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Stories related to कितने मासूम थे वो

Parasram Arora

भी क्या दिन थे

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White वे भी क्या दिन थे 
ज़ब मै ठहाके मार कर 
हँसा करता था
 
बिना शिकायत के 
जिंदगी बसर करता था
 
छोटे छोटे खबाब देख 
कर जिंदगी के दिन 
काट लिया करता था
 
रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया 
और बचपन पीछे छुटता गया 
 और मै जवान होता गया

©Parasram Arora भी क्या दिन थे

Royal Thakur

विश्व में कुल कितने महादीप हैं whappy life quotes

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SANIR SINGNORI

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

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कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे..      
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे..🥀







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©SANIR SINGNORI कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे

kevat pk

वो

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RAVI PRAKASH

#library छोड दिए वो रास्ते जिस पर सिर्फ मतलबी लोग मिला करते थे..!

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Unsplash छोड दिए वो रास्ते जिस पर सिर्फ मतलबी लोग मिला करते थे..!

©RAVI PRAKASH #library छोड दिए वो रास्ते जिस पर सिर्फ मतलबी लोग मिला करते थे..!

Narender Kumar

दुर थे तो शांत थे पास आए तो शोर हुआ।

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KK क्षत्राणी

बच्चों का साथ सुकून भरा होता है जब तक वो मासूम होते हैं दिल भी उनको देख कर झूम लेता है...

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unique writer

गुण नहीं थे

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I͓̽n͓̽n͓̽o͓̽c͓̽e͓̽n͓̽t͓̽ b͓̽e͓̽w͓̽a͓̽f͓̽a͓̽

it's truth गये हुए लोग आपके जीवन मे तब वापस आयेंगे जब वो निराश हो चुके होंगे उन लोगो से जिन लोगो को वो तुमसे बेहतर समझते थे

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White it's truth 

गये हुए लोग आपके जीवन मे
 तब वापस आयेंगे
जब वो निराश हो चुके होंगे 
उन लोगो से 
जिन लोगो को वो तुमसे बेहतर 
समझते थे

©+-InNocEnT BeWafa-+ it's truth 

गये हुए लोग आपके जीवन मे
 तब वापस आयेंगे
जब वो निराश हो चुके होंगे 
उन लोगो से 
जिन लोगो को वो तुमसे बेहतर 
समझते थे

Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

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आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
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