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Mo_Khalid_s
White दाम अक्सर ऊंचे होते हैं ख़्वाहिशों के, मगर खुशियां महंगी नहीं होती। 🥀💯❤️ ©Mo_Khalid_s दाम अक्सर बड़े होते हैं #SAD #Shayari #Poetry #Quotes #mo_khalid_s
Sunil Sharma...
दिल अक्सर ये कहता है मुझसे कोई थाम लेता हाथ मेरा तो उसका हो जाता में भी..!! ©Sunil Sharma... #Affection दिल अक्सर ये कहता है मुझसे
meenakshi kanwar
Black अक्सर अच्छे-अच्छे रिश्ते टूट जाते है, क्योंकि हम रोज कुछ बुरा याद करते है... और कुछ अच्छा भूल जाते है। ©meenakshi kanwar अक्सर अच्छे-अच्छे रिश्ते टूट जाते है, #Morning #Trading
Poetry-Meri Diary Se
White अक्सर यही होता हैँ के जब मैं हार जाता हूँ, तब सब से खुद को जुदा और तन्हा पता हूँ! ये किस्मत का खेल हैँ या मेरी तक़दीर का लेखा जोखा, मतलब परस्त की दुनियाँ में आज यारों! मैं बहुत अकेला हों गया इतना की, आज साया भी अब मेरे साथ नहीं! ©ABi Aman #Moon अक्सर यहीं होता हैँ@#
r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla
अक्सर बिखर जाते हैं फूल खिलने पर, जब तक होता माली देख रेख को शायद तबतलक मुस्कुराते हैं। अक्सर बिखर जातें हैं फूल खिलने पर, ये महफूज होतें बाग़ियाँ मे पर ये सज किसी समारोह मे इठलाते हैं। पातें है अगली सुबह ही खुद को मुरझाया हुआ।। अक्सर शाख से टूट के वो फूल, वही फूल नही रहते, जो हवा के साथ बहते थे, सूरज की रौशनी मे चमकते थे। चिड़ियों और तितलियों की संगत मे चहकते थे।। इनके रंग उड़ने पर, अक्सर बिखर जाते हैं फूल खिलने पर।। ©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla #hibiscussabdariffa अक्सर बिखर जातें हैं फूल खिलने पर
@maya
इतने बेवफा नही हैं जो तुम्हे भुल जयांगे, अक्सर चुप रहणे वाले प्यार बुहत करते है...! ©@maya प्यार करणे वाले अक्सर खामोष राहते hai❤️❤️❤️
PURAN SINGH CHILWAL
खूबसूरत बात 🥀🥀🥀🥀 आपके पास जो है उसका शुक्र मनाओ किसी किसी के पास तो खाने को रोटी भी नहीं है ©PURAN SINGH CHILWAL #bicycleride , सच्चाई अक्सर खामोशी में ही मिलती है
Bharat Bhushan pathak
अक्सरां तन्हाईयों से मेरी बात होती है। हर दिन ही उससे मुलाकात होती है। पीठ आकर वो सहलाती है मेरी, कहती है दिन भी होती है न रात होती है। ©Bharat Bhushan pathak #SunSet अक्सरां तन्हाईयों से मेरी बात होती है। हर दिन ही उससे मुलाकात होती है। पीठ आकर वो सहलाती है मेरी, कहती है दिन भी होती है न रात होती
M@nsi Bisht
अक्सर कहते है हम ,जब कहने को कहा तो टाल दिया। कि समाज क्या कहेगा, अपनी सुनते या उसकी। छोड़ दिया अक्सर मिलती है महफ़िल में गैरों के अब क्यूं मौन है वो या मैं ©M@nsi Bisht #अक्सर