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Ek villain
पिछले दिनों यूपी के 71 जिलों में जीएसटी की टीम ने ताबड़तोड़ छापेमारी की लंबे समय के बाद ऐसा हुआ है जब इस तरह के साथ जीएसटी की टीम व्यापारियों पर कहर बनकर टूट पड़ी है लगातार छापामारी और अधिकारियों के डर से ना सिर्फ दुकानें बंद है रही है बल्कि अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है गौरतलब है कि ज्यादातर व्यापारी और शिक्षित और जीएसटी के कायदे कानून नहीं जानते अनभिज्ञ होते हैं जिससे मुश्किलें बढ़ जाती ©Ek villain #desert व्यापारियों का रखें ध्यान
Neha Mittal
MANJEET SINGH THAKRAL
उम्मीद यही है कि लोग समस्या की गहराई और गंभीरता को समझें, बेरोजगार युवा सबसे पहले देश विरोधी ताकतों, अराजकतावादीयों, नशे के व्यापारियों और अपराधियों का शिकार बनते है। इसे जल्द से जल्द सुधारने की जरूरत हैं। #Youth4Swaraj #9Baje9Minute उम्मीद यही है कि लोग समस्या की गहराई और गंभीरता को समझें, बेरोजगार युवा सबसे पहले देश विरोधी ताकतों, अराजकतावादीयों, नशे के व्यापारियों और अ
Srinivas
इस संकट कोरोना काल में व्यापारियों और दलालों के बाजार मूल्य दर में जोड़-तोड़ से अब किसानों और उपभोक्ताओं को शोषण किया जाता है। (In this crisis of Corona Era , traders and brokers are manipulating and controlling the market price rate. Now Farmers and consumers are exploited.) କରୋନା ଯୁଗର ଏହି ସଙ୍କଟରେ, ବ୍ୟବସାୟୀ ଏବଂ ଦଲାଲମାନେ ବଜାର ମୂଲ୍ୟ ହାରକୁ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ କରୁଛନ୍ତି | ବର୍ତ୍ତମାନ କୃଷକ ଏବଂ ଗ୍ରାହକ ଶୋଷିତ ହେଉଛନ୍ତି | ©Srinivas Mishra इस संकट कोरोना काल में व्यापारियों और दलालों के बाजार मूल्य दर में जोड़-तोड़ से अब किसानों और उपभोक्ताओं को शोषण किया जाता है। (In this c
vibrant.writer
{ 44 } सुनो, पते की बात बतलाता हूं..... चेहरा देखकर इश्क करने वाले, रंग देखकर प्यार करने वाले, शरीर देखकर मोहब्बत करने वाले, घटिया लोगों से संभल कर रहा करो। © Vibrant_writer इन चमड़ी के व्यापारियों का मकसद, तुम्हारा मालिक बनने का है, इनके झांसे में ना आओ, अपना ख्याल रखो तुम अनमोल हो। #patekibaat 👈 touch on this and scroll up... ☺️ { 44 } #चेहरा सुनो, पते की बात बतलाता हूं..... चेहरा देखकर इश्क करने वाले, रंग देखकर प्या
Ravendra
Ravendra
Ravendra
Ravendra
अजय वर्मा
गरीबों की दासता दिखता है वो लिखता हूं , कहने से कौन डरता है । तुझ पर हुए अत्याचारों की कहानी, सरे आम चिल्लाता हूं।। शायद कुंभकरण की नींद खुले, मेरे इस चिल्लाने से । सत्ता का सुख भोग रहे है , जो महलों की परछाई में ।। शासन धृतराष्ट्र बना बैठा है, ए.सी. की दीवारों में । मजदूर कीमत चुका रहे है, मिट्टी की दीवारों में ।। अपनी मां को बलि चढ़ा दी, उसके ही पुत्रो की तुमने । भारत मां शर्मिंदा हुई है, पटरी पर लहूलुहान हुई है ।। वन्दे भारत समुद्र सेतु , विदेशों में इज्जत है । जो जिंदा है कद्र नहीं, मरे हुए को आंसू है ।। जनता बैठी घरों में, मरने की क्या इजाजत है । घर में खाने को नहीं, राजनीति गंगाजल है ।। गरीब भीख मांग रहा था, रेल की उन पटरियों पर । पैसे तुमने खूब लुटाए , व्यापारियों की छाती पर ।। तुमने सोचा जिंदा रहेंगे, भूख से कौन मरता है । शायद तुमको पता नहीं, भूखमरी भारत की चिंता है ।। मेरी कविता रोती - गाती, और पूछती एक सवाल । जो जिंदा है मरे नहीं है, मरने की क्या इजाजत है ।। - अजय वर्मा दिखता है वो लिखता हूं , कहने से कौन डरता है । तुझ पर हुए अत्याचारों की कहानी, सरे आम चिल्लाता हूं।। शायद कुंभकरण की नींद खुले, मेरे इस चिल्