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भुवनेश शर्मा
सुंदर सृष्टि, उसमें भी हम इंसान अनुपम कृति और उस देव की संतान मुस्कुराए हर पल, बढ़ाएँ मदद को हाथ "डींग हाँकने" से क्या लाभ, कुछ कर दिखाएँ जग को -प्रियतम ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_146 👉 डींग हाँकना मुहावरे का अर्थ --- बढ़ चढ़ कर कहना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो
DR. SANJU TRIPATHI
जिंदगी में किसी के सामने बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने से बेहतर है कुछ करके दिखाओ, मेहनत से काम करोगे तो तुम्हारा काम बोलेगा तुम्हें बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_146 👉 डींग हाँकना मुहावरे का अर्थ --- बढ़ चढ़ कर कहना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो
Vedantika
डींग हाँकना उनकी आदत बहुत पुरानी है जिनकी ज़िंदगी बस एक झूठी कहानी है दिखाते हैं बहुत कुछ खास खुद को ज़माने में लेकिन उनके पास भी हम जैसी परेशानी है ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_146 👉 डींग हाँकना मुहावरे का अर्थ --- बढ़ चढ़ कर कहना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो
Rahul Ashesh
फ़िर हुई है सुबह तो दिनकर भी नया सा है, पुराना कुछ भी नहीं है हर मंज़र भी नया सा है। आज फ़िर देह रूपी रथ को निडर निश्वार्थ हाँकना है, मुश्किल नई सी है तो अवसर भी नया सा है। ©Rahul Ashesh फ़िर हुई है सुबह तो दिनकर भी नया सा है, पुराना कुछ भी नहीं है हर मंज़र भी नया सा है। आज फ़िर देह रूपी रथ को निडर निश्वार्थ हाँकना है, मुश्किल न
Pnkj Dixit
आयोजन : "हम कितने दूर कितने पास" दिनांक - ०७/०७/२०१९ दिवस - रविवार विधा - कविता जब - जब मिलते रिश्तेदार मुस्कान मुख पर रहती है। मन के भीतर द्वेष भरा है जिह्वा पर निन्दा रहती है ।। मतलब का अनुबंध सभी का मुसीबत में साथ रहते नहीं । धन-दौलत की डींग हांकते पर नीयत बचकानी रहती है ।। स्वाभिमान घर के कोने में अभिमान सड़क पर रहता है । स्वार्थ हित में पुरुषार्थ भूलकर मानवता भटकती रहती है ।। सृष्टि की अनुपम रचना है मानव पर प्रकृति अनुकूल रहती नहीं । मन से हम कितने दूर कितने पास हर पल कवि मन चिंता रहती है।। संस्कार सभ्यता वेदों की ज्योति प्राणी में सहयोग भावना भरती है। सृष्टि में मानव का प्रयोजन क्या है विज्ञ कवि कलम बताती रहती है।। 🌷👰💓💝 ... ✍ कमल शर्मा'बेधड़क' मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश। आयोजन : "हम कितने दूर कितने पास" दिनांक - ०७/०७/२०१९ दिवस - रविवार विधा - कविता जब - जब मिलते रिश्तेदार मुस्कान मुख पर रहती है। मन के भ
Divyanshu Pathak
मेरे देश के हुक्मरानों कब तक यूं झूठी स्वतंत्रता का झुनझुना देकर भेंट चढ़ाओगे हमें ! इंडिया को हिंदुस्तान और हिंदुस्तान को भारत बनाओगे कभी ! दुनियाभर में आदर्शो की डींग हांकने से फ़ुर्सत हो जाये तो । आधी आबादी का दर्द भी देख पाओगे कभी । मुझे मेरे वाला भारत देने की बात कहने बालो । भ
Asha Giri
हे भूतों के भूत, राक्षसों के राक्षस, बड़ी बड़ी डींग हाँकने वाले दैत्य। तुम और तुम्हारी शवों से भरी सेना हमारा मानव जाति का कुछ नहीं बिगाड़ सकती, हम मानवों ने जादू-टोना, तंत्र-मंत्र की विद्या सीख ली है जिससे हम तुम्हारे छक्के छुड़ा सकते हैं। हमने तंत्रीय विद्या से षट्भुजाकार यंत्र भी बना लिया है जिससे हम तुम्हारी प्रेतात्माओं को कैद कर सके। तम्हारी दैत्य, चुड़ैल, प्रेतात्मा, राक्षसों की सेना सिर्फ हमें डरा सकती है बहुत डरा सकती है लेकिन हम उसका भी उपाय ढूँढ लेंगे जल्द। तुम्हारी बुरी नज़र कद्दुओं के कंदील ..... हे भूतों के भूत, राक्षसों के राक्षस, बड़ी बड़ी डींग हाँकने वाले दैत्य। तुम और तुम्हारी शवों से भरी सेना हमारा मानव जाति का कुछ नहीं बिगाड़
Soulmate (Yuhee)
उसके अश्रुओं से दर्द और तन्हाई कोई तो समझे एक पानी था । है नहीं , था। क्योंकि वह चला गया , जाने वाले के आगे ' था ' लग जाता है । तो लग गया । लेकिन पानी कहाँ गया , समंदर की ओर । शा