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Babli BhatiBaisla
किसी की भी हिमाकत नजरंदाज करने का मिजान नहीं है जानबूझकर किए जाने वाले गुनाहों में माफी का स्थान नहीं है स्वभाव नहीं सलूक का सही होना जरूरी है बेबस कमजोरी का मुजरा करना किस की मजबूरी है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla मिजानvineetapanchal Disha KhaultiSyahi Priya ख़्वाबों की दुनिया मañjü pãwãr
मिजानvineetapanchal Disha KhaultiSyahi Priya ख़्वाबों की दुनिया मañjü pãwãr #शायरी
read moreDILEEP RAJ AHIRWAR
White किसी की दुआओं मैं असर तो था लेकिन बस हमारी माँ की दुआओं के सामने बेअसर था ©DILEEP RAJ AHIRWAR #alone_quotes किसी की दुआओं मैं असर तो था लेकिन बस हमारी माँ की दुआओं के सामने बेअसर था
#alone_quotes किसी की दुआओं मैं असर तो था लेकिन बस हमारी माँ की दुआओं के सामने बेअसर था #SAD
read moreAnuj Ray
White दुनिया " लूट खोर बदमाश लुटेरों को , इक दिन ये "दुनिया" सबक सिखाती है। जब ताल ठोक के सत्य जयी होता है ,ये "दुनिया" भौंचक्की रह जाती है। कंस दशानन दुर्योधन जैसों की भी , एक-एक करके एक दिन सब की बारी आती है। चक्र समय का चलता रहता सदा निरंतर, पाप कर्मों की सज़ा यहीं मिल जाती है। ©Anuj Ray #दुनिया "
Manish ghazipuri
जाने कैसे लोग मिलेंगे, जाने क्या क्या बातें होंगी। गले मिलेंगे बारी बारी, या पीछे से घाते होगी। नये शहर में आ ही गये जब, शायद दिन में रातें होंगी। शीशे की दीवारें होंगी, कागज के सब फूल खिलेंगे। खुश्बू के मादक झोंकों में, शुष्क हृदय के तार हिलेंगे। आंखों से झरते अश्कों से, सावन की बरसातें होंगी। जाने क्या क्या बातें होंगी। ©Manish ghazipuri दुनिया की बाते
दुनिया की बाते #मोटिवेशनल
read moreKrishna Deo Prasad. ( Advocate ).
समुद्र को घमंड था, कि पूरी दुनिया को डुबो सकता है ? इतने में एक तेल की बूंद आई और उसपर तैरकर चली गई !!! ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #skylining #समुद्र को घमंड था कि पूरी दुनिया को डुबो सकता है इतने में एक तेल की बूंद आई और उसपर तैरकर चली गई 🙏🏾
#skylining #समुद्र को घमंड था कि पूरी दुनिया को डुबो सकता है इतने में एक तेल की बूंद आई और उसपर तैरकर चली गई 🙏🏾 #मोटिवेशनल
read moreManish Raaj
दुनिया ------ दुनिया के बाज़ार में दुकां देखा मकां देखा इंसानियत की पनाह देखी हैवानियत बेपनाह देखा रूह काँप जाए वो ठोकर देखी किसी को किसी का होते देखा और सब कुछ खोते देखा कभी इंसां को ख़ुदा होते देखा किसी को गुनाह के बीज बोते देखा कहीं हद पार करती सरहदें देखी किसी को दबते और दबाते देखा किसी ने तलब से किसी ने मतलब से देखा मामूली काम से एक मुक़ाम तक का सफर देखा कभी गिरते और गिराते देखा शर्मसार कर दे वो मंज़र भी तमाम देखा ग़रीब के ज़हन में अमीरी की लक़ीर देखी अमीरी की सोहबत में फ़क़ीर देखा ख़ुदा की नेमत को इंसानी तराजू में तौलते देखा नफा-नुक़सान की भट्टी में खौलते देखा चारों पहर साँस का ज़िंदगी पर पहरेदारी देखी दुनियाभर में ख़ुदा की कारीगरी और ज़िंदगी गढ़ते कलाकार की कलाकारी देखी मनीष राज ©Manish Raaj #दुनिया