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Deepak Gangwar
New Year 2024-25 Happy New Year, dear friend. Don’t forget the past, learn from it, and go out strong for your dreams and future. My best wishes are with you.” ©Deepak Gangwar #NewYear2024-25 31
#Newyear2024-25 31
read moreRadhe Radhe
New Year 2024-25 बीते हुए पल और आने वाले कल कई कड़वी यादे और अनचाही बाते अनकही दिक्कत और तजुरबा नवीन हर गुजरे लम्हों को सलाम कल के नए साल को बारम्बार मेरा प्रणाम। 🙏🙇♀🙇♀🙏 ❤❤❤ जय श्री राधे 31-12-2024 ©Radhe Radhe #NewYear2024-25 ,,31-12-2024
#Newyear2024-25 ,,31-12-2024
read moreNaZZu
New Year 2024-25 tumse koi nhi payra 🥰🥰 ©NaZZu Kartik Aaryan 31/12/24
Kartik Aaryan 31/12/24
read morePushpa Rai...
New Year 2024-25 2024 जाने को है और 2025 आने को है आओ फिर से कुछ नये वादे कर ले कुछ नेक इरादे,कुछ सपने नये सजा ले ©Pushpa Rai... #NewYear2024-25 #newyearresolution #Dt:31 Dec 2024
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read moreMaMtAa
माँ के लाडले बेटे शादी तो कर लेते हैं लेक़िन पति नहीं बनना चाहते और पिता बन नहीं पाते ©MaMtAa 31/12/2024
31/12/2024
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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read moreAnjali Jain
White हम कहीं भी नए स्थान पर जाते हैं नए लोगों से मिलते हैं तो हमारे मन में अजीब तरह की आशंकाएँ उठती रहती है कि वो जगह, वो लोग कैसे होंगे, हमें कैसा लगेगा, हमारे साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा...?चाहे हम परिपक्व उम्र के ही क्यों न हो? ऐसे में जब छोटे- छोटे बच्चे नए-नए स्कूल में प्रवेश लेते हैं तब वे भी, उनके अभिभावक भी थोड़े डरे सहमे होते हैं नए वातावरण,पुराने बच्चों के प्रति, कि कैसा व्यवहार होगा उनका ?बच्चा सहज हो पाएगा..बैठ पाएगा...! ऐसे में उज्जवल भविष्य के सपने मन में संजोए, नए- नए किशोर,युवा,नए शहर,नए कॉलेज में प्रवेश लेते हैं तब उनकी, उनके अभिभावकों की मनःस्थिति कैसी होती होगी...कल्पना कर सकते है,क्योंकि ऐसी स्थिति से सभी दो-चार होते ही हैं!! ©Anjali Jain #love_shayari रैगिंग क्या...??भाग 1
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