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Munna Kumar
नमस्कार जी मेरा परिचय --------------------- नाम --- मुन्ना कुमार निवास --- वैशाली ( बिहार ) पेशा -- किसान ,लेखन (कवि),स्वतंत्र पत्रकार प्रकाशित किताब -- भारत मां की पुकार फेसबुक पेज --- कवि मुन्ना कुमार "अजनबी" https://www.facebook.com/kavi.mk.Ajnabi/ मोबाइल न.-- 9517110994 (WhatsApp/call) मेल -- munnajikumar42@gmail.com मुन्ना कुमार ©Munna Kumar परिचय नमस्कार जी मेरा परिचय --------------------- नाम --- मुन्ना कुमार निवास --- वैशाली ( बिहार ) पेशा -- किसान ,लेखन (कवि),स्वतंत्र पत्र
अदनासा-
Sita Prasad
White लेेखन सौन्दर्य जब भी लिखी दास्तान दिल की कलम ने मेरा बखूबी साथ निभाया किसी ने कहा' वाह क्या बात है! ' किसी को मेरा नज़रिया न भाया हैं दिल की बातें भी अजीब इस दरिया में बस कुछ ही हैं नहाते हर एक को दृश्य सुन्दर हैं भाते बिरला ही कोई मनमोहक दिल हैं पाते स्वांग न रचना न बातें बनाना सीधी सी बात है दिल से दिल है मिलाना न अपना चातुर्य किसी को बार- बार दिखाना निर्मल हृदय पूर्ण सामने वाले की बात है समझना तुम कलिमल रहित मुझे अपनाना न मैं तुम्हे परखकर दोस्ती निभाऊँ मेरा तो बस काम ही है लिखना पाठक व दोस्त के घायल मन को सहलाना।। सीता प्रसाद ©Sita Prasad #flowers #कविता #लेखक #लेखन
||स्वयं लेखन||
क्यों संसार की बातों से भीग गए तेरे नैना, कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना, हर पल है यहां संघर्ष, संघर्षों के साथ तुझे है रहना, फ़िर क्यों संसार को आंसू दिखाकर, ख़ुद को है तुझे कमज़ोर दिखाना। - स्वयं लेखन ©||स्वयं लेखन|| क्यों संसार की बातों से भीग गए तेरे नैना, कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना, हर पल है यहां संघर्ष, संघर्षों के साथ तुझे है रहना,
Sagar Bangar
कसे विसरावे मी तुला तुझ्या नकळत तू पेरलेले स्वप्न जागे आहे माझ्या नकळत ✍️लेखन:-सागर बांगर ©Sagar Bangar #चारोळी ❤️🥰 कसे विसरावे मी तुला तुझ्या नकळत तू पेरलेले स्वप्न जागे आहे माझ्या नकळत❤️ लेखन:-सागर बांगर©® .
Vikrant Rajliwal Show
Gurudeen Verma
शीर्षक- हाँ, तैयार हूँ मैं ---------------------------------------------------------- हाँ, तैयार हूँ मैं, क्योंकि--------------, बांध रखा है मैंने अपना सामान चलने को, जूतें भी पॉलिश कर लिये हैं चलने को, और कपड़ें भी बदल लिये हैं मैंने चलने को। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम क्यों कर रहे हो ऐसा ? क्या वहाँ तुम्हारा वश चलता है ? क्या उन्होंने दिया है तुम्हें सन्देश मेरे लिए ? हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन मिट नहीं पा रही है अभी तक, आँखों में वो पुरानी तस्वीरें उनकी, निकल नहीं पा रही है दिल से अभी तक, उनकी वो नुकीली चुभती हुई बातें। हाँ, तैयार हूँ मैं, लेकिन डरता हूँ मैं वहाँ आने से, और नहीं करता हूँ उन पर विश्वास, मैं अब दुःखी नहीं रहना चाहता, मुझको अब आगे बढ़ना है। और इसीलिए, हाँ, तैयार हूँ मैं , क्योंकि--------------------। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखन
Vikrant Rajliwal Show
Ankit Upadhyay....
चेहरों के बाजार में आईना भी बेचा गया नजर में आने वालों को नज़रिया भी दिया गया कहानियाँ ईमान की फैली ही नहीं शहर में "अंक" बेईमानियों के प्रसंग से अखबार सजाया गया आसमां बनते-बनते जमीन को कुचला गया चांद -सा रौशन इलाका अंधेरों का होता गया निभाने वाले ईमान पर दाग भी लगाए गए जश्न के माहौल में देश ही बदल गया एक अकेला क्रांति के फिर भी लगाए नारे यहां आँधियों के वार से पेड़ भी लड़ता गया खूब चलते है चाकू कितनों के सीने तलें अखबार के पृष्ठों में देश कहानियाँ पढ़ता गया जनतंत्र करता है शोर रसातल के मेहमान का मोल -तोल करते नहीं है चुनावी-प्रचार का अखबार ही क्या जवाबदेह है? लोकतंत्र के इस विकार का दफ़्तरों में मौन-मुखौटो से दीनों की बात हुई है दीमकों को कागज़ो -सी खुराकी मिल गई है मानवों में दानवों -सा रक्त बह गया है मानो कलमों को कलम ही रहने दो मत प्रलोभन के स्वर को मानो प्रतिवर्ष तन मन की निर्मलता से विवेक,त्याग और कौशलता से फूलों-सा ईमान आता है देश जानूस-सामना के परिवेश में दीमकों का बनता है भेंट ©Ankit Upadhyay.... #traintrack #कविता #भष्टाचार #Corruption #अंक #लेखन #मेरेशब्द #नोजोटो #Nojoto #आलोचक