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संगीत कुमार
Black आओ मिल हम ईद मनाये मिलजुल खूब खुशियां मनाये गले से गले मिल त्यौहार मनाये मिलकर सेबईया खूब खाये आओ मिल हम ईद मनाये माह भर का रोजा रख प्रेम का संदेश जगाये पवित्रम माह है रमजान का सब मिल इसको मनाये आओ मिलकर हम ईद मनाये भारत है विविधता का देश पर हमसब मिल एक साथ रहते हर वर्ष त्यौहार मनाते कटुता का ना बात करते क्योंकि ये है अपना प्यारा देश आओ मिल हम ईद मनाये मिलजुल खूब खुशियां मनाये ©संगीत कुमार #eidmubarak आओ मिल हम ईद मनाये मिलजुल खूब खुशियां मनाये गले से गले मिल त्यौहार मनाये मिलकर सेबईया खूब खाये आओ मिल हम ईद मनाये माह भर का
#eidmubarak आओ मिल हम ईद मनाये मिलजुल खूब खुशियां मनाये गले से गले मिल त्यौहार मनाये मिलकर सेबईया खूब खाये आओ मिल हम ईद मनाये माह भर का #कविता
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Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष को दूर भगाये प्रीत की खूब अलख जगाये मिलकर हमसब सुसंगीत गाये आओ आओ होली खेले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब मिठाई हम सब खाये आओ आओ त्यौहार मनाये कटुता को मन से दूर भगाये हिया में खूशी का रंग घोल डाले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब रंग हम सब मिल डाले भींगे तन मन खिल जाये गालो पर गुलाल लगाये अधरों पर मुसकान छा जाये ऊंच नीच की ऐसी तैसी ©संगीत कुमार #holi2024 ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष
संगीत कुमार
ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष को दूर भगाये प्रीत की खूब अलख जगाये मिलकर हमसब सुसंगीत गाये आओ आओ होली खेले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब मिठाई हम सब खाये आओ आओ त्यौहार मनाये कटुता को मन से दूर भगाये हिया में खूशी का रंग घोल डाले ऊंच नीच की ऐसी तैसी खूब रंग हम सब मिल डाले भींगे तन मन खिल जाये गालो पर गुलाल लगाये अधरों पर मुसकान छा जाये ऊंच नीच की ऐसी तैसी ©संगीत कुमार #Holi ऊंच नीच की ऐसी तैसी मिलजुल हम सब गाये प्रीति रंग गुलाल लगाये मिलजुल खेले खूब प्रीत की होली ऊंच नीच की ऐसी तैसी ईर्ष्या द्वेष को द
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों करके क्रोध , बोलते हो कटु वाणी । भूल प्रेम व्यवहार , खड़ा करते हो झंझट । आज परीक्षा मान , भूल जाओ सब संकट ।। २२/०३/२०२४ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों कर
कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों कर #कविता
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