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katha Darshan

कथा दर्शन : वेद पुराण और उपनिषदों का सार वेद पुराणों और उपनिषदों में अनेकों ऐसी बातें और कहानियां हैं जो आपके जीवन के अंदर एक नया बदलाव

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विष्णुप्रिया

वे जो शुद्ध चित्त से त्याग के मार्ग पर प्रयत्नशील हैं, वे ही उस ज्ञान को समझ पाते हैं, जो उपनिषदों में निहित हैं, और वे ही अन्त में ब्रह्म क #yqdidi #बुद्ध #मुक्ति #हिंदीqoutes #विष्णुप्रिया #सत्य_का_पथ

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न ज्ञान से, न संतान से, न सम्पदा से,
बल्कि त्याग से ही
अमरत्व की प्राप्ति होती हैं।
त्याग से ही,
उस स्वर्ग से महान
चित्त की गुहा में बैठे
उस प्रकाशमान ब्राह्म की
प्राप्ति होती हैं। वे जो शुद्ध चित्त से त्याग के मार्ग पर प्रयत्नशील हैं, वे ही उस ज्ञान को समझ पाते हैं, जो उपनिषदों में निहित हैं, और
वे ही अन्त में ब्रह्म क

N S Yadav GoldMine

#Anticorruption {Bolo Ji Radhey Radhey} यह गीता उपनिषद, भगवतगीता, जो समस्त उपनिषदों का सार है, गाय के तुल्य है, और ग्वालबाल के रूप में वि #पौराणिककथा

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
यह गीता उपनिषद, भगवतगीता, 
जो समस्त उपनिषदों का सार है, 
गाय के तुल्य है, और ग्वालबाल 
के रूप में विख्यात भगवान 
श्री कृष्ण इस गाय का दूध दोह 
रहे हैं। अर्जुन बछड़े के समान है, 
और सारे विद्वान तथा भक्त 
भगवतगीता के अमृतमय दूध का 
पान करने वाले हैं।। गीता महातम।।

©N S Yadav GoldMine #Anticorruption {Bolo Ji Radhey Radhey}
यह गीता उपनिषद, भगवतगीता, 
जो समस्त उपनिषदों का सार है, 
गाय के तुल्य है, और ग्वालबाल 
के रूप में वि

Bazirao Ashish

भारतवासियों! विराथू बनो.... CAA कानून के अलावा किसी अफगानिस्तानी कायरों को भारत में शरण न लेने दें... #भारत_कोई_धर्मशाला_नहीं 1950 से कुछ त

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भारतवासियों! विराथू बनो....
CAA कानून के अलावा किसी अफगानिस्तानी कायरों को 
भारत में शरण न लेने दें...
#भारत_कोई_धर्मशाला_नहीं
1950 से कुछ तिब्बती कायरों को 
हम आज तक ढो रहे हैं...
तिब्बतियों को कायर बनाया किसने?
बुद्ध ने उपनिषदों से आधा ज्ञान ही लिया : 
"अहिंसा परमो धर्म:"
----
"धर्म हिंसा तथैव च"। 
पूरी शिक्षा पूरा ज्ञान लेकर
 रण में कूद पड़ो.....
विराथू बनो....
विराथू बनो....
◆आशीष●द्विवेदी◆

©Bazirao Ashish भारतवासियों! विराथू बनो....
CAA कानून के अलावा किसी अफगानिस्तानी कायरों को 
भारत में शरण न लेने दें...
#भारत_कोई_धर्मशाला_नहीं
1950 से कुछ त

अजय प्रकाश पैन्यूली जी

किरण वही जो अन्धकार का विनाश है जो चीरती है घोर निराशा वही प्रकाश है! दशों दिगपाल और चारों दिशाओं में ग्रन्थ वेद उपनिषदों की ऋचाओं में काल

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किरण वही जो अन्धकार का विनाश है
जो चीरती है घोर निराशा वही प्रकाश है!

दशों दिगपाल और चारों दिशाओं में
ग्रन्थ वेद उपनिषदों की ऋचाओं में
काल

Rakesh frnds4ever

#भारत को #शिक्षा की जरूरत है #Education की नहीं भारत को विज्ञान /प्रकृति की जरूरत है #Science की नहीं भारत को #स्वदेशी की जरूरत है mode #English #आयुर्वेद #समाज #apjabdulkalam #वेदों #किसानों

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भारत को शिक्षा की जरूरत है
education की नहीं
भारत को विज्ञान /प्रकृति की जरूरत है
science की नहीं
भारत को स्वदेशी की जरूरत है
modern होने की नहीं
भारत को किसानों की जरूरत है
 factories की नहीं
भारत को आयुर्वेद की जरूरत है
medicines की नहीं
भारत को वेदों उपनिषदों की जरूरत है
english की नहीं
भारत को धरती मां की जरूरत है
buldings की नहीं
भारत को भारतीयता की जरूरत है
westernity की नहीं
भारत को भारतीयों की जरूरत है
अंग्रजियत की नहीं,
भारत को पहले वाले भारत की जरूरत है
बाकी दुनिया की नहीं
क्यूंकि भारत ही दुनिया का स्वर्ग था ,,, #भारत  को #शिक्षा  की जरूरत है
#Education  की नहीं
भारत को विज्ञान /प्रकृति की जरूरत है
#Science  की नहीं
भारत को #स्वदेशी  की जरूरत है
mode

Shravan Goud

स्वास्तिक ----------- एक आकार जिसमें समाया है ओं कार, एक कृति, जिसमें समाई जीवन की प्रवृत्ति। #Spirituality #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #spiritualawakening #restzone #lopathewriter

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स्वस्तिक शब्द सु+अस+क 
से बना है। 'सु' का अर्थ 
अच्छा, 'अस' का अर्थ 
'सत्ता' या 'अस्तित्व' और 
'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या 
करने वाले से है। इस प्रकार 
'स्वस्तिक' शब्द का अर्थ हुआ 
'अच्छा' या 'मंगल' करने वाला। 
'अमरकोश' में भी 'स्वस्तिक' का 
अर्थ आशीर्वाद, मंगल 
या पुण्यकार्य करना लिखा है।  स्वास्तिक
-----------

एक आकार
जिसमें समाया है ओं कार,
एक कृति,
जिसमें समाई जीवन की प्रवृत्ति।

Alok Vishwakarma "आर्ष"

Urdu_Hindi Poetry सोचा था.. नहीं कहूँगा.. आप विचारों को जैसे चाहे अभिव्यक्त करें.. पर अध्यात्म के Against कोई कुछ लिखेगा.. तो समाज के मूर्ख #India #brokenheart #sadness #भारत #alokstates

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कितने दुःख की बात है,
जिन लोगों को भारत का अर्थ नहीं पता
जो भारत के अध्यात्म को नहीं जानते,
जिनके हृदय में मानवता के प्रति प्रेम नहीं
वो मेरे अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं Urdu_Hindi Poetry
सोचा था.. नहीं कहूँगा..
आप विचारों को जैसे चाहे अभिव्यक्त करें.. पर अध्यात्म के Against कोई कुछ लिखेगा.. 
तो समाज के मूर्ख

Ravi Sharma

आंखों में छिपे जाम किसी काम के नहीं राधा बिना तो श्याम किसी दाम के नहीं ।। होती रहे बागों में बहारों कि परवरिश । फूलों बिना गुलदान किसी का #शायरी

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आंखों में छिपे जाम किसी काम के नहीं 
राधा बिना तो श्याम किसी दाम के नहीं ।।

होती रहे बागों में बहारों कि परवरिश ।
फूलों बिना गुलदान किसी काम के नहीं ।। 

होता है बाजारों में तिजारत का सिलसिला।
मुनाफे के बिना दाम किसी काम के नहीं ।।

वेदों में पुराणों में उपनिषदों में ही रहे ।
सर्वस्व ज्ञान , बिन राम, किसी काम के नहीं।।

होता रहे छुप के इश्क़ ,पींग प्यार कि बढ़े ।
पर यार के बिन आराम किसी काम के नहीं ।

आंखों से पीया है नशा और नशे काम के नहीं। 
 मयखाने में साकी तेरे ये जाम किसी काम के नहीं।।

आकाश में घिर घिर के घुमड़ती है बदलियां
पानी बिना ये तामझाम , किसी काम के नहीं।।

चारों ही धाम घूम लिए , चार वेद भी पढ़े।
पूजे नहीं मां बाप तो सब काम, किसी काम के नहीं।।

लिखते रहे  छंद , शेर हमने भी गढ़े 
मीटर बिना ये काम , किसी काम के नहीं ।।

©Ravi Sharma आंखों में छिपे जाम किसी काम के नहीं 
राधा बिना तो श्याम किसी दाम के नहीं ।।

होती रहे बागों में बहारों कि परवरिश ।
फूलों बिना गुलदान किसी का

विष्णुप्रिया

इंद्रजाल = ब्रह्माण्ड नृत्यरत नटराज = कंपायमान ऊर्जा दो पंक्तियाँ = ब्रह्म और स्व उपनिषदों में नाद को ही ब्रह्म बताया गया है, #yqdidi #ॐ #आध्यात्मिक #आत्मबोध #विष्णुप्रिया

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नित्य क्या है...?
दो श्वासों के बीच की
मध्यावस्था....!!!

इंद्रजाल में समाहित...
प्रत्येक जीवन में प्रतिबिम्बित,
नृत्यरत नटराज का महा नृत्य,
अंतस की.....
दो पंक्तियों के मध्य का
भरता अंतराल सा है... इंद्रजाल          = ब्रह्माण्ड
नृत्यरत नटराज = कंपायमान ऊर्जा
दो पंक्तियाँ      = ब्रह्म और स्व

उपनिषदों में नाद को ही ब्रह्म बताया गया है,
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