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बोल_बेतौल by Atull Pandey
White तन्हा नाविक अथाह सागर सांवरा सा, प्यास बड़ी विकल, चक्रवातों का अंदेशा है, नजर में नहीं साहिल। हठी अकेला मैं नाविक, इत उत डोलूं, गहरे भाव भेद मन के, किससे खोलूं। चट्टानों से लड़ लूं मैं, लहरों से भी भिड़ लूं मैं। तुम पक्षी हो आ सकते हो, अपने मन की गा सकते हो, खुले गगन में जा सकते हो, पंखों से मंजिल पा सकते हो। आ जा तुझसे ही, बतिया लूं मैं, अपना 'बेतौल' नेह, जता लूं मैं। कोई तो हो, जिससे मैं बोलूं, तेरी चूं चूं से ही, खुश हो लूं। लहरें शांत, मेरे हिय हलचल, लोचन में है खारा जल, तुम ही बन जाओ साथी मेरे, तुझे देख मैं हो जाता विव्हल। ©बोल_बेतौल by Atull Pandey #emotional_shayari #तन्हाई #अकेलापन #पंछी #बोल_बेतौल #trending #viral
Manju kushwaha
White वो पंछी जो गये थे दूर कमाने के लिए , जब शाम ढली जीवन की, हुए मजबूर उसी घरौंदे में वापस आने के लिए ll ©Manju kushwaha # पंछी
Himaani
🌱पंछी की दास्ता 🌱 डाल डाल पर फिरता हूं फिर भी कोई ना ठिकाना है जिस डाल पर बेसरा करता हूं उसी डाल को इंसान काटता है मैं पंछी लाचार हूं कर भी कुछ ना सकता हूं भाग्य में जो लिखा है मेरे बस उसको ही में भोक्ता हूं ©Himaani #oddone मैं पंछी लाचार हूं
PФФJД ЦDΞSHI
पंछी तू उड़ जा नील गगन मे मुझे भी अपना जैसा बना और ख़ुल के उड़ने दे खुली फ़िज़ा मे घुटन हो रही इस जहाँ मे...... ©PФФJД ЦDΞSHI #पंछी #pujaudeshi
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा :-सायली छन्द // विषय :- पंछी पंछी जैसे वह उड़ जाते हैं लौट नहीं पाते । जब बन जाते हैं परदेशी बेटे उम्र ढ़ले आते । क्या खाया पहना सोया जागा सब वह कहाँ बताते । जो बनाया था देखो उसने घर कब रहने आते । पंछी जैसा जीवन है अब उनका सुबह शाम आते ।। ०२/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :-सायली छन्द // विषय :- पंछी पंछी जैसे वह उड़ जाते हैं लौट नहीं पाते ।
अदनासा-
प्रकृति के भोर को पंछीयों का दौर दो मदहोश वाहनों का घनघोर शोर नही ©अदनासा- #हिंदी #प्रकृति #भोर #पंछी #दौर #वाहन #शोर #नही #Instagram #अदनासा
writer....Nishu...
आज़ाद पंछी हूँ मैं अपनी उड़ान खुद तय करूँगा उरूज इतनी ऊँजी होगी नीचे गिराने वालों की नज़र से ओझल होउँगा देखते रह जायेगे नाकाम कहने वाले ऐ मेरी मंजिल तुझसे इतनी मोहब्बत करूँगा तोड़ते हैं हर कोशिश को मेरी ये लोग सुर्ख़-रू से जुड़कर अब मैं मजबूत बनूँगा उड़ रहा मस्त गगन में मैं मेरी जमीं से भी उतनी ही मोहब्बत करूँगा अपने हर लक्ष्य की राह को पाकर रहूँगा मैं इक आज़ाद पंछी हूँ इक दिन सुर्ख़-रू से अपनी पहचान करूँगा कि अपनी उड़ान खुद तय करूँगा ©writer....Nishu... #आज़ाद पंछी