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Arunava Chakraborty
এক অপূর্ব আলো নত হোক গাছের পাতায় ঝিলিমিলি লেগে যাক নদীর শান্ত শরীরে তোমাকে ছুঁয়েছি যেই হিম হিম সাদা কুয়াশায় সবকিছু শুভ হোক, তুমি থাকো হৃদয়ে গভীরে... Happy new year..... ©Arunava Chakraborty #Sunrise
Sashank
New Year Resolutions University of krishna ©Sashank University of Krishna #Krishna #lord #Bhakti #God Hinduism Islam Extraterrestrial life bhakti video bhakti song
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read moreRitumoni Duwari
This moment in owsome ©Ritumoni Duwari #GoodMorning #sunrise🌞 #sunrisephotography
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read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
कितना सुंदर शब्द है -"परमार्थ" है ना..! और इसका साधारण शाब्दिक अर्थ क्या है,-"उत्कृष्ट वस्तु"। बहुधा हम सबने कथा पुराणों में इस शब्द को सुना समझा होगा किन्तु इसकी एक और सुंदर व्याख्या की जा सकती है। कैसे..? देखिये परमार्थ का सन्धि विग्रह करें तो दो पृथक पृथक शब्द बनते हैं अर्थात परम् और अर्थ..! परम् शब्द का अर्थ जिसके ऊपर कुछ भी ना टिक सके, और अर्थ अर्थात ऐसा द्रव्य जिससे भोगों को प्राप्त किया जा सके सामान्यतः इसे धन समझ लें (यद्पि अर्थ को बहुत विस्तृत रूप में माना जाता है किन्तु यहां केवल शाब्दिक अर्थ में समझें) इस प्रकार परमार्थ का अर्थ हुआ "सर्वोत्तम प्राप्य"। और सर्वोतम प्राप्य क्या है, वह जिसे एक बार प्राप्त कर लिया जाये तो फिर कुछ भी पाने की कोई कामना नहीं रहती.. और ऐसा प्राप्य है "परमपिता परमेश्वर" हांजी सरल शब्दों में परमार्थ का अर्थ ही परमेश्वर की प्राप्ति है। अब प्रश्न आता है इस परमार्थ शब्द का प्रयोग किसके संदर्भ में किया जाता है तो उत्तर है मूलतः जीवमात्र के संदर्भ में..! जीव क्या है..? तो जीव प्रत्येक देहधारी में ईश्वर अंश जिसे ब्रम्हज्ञान द्वारा समझा जा सकता है, प्रत्येक जीव किसी ना किसी देह को धारण करता है और देहकर्म में निमग्न रहता है..! तो, परमार्थ जीव के लिए कहा गया है अब जीवों में भी सर्वोत्तम जीव है मनुष्य। अस्तु परमार्थ प्राप्ति की सर्वश्रेष्ठ योनि है मनुष्य जो परमार्थ प्राप्त कर पाने में अन्य जीवों से बहुत अधिक सामर्थ्य रखता है..! किन्तु केवल जीव परमार्थ को कैसे प्राप्त कर सकता है बिना किसी साधन के तब जीव को साधन रूप में देह प्राप्त हुई ताकि जीव कर्म के द्वारा परमार्थ प्राप्त कर सके..! किन्तु यहां भी एक समस्या है यदि जीव को देह प्राप्त हो भी गई तब उस देह के संचालन हेतु भी साधन की आवश्यकता तो होगी ही.. हाँ तो देह के लिए अति अनिवार्य तीन मुख्य वस्तुएँ हैं रोटी कपड़ा और मकान..! बस इतना देह की मुख्य आवश्यकता है जिसे जीव अपने कर्म से अर्जित करता दिखाई देता है.. पर यहां थोड़ा रुकते हैं और ये देखें कि क्या मानवदेह रुपी जीव अपने सम्पूर्ण जीवन में कितना देहापूर्ति में भागता है और कितना परमार्थ की ओर भागता है.. क्या मानवमात्र ने अपने जीवन के चरमोत्कर्ष को, परमार्थ को प्राप्त करने की कोई इच्छा भी की.वो तो अपने देह की आपूर्ति में परमार्थ को ही भूल बैठा है.! तब..? तब संत समाज उसकी विस्मृति को स्मृति में बदलने का प्रयास करता है, किन्तु वहाँ भी ये मानव समाज बिना स्वार्थ के परमार्थ से जुड़ना नहीं चाहता.. जबकि जीवन ही परमार्थ प्राप्ति के लिए मिला है। जय सियाराम 🙏🙏 ©अज्ञात #Sunrise
PARTHA
সুপ্রভাত 🌞 Wish #GoodMorning #Morning #Sunrise সূর্যোদয়ের শুভেচ্ছা শুভেচ্ছা স্টেটাস ভালোবাসার সাথে সুপ্রভাত
read morejeet musical world
ਜੇਕਰ ਨਾਮ ਜਪਿਆ ਵੰਡ ਛਕਿਆ ਕਿਰਤ ਕੀਤੀ ਫਿਰ ਆਖਣਾ ਧੰਨ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ 🙏 ✍️ ਜਤਿੰਦਰ ਜੀਤ ©jeet musical world #Sunrise