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Ek villain
हमारे राष्ट्रीय की औसत आयु समृद्धि युवा आबादी का संकेत है लेकिन हमारा भविष्य किस और जाएगा यह नई पीढ़ी के संस्कारों द्वारा ही तय होगा भाषा समाज की संयोजक होती है जो उसके आधार तत्वों को अपने विशाल शब्दकोश कहावतें लघु कथाओं साहित्य दर्शन आदि में बुनकर पीढ़ी दर पीढ़ी संतरे त्रित करती है इसमें कोई अचंभा नहीं है कि मृत्यु भाषा का अनादर समाज विघटन के रूप में दिखाई देने लगा है यही आपको प्रतिदिन के प्रकरणों में दिख जाएगा जैसे कि नमस्ते राम राम की जगह सुख हेलो गुड मॉर्निंग का प्रतिस्थापन गजा राज का मात्र एलीफेंट बन जाएगा गया माता का गांव और अंकल आंटी का प्रचलन इस दोस्त केवल नई पीढ़ी पर थोपना अन्य होगा जबकि माता-पिता ही फोन संग्रहण पर व्यस्त रहेंगे तो बच्चे भी तो वही व्यवहार अपना लेंगे ©Ek villain #DarkCity नई पीढ़ी को संस्कारित करना होगा
Guruji
रोज़ खाली हाथ जब घर लौट कर जाता हूँ मैं मुस्करा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं.. 😏😏😏 #बच्चे
B.L Parihar
पंडित उलझ के रह गए पोथी के जाल में, क्या चीज़ है ये ज़िंदगी; ये बच्चे बता गए #बच्चे
Vikas Verma
"थोड़े नासमझ, थोड़े नादान ही तो हैं," ये बच्चे। फिर भी हम इन्हें कहते है सच्चे। बच्चे
Vikas Verma
बचपन और मिठाई की चोरी झूठ बोलते थे। फिर भी कितने अच्छे थे हम ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम बच्चे
सुकून
उड़ने दो हवाओं में जीने दो कुछ पल हमें भी मत लगाओ बंदिशे मुझ पर लौट के वो पल नही आयेंगे करने दो कुछ शेतानियाँ चाह कर भी नही आएंगे बचपन के दिन तो बीत जायेंगे उड़ने दो परिंदो की तरह करने दो थोड़ी शैयतानीयाँ बनके थोड़ा सा बच्चा ©सुकून #बच्चे
Manmohan Dheer
अब करो बैठकें समीक्षा लाख तुम निलंबन करो हजार चिंतन बारम्बार मिट्टी के गुड्डे थे मिल गए मिट्टी में तुम करो जांच पड़ताल लगातार बच्चे तो चले गए ..... वो तो रुक ही नही रहे .... . उलझ रहे हो आपस में ही तुम क्या सुलझा पाओगे रास्ते पहले भी थे सामने क्या अब भी चल पाओगे बरसों का दुखदाई नाटक अब तो तुम बन्द करो बच्चे तो चले गए... वो तो रुक ही नही रहे . मजदूर दिहाड़ी से फिर भी दो रुपैया बचाता था घर पे कुछ लाता था संदूक में रख दिये होंगे उसने टूटे पुराने नए खिलौने लगते उसको सब बौने करेगा भी क्या बच्चे तो चले गए... वो तो रुक ही नही रहे.... . बच्चे