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सुसि ग़ाफ़िल
मैंने सरेआम कत्ल किया तेरे लिए उन फूलों का , पर तुम ख्याल ना रख सकी इश्क़ के उसूलों का । दुनिया रंगीन है , जहां देखोगे इंतजाम है दवा का, असल में यकीन करना पड़ता है एक ही जगह का। अंधेरी रातों में हमने बनाया था बस्ता सपनों का , कत्ल कर दिया तूने सरेआम इश्क़ के अपनों का। सार लिखा था , मैंने दीवारों पर तेरे - मेरे इश्क का, ईंटें गिराई तुमने,निशान ना छोड़ा इश्क के बीज का। जिंदा दफन हो गई अस्थियां,फिर कभी ना उठ सका, आती रही पीढ़ियां किस्सा और चलता रहा इश्क का। मैंने सरेआम कत्ल किया तेरे लिए उन फूलों का , पर तुम ख्याल ना रख सकी इश्क़ के उसूलों का । दुनिया रंगीन है , जहां देखोगे इंतजाम है दवा का,
Poonam Suyal
बाल श्रम (अनुशीर्षक में पढ़ें) बाल श्रम यूँ नन्हें हाथों को ना करो तुम इतना मजबूर पढ़ना लिखना छोड़कर बनना पड़े उन्हें मजदूर जिन हाथों में होनी थी कलम और पुस्तक
The solo pen
ईंटें एक दूसरे से जुड़ी हैं दीवार के लिए। प्यार हर किसी को साथ रखे ज़रूरी नहीं। ईंटें एक दूसरे से जुड़ी हैं दीवार के लिए। प्यार हर किसी को साथ रखे ज़रूरी नहीं। #yourquotedidi #yourquotebaba #yourquote
brijesh mehta
. ना कोई भाग्य ना कुछ किस्मत ना प्रारब्ध ना पुरुषार्थ ना था कुछ कर्मों का फल मिलता भी तो क्या मिलता,भाग्य मैं था ही नहीं जब "तू" ही नहीं मिला तो क्या खाक मिला! . ना कोई भाग्य ना कुछ किस्मत ना प्रारब्ध ना पुरुषार्थ ना था कुछ कर्मों का फल मिलता भी तो क्या मिलता,भाग्य मैं था ही नहीं जब "तू" ही नहीं
CalmKazi
तेरे हर दांव का जवाब कश्मकश से दूँगा ये कम्बख्त धड़कनों की लड़ाई में मेरी साँसे हैं के बस थमने को हैं । (क्रमशः) #700th #CalmKaziWrites तेरे हर दांव का जवाब कश्मकश से दूँगा । ये कम्बख्त धड़कनों की लड़ाई में, मेरी साँसे हैं के बस थमने को हैं । क्योंकि
officialrk
Must read Story in caption👇👇👇👇👇 2 min ka samay deker जरूर पढ़े... Humbble request. 👇👇👇👇 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 *👇👇 आज का प्रेरक प्रसंग 👇👇* *!! परोपकार की ईंट !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ बहुत समय पहले की बात है. एक विख्यात ऋषि ग
दीक्षा
मेरे सूकून का कोना (Caption) हमारे पुराने घर में सीढ़ी के बायीं ओर छत का एक कोना हुआ करता था बिल्कुल शांत संतोष भरा मुस्कुराता हुआ बेरंग सा अपनापन भरा कोना मैं जब खुश या
i am Voiceofdehati
★मकान★ मकान ही था, अकेला ही था लेकिन एक था क्योंकि उसकी ईंटें उसके साथ थी पर अचानक क्या हुआ न भूकंप आया न कोई तुफान फिर भी मकान में दरारें पड़ गई ऐसा क्या घटित हुआ जो मकान आज कंप उठा उसका हर एक ज़र्रा आज बंट उठा ईंटों में बिना दरारों के दूरियां आ गईं आज आखिर कौन सी मजबूरियां आ गईं लेकिन जल्द ही मकान सब समझ चुका था उसे समझ में आ गया था अब मैं बस दिखावटी रह गया हूं अंदर से तो पूरा परिवार बंट गया मैं बाहर से सजावटी रह गया हूं अब दीवारें साथ होकर भी बात नहीं कर सकती ईंटों की ये दूरियां किसी “सीमेंट” से नहीं भर सकती ★मकान★ यह मकान उस पिता को इंगित करता है जिसके जीते जी उसका परिवार बंट जाता हैं और पिता उन सबको समेटकर एक तो रखना चाहता है, लेकिन उनके बेटो
शुभी
जानते हो? (पूरी रचना अनुशीर्षक में) आसमाँ था, एक नदी थी और कुछ गज़ ज़मीं थी, नदी ने बाँटा ज़मीं को, आसमाँ बस देखता रहा। कुछ ऐसा हो भी सकता था, वो आसमाँ गिर भी सकता था, या बन क
Amit Mishra
【 नीम का पेड़ 】 गाँव वाले घर के सामने जो जगह खाली पड़ी थी वहाँ धूप बहुत आती थी। दिन में उसका कोई उपयोग होता नही था पर शाम को अक्सर छोटे बच्चे वहां जरूर खेल