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theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है, चिंतन में मन क्यूँ लागे है? छेड़ रण अब ख़ुद के मन से, भजन कीर्तन कैसे न रागे है? जग झूठे सुख म

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White मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है,
चिंतन में मन क्यूँ लागे है?
छेड़ रण अब ख़ुद के मन से,
भजन कीर्तन कैसे न रागे है?

जग झूठे सुख में अभियोग है,
जो लिप्त हुआ, सुख न पाया है।
जब अंतःमन प्रभु पुकारा है,
हर हृदय ने प्रभु को पाया है।

शरण में सर्वत्र न्यौछार दिया,
प्रभु ने उस जीवन को तार दिया।
जो नित ध्यान प्रभु में धारिता,
उसके जीवन का सार किया।

जीवन के सारे सुख निरर्थक हैं,
बिन प्रभु के कुछ भी सार्थक नहीं है।
जीवन का कोई राह दिखे न,
तो फिर प्रभु शरण ही उपाय है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है,
चिंतन में मन क्यूँ लागे है?
छेड़ रण अब ख़ुद के मन से,
भजन कीर्तन कैसे न रागे है?

जग झूठे सुख म

Dhaneshdwivediwriter

#camping मेरा सुख चैन खो रहा है अंदर ही अंदर तेरी यादों का बवंडर उमड़ रहा है dhaneshdwivediwriter

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Unsplash मेरा सुख चैन खो रहा है,
अंदर ही अंदर तेरी यादों का बवंडर उमड़ रहा है।

















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©Dhaneshdwivediwriter #camping मेरा सुख चैन खो रहा है 
अंदर ही अंदर तेरी यादों का बवंडर उमड़ रहा है

dhaneshdwivediwriter

Dhaneshdwivediwriter

मेरा सुख चैन खो रहा है अंदर ही अंदर तेरी यादों का बवंडर उमड़ रहा है

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मेरा सुख चैन खो रहा है 
अंदर ही अंदर तेरी यादों का बवंडर उमड़ रहा है।

©Dhaneshdwivediwriter मेरा सुख चैन खो रहा है 
अंदर ही अंदर तेरी यादों का बवंडर उमड़ रहा है

N S Yadav GoldMine

#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} रावण, कंस, दुर्योधन, सिसुपाल, और भी बहुत से है और थे, इनके पास किसी चीज की कमी नहीं थी, सुख सारे थे, सं

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Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
रावण, कंस, दुर्योधन, सिसुपाल,
और भी बहुत से है और थे,  
इनके पास किसी चीज की 
कमी नहीं थी, सुख सारे थे,
संतोष व विस्वास नही था।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey}
रावण, कंस, दुर्योधन, सिसुपाल,
और भी बहुत से है और थे,  
इनके पास किसी चीज की 
कमी नहीं थी, सुख सारे थे,
सं

Srinivas

एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।

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एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।

©Srinivas एक सच्चा क्रांतिकारी शासक वह है जो सत्ता का उपयोग शासन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा और समृद्धि के लिए करता है।

Shiv Narayan Saxena

#relaxation मिलन सुख poetry in hindi

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चार  मिले,  चौंसठ  खिले, बीस रहे कर जोड़। 
 प्रेमी सज्जन जब मिले, खिल गये सात करोड़।।

©Shiv Narayan Saxena #relaxation मिलन सुख  poetry in hindi

Rohan Roy

ना दुख की कोई सीमा है, ना सुख की कोई सीमा है | #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | positive life quo

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White ना दुख की कोई सीमा है, ना सुख की कोई सीमा है। यह दोनों की, अपनी-अपनी समस्या है। 
एक है कि जल्दी जाती नहीं 
और दूसरी है कि जल्दी आती नहीं। 
अगर पूरा गणित का, हिसाब लगा कर देखें।
तो यही जीवन है। 
जिसमें सुख-दुख का आना-जाना, 
प्राकृतिक रूप से निर्धारित है।

©Rohan Roy ना दुख की कोई सीमा है, ना सुख की कोई सीमा है | #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | positive life quo

Puja Saha

सुख दुख तो सबके ज़िन्दगी आता जाता है

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संगीत कुमार

#BirthDay (प्राणप्रिया) चंचल मन तू चंचला प्रिया। पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।। दिव्यस्वरुपनी तू दिव्या प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। रमा-

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(प्राणप्रिया)
चंचल मन तू चंचला प्रिया।
पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।।
दिव्यस्वरुपनी  तू दिव्या प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

रमा-रूपी तू कांता प्रिया।
हरिप्रिया  तू प्राण प्रिया।।
श्रृंगार -रूपी तू दारा प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।

अपूर्व (तनय) की तू जननी प्रिया।
घर की तु पद्मा प्रिया।।
उपवन की तू कुसुम  प्रिया
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

आलय की तू वामा प्रिया ।
सुख-दुख की तू छवि प्रिया।।
आँगन की तू आह्लाद प्रिया ।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

आकांक्षा की तू मयूख प्रिया।
समृद्धि की तू लक्ष्मी प्रिया।।
घरनी तू घरवाली प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

बाग की तू गुल प्रिया।
आँगन की तू शोभा प्रिया।।
परिवार की तू ऐश्वर्य प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

©संगीत कुमार #BirthDay (प्राणप्रिया)
चंचल मन तू चंचला प्रिया।
पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।।
दिव्यस्वरुपनी  तू दिव्या प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

रमा-

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

भाषा शैली स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित, . . शीर्षक लगी प्रीत .

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