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Pawan Valmiki

अजर अमर त्रिकालदर्शी भगवान वाली महाराज की जय आप सभी को प्रकट दिवस की शुभकामनाएं #nojotophoto

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 अजर अमर त्रिकालदर्शी भगवान वाली महाराज की जय आप सभी को प्रकट दिवस की शुभकामनाएं

Bazirao Ashish

गूँगे भी बोल पड़ते हैं "मैं गलत हूँ" अन्धे त्रिकालदर्शी जो ठहरे। ~●आशीष●द्विवेदी● #विडम्बना #ज़िन्दगी

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गूँगे भी बोल पड़ते हैं
"मैं गलत हूँ"
अन्धे त्रिकालदर्शी जो ठहरे।


~●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish गूँगे भी बोल पड़ते हैं
"मैं गलत हूँ"
अन्धे त्रिकालदर्शी जो ठहरे।


~●आशीष●द्विवेदी●
#विडम्बना

Shipra Pandey ''Jagriti'

रावण सब जानता था क्योंकि वो त्रिकालदर्शी था, वह स्वयं के साथ साथ पूरे राक्षस कूल का उद्धार करवाना चाहता था Ramleela #NojotoRamleela

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जानता हूँ दुराचारि हूँ मैं
ब्राह्मण होकर पाप कर रहा हूँ..! 
हे रघुवर...! 
माता जानकी को ले चला मैं, 
कर गिद्धराज जटायु को धरासायी
कर-कमलों से अपने मोक्ष दे जटायु को
हे जानकीनाथ...!
अक्षम्य कृत को मस्तिष्क  में धरकर
उद्धार करना कर मम् कुटुंब संहार..!!

©Aishani रावण सब जानता था क्योंकि वो त्रिकालदर्शी था, वह स्वयं के साथ साथ पूरे राक्षस कूल का उद्धार करवाना चाहता था

#NojotoRamleela

atrisheartfeelings

discllamer ; this story is not written by me. बगुला भगत (शिक्षास्पद कहानी) एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए #Motivational

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चालाक बगुला

Please read in captions;

©atrisheartfeelings discllamer ; this story is not written by me.

बगुला भगत (शिक्षास्पद कहानी)
एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए

Rishab Raj Gupta

Apka whtsaap free hai aage bhej dijiye भगवान शिव के 108 नाम ---- १- ॐ भोलेनाथ नमः २-ॐ कैलाश पति नमः ३-ॐ भूतनाथ नमः ४-ॐ नंदराज नमः ५-ॐ नन्दी

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Apka whtsaap free hai aage bhej dijiye
भगवान शिव के 108 नाम ----
१- ॐ भोलेनाथ नमः
२-ॐ कैलाश पति नमः
३-ॐ भूतनाथ नमः
४-ॐ नंदराज नमः
५-ॐ नन्दी

Vikas Sharma Shivaaya'

✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए #समाज

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✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री होने के कारण वहां नाना प्रकार के जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए और केकडे आदि वास करते थे। पास में ही बगुला रहता था, जिसे परिश्रम करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। उसकी आंखें भी कुछ कमज़ोर थीं। मछलियां पकडने के लिए तो मेहनत करनी पडती हैं, जो उसे खलती थी। इसलिए आलस्य के मारे वह प्रायः भूखा ही रहता। एक टांग पर खडा यही सोचता रहता कि क्या उपाय किया जाए कि बिना हाथ-पैर हिलाए रोज भोजन मिले। एक दिन उसे एक उपाय सूझा तो वह उसे आजमाने बैठ गया...,

बगुला तालाब के किनारे खडा हो गया और लगा आंखों से आंसू बहाने। एक केकडे ने उसे आंसू बहाते देखा तो वह उसके निकट आया और पूछने लगा 'मामा, क्या बात है भोजन के लिए मछलियों का शिकार करने की बजाय खडे आंसू बहा रहे हो?'

बगुले ने ज़ोर की हिचकी ली और भर्राए गले से बोला- 'बेटे, बहुत कर लिया मछलियों का शिकार। अब मैं यह पाप कार्य और नहीं करुंगा। मेरी आत्मा जाग उठी हैं। इसलिए मैं निकट आई मछलियों को भी नहीं पकड रहा हूं। तुम तो देख ही रहे हो।'केकडा बोला 'मामा, शिकार नहीं करोगे, कुछ खाओगे नहीं तो मर नहीं जाओगे?

बगुले ने एक और हिचकी ली 'ऐसे जीवन का नष्ट होना ही अच्छा है बेटे, वैसे भी हम सबको जल्दी मरना ही है। मुझे ज्ञात हुआ है कि शीघ्र ही यहां बारह वर्ष लंबा सूखा पडेगा।'बगुले ने केकडे को बताया कि यह बात उसे एक त्रिकालदर्शी महात्मा ने बताई हैं, जिसकी भविष्यवाणी कभी ग़लत नहीं होती। केकडे ने जाकर सबको बताया कि कैसे बगुले ने बलिदान व भक्ति का मार्ग अपना लिया हैं और सूखा पडने वाला हैं।उस तालाब के सारे जीव मछलियां, कछुए, केकडे, बत्तखें व सारस आदि दौडे-दौडे बगुले के पास आए और बोले 'भगत मामा, अब तुम ही हमें कोई बचाव का रास्ता बताओ। अपनी अक्ल लडाओ तुम तो महाज्ञानी बन ही गए हो।'बगुले ने कुछ सोचकर बताया कि वहां से कुछ कोस दूर एक जलाशय हैं जिसमें पहाडी झरना बहकर गिरता हैं। वह कभी नहीं सूखता। यदि जलाशय के सब जीव वहां चले जाएं तो बचाव हो सकता हैं। अब समस्या यह थी कि वहां तक जाया कैसे जाएं? बगुले भगत ने यह समस्या भी सुलझा दी 'मैं तुम्हें एक-एक करके अपनी पीठ पर बिठाकर वहां तक पहुंचाऊंगा क्योंकि अब मेरा सारा शेष जीवन दूसरों की सेवा करने में गुजरेगा।'सभी जीवों ने गद्-गद् होकर ‘बगुला भगतजी की जै’ के नारे लगाए...,

अब बगुला भगत के पौ-बारह हो गई। वह रोज एक जीव को अपनी पीठ पर बिठाकर ले जाता और कुछ दूर ले जाकर एक चट्टान के पास जाकर उसे उस पर पटककर मार डालता और खा जाता। कभी मूड हुआ तो भगतजी दो फेरे भी लगाते और दो जीवों को चट कर जाते तालाब में जानवरों की संख्या घटने लगी। चट्टान के पास मरे जीवों की हड्डियों का ढेर बढने लगा और भगत जी की सेहत बनने लगी। खा-खाकर वह खूब मोटे हो गए। मुख पर लाली आ गई और पंख चर्बी के तेज से चमकने लगे। उन्हें देखकर दूसरे जीव कहते 'देखो, दूसरों की सेवा का फल और पुण्य भगतजी के शरीर को लग रहा है।'बगुला भगत मन ही मन खूब हंसता। वह सोचता कि देखो दुनिया में कैसे-कैसे मूर्ख जीव भरे पडे हैं, जो सबका विश्वास कर लेते हैं। ऐसे मूर्खों की दुनिया में थोडी चालाकी से काम लिया जाए तो मजे ही मजे हैं। बिना हाथ-पैर हिलाए खूब दावत उडाई जा सकती है संसार से मूर्ख प्राणी कम करने का मौक़ा मिलता है बैठे-बिठाए पेट भरने का जुगाड हो जाए तो सोचने का बहुत समय मिल जाता हैं...,

बहुत दिन यही क्रम चला। एक दिन केकडे ने बगुले से कहा 'मामा, तुमने इतने सारे जानवर यहां से वहां पहुंचा दिए, लेकिन मेरी बारी अभी तक नहीं आई।'भगत जी बोले 'बेटा, आज तेरा ही नंबर लगाते हैं, आजा मेरी पीठ पर बैठ जा।'केकडा खुश होकर बगुले की पीठ पर बैठ गया। जब वह चट्टान के निकट पहुंचा तो वहां हड्डियों का पहाड देखकर केकडे का माथा ठनका। वह हकलाया 'यह हड्डियों का ढेर कैसा है? वह जलाशय कितनी दूर है, मामा?'

बगुला भगत हा-हा करके खूब हंसा और बोला 'मूर्ख, वहां कोई जलाशय नहीं है। मैं एक- एक को पीठ पर बिठाकर यहां लाकर खाता रहता हूं। आज तू मरेगा...,

केकडा सारी बात समझ गया। वह सिहर उठा परन्तु उसने हिम्मत न हारी और तुरंत अपने जंबूर जैसे पंजों को आगे बढाकर उनसे दुष्ट बगुले की गर्दन दबा दी और तब तक दबाए रखी, जब तक उसके प्राण पखेरु न उड गए। फिर केकडा बगुले भगत का कटा सिर लेकर तालाब पर लौटा और सारे जीवों को सच्चाई बता दी कि कैसे दुष्ट बगुला भगत उन्हें धोखा देता रहा...,

शिक्षा:-

दूसरों की बातों पर आंखें मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए, वास्तविक परिस्थिति के बारे में पहले पता लगा लेना चाहिए, हो सकता है सामने वाला मनगढंत कहानियाँ बना रहा हो और आपको लुभाने की कोशिश कर रहा हो...,

कठिन से कठिन परिस्थिति और मुसीबत के समय में भी अपना आपा नहीं खोना चाहिए और धीरज व बुद्धिमानी से कार्य करना चाहिए....!
        🌅🔱🔥🚩📙✒️
      🧘🌲🏔️🌈💫🪐🪔
✍🏻किसी बच्चे का जन्म "गंड मूल नक्षत्र" में होता है तो क्या वाकई गंड मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे स्वयं या परिवार के लिए परेशानी लाते हैं? 
इस स्थिति में शांति पाठ कराना कितना फलदायी है? 
इन तमाम सवालों पर विचार करने से पहले जानते हैं कि गंड मूल नक्षत्र है क्या? 
धर्मशास्त्रों में कुल 27 नक्षत्रों का वर्णन मिलता है, जिनमें से कुछ नक्षत्र शुभ, तो कुछ अशुभ माने जाते हैं. कुछ नक्षत्रों को ही गंड मूल नक्षत्र कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस श्रेणी में आने वाले नक्षत्र हैं अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती। इन नक्षत्रों का जातक पर शुभ और अशुभ, दोनों प्रभाव होता है और इसका विचार कुंडली में इन छह नक्षत्रों में किसी एक में चंद्रमा की स्थिति, और नक्षत्र किस भाव में है, को देख कर किया जाता है। ठीक 27 दिन के बाद यह नक्षत्र पुन: आता है, इन सभी नक्षत्रों के कुल चार चरण होते हैं, और इसी चरण के हिसाब से जातक पर इसके प्रभाव की गणना की जाती है। 
उदाहरण के लिए, अश्वनी के पहले चरण में पैदा होने पर पिता को कष्ट जरूर होता है, बाकी तीन चरणों में जन्म होने पर सुख-संपत्ति, राजनीति में सफलता और राजकीय पुरस्कार आदि मिलता है।
 इसी तरह अश्लेषा के पहले चरण में जन्म लेने वाले बच्चे के लिए अगर शांति की पूजा करा ली जाए, तो बच्चे को शुभ फल मिलते हैं, लेकिन बाकी तीन चरणों में जन्म लेने पर धन की हानि, माता और पिता को तकलीफ पहुंचती है।
मघा नक्षत्र के पहले दो चरण में ही माता और पिता को कष्ट होता है, बाकी के दो चरणों में बच्चे को अच्छा-खासा धन और उच्चशिक्षा प्राप्त होती है। 
वहीं ज्येष्ठा के चारों चरण कष्टकारी हैं। जबकि मूल नक्षत्र के पहले तीन चरणों में माता-पिता को हानि होती है,लेकिन चौथे चरण में शांति कराने के बाद फायदा होता है। 
और आखिर में रेवती नक्षत्र! इसमें केवल अंतिम चरण में बच्चे को तरह-तरह के कष्ट मिलते हैं, लेकिन पहले तीन चरणों में जन्म होने पर राजकीय सम्मान, धन-दौलत की वृद्धि और व्यापार में फायदा होता है। ऐसे में शांति नहीं करवाने पर इन गंड मूल नक्षत्रों में जन्मा बच्चा माता-पिता, अपने कुल या अपने ही शरीर को क्षति पहुंचाता है। इस स्थिति में ज्योतिष के कहे अनुसार शांति की पूजा करा लेनी चाहिए। पूजा कराने के बाद ही पिता को अपने बच्चे को देखना चाहिए।

अपनी दुआओं में हमें याद रखें 

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
सर्वधर्म समाधान

©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए

Jyoti choudhary

अग्नि से जन्मी मैं किस्मत की बेबसी मैं पांचाली मैं यज्ञसनी मैं धर्म के लिए जन्मी मैं धर्म के नाम पर अपमानित मैं विधवान योधाओं की आर्या #Krishna #Mahabharat #yqbaba #yqdidi #draupadi #yqdiary #jyotichoudhary #Infinitequotes

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कहानी द्रौपदी की... 

रिश्ता मेरा था 
      विश्वास का
अभिमान था मुझे 
      अपनो का

Read in caption ......

-📝Jyoti Choudhary (monu) 

     अग्नि से जन्मी मैं 
किस्मत की बेबसी मैं 
पांचाली मैं यज्ञसनी मैं 
धर्म के लिए जन्मी मैं 
धर्म के नाम पर अपमानित मैं 
विधवान योधाओं की आर्या

Vidhi

‌स्वर्गलोक में आपातकालीन बैठक बुलाई गयी थी। जबसे अहिल्या का पाषाणरूप से उद्धार हुआ था उसने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर खुलासों की बौछार कर दी #MeToo #yqbaba #yqdidi #paidstory #satiricalstories #politicalhumor

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देवलोक की अदालत ‌स्वर्गलोक में आपातकालीन बैठक बुलाई गयी थी। जबसे अहिल्या का पाषाणरूप से उद्धार हुआ था उसने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर खुलासों की बौछार कर दी
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