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Mayuri Bhosale
रूप तुझे .... रूप तुझे अंधारात लखलखणाऱ्या प्रकाशित ताऱ्यांसारखे. रूप तुझे कोळशाच्या खाणीत चमचमणाऱ्या हिऱ्यासारखे. रूप तुझे सागरात असणाऱ्या शिंपल्यातील शुभ्र मोत्यासारखे. रूप तुझे मोगऱ्याचा सुगंध बागेत दरवळल्यासारखे. रूप तुझे साजिरी गोजिरी दिसणाऱ्या नक्षत्रासारखे. रूप तुझे मंद झुळझुळ वाहणाऱ्या संथ वाऱ्यासारखे. रूप तुझे रात्रीच्या गोड लाजणाऱ्या चंद्रासारखे. रूप तुझे सुंदर मनाला भुरळ घालणाऱ्या मोहिनी सारखे. ©Mayuri Bhosale #रूप तुझे
#रूप तुझे
read moreseema patidar
White फिर एक दिन ........ आजाद कर दिया मैने वो पंछी...... जिसमे कभी ....... जान बसती थी मेरी ....... ©seema patidar खोया है तुझे,तुझे ही पाने के लिए
खोया है तुझे,तुझे ही पाने के लिए
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White नहीं सुननी मुझे दुनिया की बकवास मुझे तो बस तुझे सुनना अच्छा लगता है,,,, wrote by Urmee ki Diary ©Urmeela Raikwar (parihar) #Sad_Status तुझे सुनना है
#Sad_Status तुझे सुनना है
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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