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Dheeraj Bakshi
#recepect_woman #Woman_durga #woman_ma #nojotoSonia Anand Mittal g....Aligarh pramodini Mohapatra **Dipa** S Haal E Dil #Love
read moreगौरव आनन्द श्रीवास्तव
White फिर भूलने को तुझे एक जुगत बैठाई थी चंद मोहरों की हसीना घर ले आयी थी बैठी थी रौशनी में दस्तरस मुझे होने को और मैंने चुपके से रौशनी बुझाई थी कोई बादाकश ना कह पुकार दे मुझको मैंने इसलिए उसको चादर ओढ़ाई थी बन्द शीशे के पीछे से वो देखती थी मुझको बुज़दिल है क्या तू वो ज़ोर से चिल्लाई थी प्यार से बहुत उसे गोद मे रखा मैंने खुलते साथ ही वो गोशे को महकाई थी यूँ के कुछ सोचा फिर बन्द कर दिया मैंने वही काफी है जो तूने आँखों से पिलाई थी ©गौरव आनन्द श्रीवास्तव #hindi_poem_appreciation #Hindi #urdu #shayri कर्म गोरखपुरिया Kumar Shaurya Sircastic Saurabh **Dipa** S Kajal jha (kaju) ख्वाहिश___... अब
#hindi_poem_appreciation #Hindi #urdu #shayri कर्म गोरखपुरिया Kumar Shaurya Sircastic Saurabh **Dipa** S Kajal jha (kaju) ख्वाहिश___... अब
read more#काव्यार्पण
White तुम भला अब क्या करोगे ,प्रीत को लज्जित करोगे करके शुभचिंतक निमंत्रित, मंडली चर्चा करोगे आचरण में खोंट कहना नियति में दोष कहना थी त्रुटि केवल हमारी बोल कर आंसू बहाना जब कभी पूंछे कोई तो बेवफा मुझको बताना। माथे पर सिलवट पड़ी है चूल्हे पर विरह जली है शब्द पकते आंच पर हैं भाव टूटे कांच पर हैं बेल घावों की हरी है आंसुओं से सिंच रही है प्रेयसी को पत्र देना हो तो मुझसे ही लिखाना। जब कभी पूंछे कोई तो बेवफा मुझको बताना। वासना को नष्ट करके मंदिरों में पांव पड़के मांथे पर टीका लगाकर काशी या नैमिष में जाकर विप्र को गौ दान करके गंगा में स्नान करके भागवत, मानस श्रवण कर अपने पापों को मिटाना। जब कभी पूंछे कोई तो बेवफा मुझको बताना। अब बिछड़ने की घड़ी है मौत सिरहाने खड़ी है तिमिर ने देखा वो सबकुछ कौमुदी जो कर रही है झीसियां परिजन की होंगी काल अभिवादन की होंगी तुम भी दो आंसू बहाकर गंगा मईया में बहाना। जब कभी पूंछे कोई तो बेवफा मुझको बताना। प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर ©#काव्यार्पण जब कभी पूंछे कोई तो बेवफा मुझको बताना- प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर #Kavyarpan #काव्यार्पण #Nojoto #saidpoetry #Love #short_shyari ꧁༒शिवम् सिं
जब कभी पूंछे कोई तो बेवफा मुझको बताना- प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर #Kavyarpan #काव्यार्पण #saidpoetry Love #short_shyari ꧁༒शिवम् सिं #Poetry #शून्य
read more#काव्यार्पण
White हमारे ही हो तुम हमारे रहोगे मेरी प्रीत को तुम संभाले रहोगे। तुम्हारी हथेली में अपनी लकीरें न पाकर विधाता से मैं लड़ रही हूं। मेरी मांग में सज न पाया जो कुमकुम वो सिंदूरदानी में मैं भर रही हूं। इसी कामना में जिए जा रही हूं कि अगले जनम तुम हमारे रहोगे। हथेली पर अपनी मै दिनकर उगा लूं या केवट की तरह तेरे पद प्रक्षालू या फिर जानकी सम भुलाकर अवध को मैं अपनी स्वेच्छा से वनवास पा लूं। विरह वेदिका बन चुकी तप्त कुंदन मै सीता तुम रघुबर हमारे रहोगे। जतन कर लिए सारे जपतप भजन व्रत मिलन की विफल युक्तियां सब रही हैं मेरे भाग्य को मेरे अंतस की कुंठा या रूठी कोई यामिनी लिख रही है । परिस्थिति कठिन या अमंगल हो बेला करो प्रण वरण तुम हमारा करोगे। प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर ©#काव्यार्पण हमारे ही हो तुम हमारे रहोगे #काव्यार्पण #Kavyarpan #Nojoto o #sad_shayari Kumar Shaurya Yash Mehta #शून्य राणा नंदी Sircastic Saurabh ꧁
हमारे ही हो तुम हमारे रहोगे #काव्यार्पण #Kavyarpan o #sad_shayari Kumar Shaurya Yash Mehta #शून्य राणा नंदी Sircastic Saurabh ꧁ #Love
read moreदीपा साहू "प्रकृति"
दरकते प्रेम की पीड़ा, निःसंदेह, हृदय से निकलती है। लाल रक्त धमनियों से होता हुआ, पीड़ा को समाहित कर, मस्तिष्क के उस भाग पर पहुँचता है, जहाँ, उस प्रेम की तस्वीर बनी है। हाँ रंगीन है ,सुहानी है, आकर्षक है, पर प्रेमाघात की पीड़ा से, ज्यों ही रगें फटती हैं, सारा दर्द बिखर कर, उस तस्वीर पर छिटक जाता है, और वो तस्वीर, दर्द से भीग जाती है, उसको छूते ही,दरक जाती है, भीगे कागज की तरह, हम उसे गर्म साँसों से सुखाने , की कोशिश करते हैं, सूख तो जाती है, पर सिकुड़ जाती है....... हमेशा के लिए......…. दुबारा वो पहले जैसी नहीं होती। ©दीपा साहू "प्रकृति" #sugarcandy #Prakriti_ #deepliner#poem #Photography #love #SAD #Nozoto दरकते प्रेम की पीड़ा, निःसंदेह, हृदय से निकलती है। लाल रक्त धमनियों
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