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M.K Meet
दयार-ए-इश्क में, मुश्किल है दिल को समझाना के मासुम मशविरों को, पागल ये मानता ही नहीं ©M.K Meet दिल पत्थर होने लगा है या कि पत्थर बना रहा कोई!!
दिल पत्थर होने लगा है या कि पत्थर बना रहा कोई!!
read moreGhumnam Gautam
गुल व भँवरे की हर कहानी में हैं बहारों के बाद पतझर भी घर में अमरूद गर लगाओगे आएँगे आँगनों में पत्थर भी ©Ghumnam Gautam #गुल #पत्थर #कहानी #ghumnamgautam
#गुल #पत्थर #कहानी #ghumnamgautam
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
पत्थर सड़क किनारे आज पड़ा हूँ मेरी होगी पूजा कल इंतजार में बैठा हूँ मैं सब्र का मीठा होगा फल नहीं किसी को घाव मैं देता खुद ही टकराती दुनिया मेरी यही कामना सबको मिल जाए अपनी खुशियाँ मैं कठोर हूँ इसमें मेरा कोई भी है दोष नहीं जहाँ मुझे कोई भी रखे रहता हूँ खामोश वहीं कोई ढूढ़ता मुझमें ईश्वर कोई ढूँढता है प्रियतम बेखुद जैसा भाव हो जिसका उसी रूप में मिलते हम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पत्थर
- Arun Aarya
मन का नाव अगर डूब चुका है , तो हिम्मत का पतवार क्या करें ! जब ख़ुद पर से भरोशा टूट चुका हैं ,, तो भला वो परवरदिगार क्या करें..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #Krishna परवरदिगार मतलब भगवान
#Krishna परवरदिगार मतलब भगवान
read moreShashi Bhushan Mishra
मनचाहा करते करतब, मर्यादा का क्या मतलब, नये ख़यालों के आलिम, अंग प्रदर्शन करे गज़ब, नदी लांघ देती मर्यादा, त्राहिमाम करते हैं सब, अपनी-अपनी हद में रहें, संस्कार सिखलाए अदब, पहनावे से बने आधुनिक, किन्तु विचार बड़े बेढव, आजादी का करें दिखावा, डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब, 'गुंजन' खुशगवार मौसम में, क्यों मांगूं फ़ुर्सत जब तब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #मर्यादा का क्या मतलब#
#मर्यादा का क्या मतलब#
read moreneelu
White भूलने का मतलब यह थोड़ी होता है कि याद नहीं करेंगे... ©neelu #good_night #भूलने का #मतलब यह #थोड़ी होता है कि #याद #नहीं #करेंगे
Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
चाहकर भी घर से निकलते नहीं अब.. खूब फिसले जमाने फिसलते नहीं अब.. वो बड़े ही सख्त मिजाज़ हुए रे कलम तेरे लफ्जों के कमाल चलते नहीं अब.. पिघले होंगे पत्थर किसी के पिघलाये से मेरे पिघलाये से वो पिघलते नहीं अब.. रातों के इंतजार में रहता हूँ तुम्हारे लिये ये दुश्मन दिन जल्दी ढलते नहीं अब.. ख़ुद को बाँट तो लिया सर्द गर्म रातों सा मौसम हैं कि सही से बदलते नहीं अब.. वादियाँ मशगूल हैं हुस्न की फिराक में दिवाने दिल के अरमाँ मचलते नहीं अब.. एक हम हैं, कोशिशें खूब की भुलाने की एक वो हैं, दिल से खिसकते नहीं अब.. ©अज्ञात #पत्थर