर भई नव वर्ष की देखो ले नव पल्लव सी तरुणाई। कार्य सुगम हों सकल सभी के हो नष्ट सभी की कठिनाई।। अवधेश की है यह विनती रघुवर हो मानवता की अधिकाई। बजे सत्य का डंका चहुँ दिशि बजे प्रेम की शहनाई।। ✍️अवधेश कनौजिया© #नववर्ष भारतीय नव वर्ष (विक्रमी सम्वत 2077) की समस्त भारतवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं नव भोर भई नव वर्ष की देखो ले नव पल्लव सी तरुणाई। का
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भारतीय नव वर्ष (विक्रमी सम्वत 2077) की समस्त भारतवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं नव भोर भई नव वर्ष की देखो ले नव पल्लव सी तरुणाई। कार्य सुगम हों सकल सभी के हो नष्ट सभी की कठिनाई।। अवधेश की है यह विनती रघुवर हो मानवता की अधिकाई। बजे सत्य का डंका चहुँ दिशि बजे प्रेम की शहनाई।। #नवरात्रि #नववर्ष #newyear #poetry #poetry #kavita #कविता भारतीय नव वर्ष (विक्रमी सम्वत 2077) की समस्त भारतवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
Alok Vishwakarma "आर्ष"
जन्मदिन के शुभ अवसर पर भेंट स्वरूप 108 पंक्तियों की यह अनिर्वचनीय व अनुपम कविता "Happy Birthday Dear Vanila" प्रखर जगती के हित अवकाश में, तिमिर अज के निमित आकाश में । पहर प्रगति के ऋत्य प्रकाश में, उदय रश्मि सवित निशि न