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प्रथमेश विशाल

कमजोर ईंटें घर ऊंचा तो कर सकती हैं मियां, मजबूत नही 🙂 विशाल माहौर #Poetry

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कमजोर ईंटें घर ऊंचा तो कर सकती हैं मियां, मजबूत नही 🙂
विशाल माहौर

The solo pen

ईंटें एक दूसरे से जुड़ी हैं दीवार के लिए। प्यार हर किसी को साथ रखे ज़रूरी नहीं। #yourquotedidi #yourquotebaba #yourquote

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ईंटें एक  दूसरे से जुड़ी  हैं दीवार के लिए। 
प्यार हर किसी को साथ रखे ज़रूरी नहीं।  ईंटें एक दूसरे से जुड़ी हैं दीवार के लिए। 
प्यार हर किसी को साथ रखे ज़रूरी नहीं। 
#yourquotedidi #yourquotebaba #yourquote

नितिन कुमार 'हरित'

कल लड़ पड़े, दो भाई, महज इतनी सी बात पर, दस कमरों के उस मकां में, या तू रहे या मैं.... बस क्या था, ईंटें चलीं उसी मकां की.. और अब वो मकां ह #विचार

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कल लड़ पड़े, दो भाई, महज इतनी सी बात पर,
दस कमरों के उस मकां में, या तू रहे या मैं....
बस क्या था, ईंटें चलीं उसी मकां की..

और अब वो मकां ही नहीं रहा ???

- Nitin Kr Harit कल लड़ पड़े, दो भाई, महज इतनी सी बात पर,
दस कमरों के उस मकां में, या तू रहे या मैं....
बस क्या था, ईंटें चलीं उसी मकां की..

और अब वो मकां ह

brijesh mehta

. ना कोई भाग्य ना कुछ किस्मत ना प्रारब्ध ना पुरुषार्थ ना था कुछ कर्मों का फल मिलता भी तो क्या मिलता,भाग्य मैं था ही नहीं जब "तू" ही नहीं #मंजर #manjar #मंमाधन #manmadhan

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ना कोई भाग्य
ना कुछ किस्मत
ना प्रारब्ध ना पुरुषार्थ
ना था कुछ कर्मों का फल

मिलता भी तो क्या मिलता,भाग्य मैं था ही नहीं
जब "तू" ही नहीं मिला तो क्या खाक मिला!
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ना कोई भाग्य
ना कुछ किस्मत 
ना प्रारब्ध ना पुरुषार्थ
ना था कुछ कर्मों का फल 

मिलता भी तो क्या मिलता,भाग्य मैं था ही नहीं
जब "तू" ही नहीं

सुसि ग़ाफ़िल

मैंने सरेआम कत्ल किया तेरे लिए उन फूलों का , पर तुम ख्याल ना रख सकी इश्क़ के उसूलों का । दुनिया रंगीन है , जहां देखोगे इंतजाम है दवा का,

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मैंने सरेआम कत्ल किया तेरे लिए उन फूलों का  ,
पर तुम ख्याल ना रख सकी इश्क़ के उसूलों का ।

दुनिया  रंगीन है , जहां देखोगे इंतजाम है दवा का,
असल में यकीन करना पड़ता है एक ही जगह का।

अंधेरी  रातों में हमने  बनाया था  बस्ता सपनों का ,
कत्ल कर दिया  तूने सरेआम  इश्क़ के  अपनों का।

सार लिखा था , मैंने दीवारों पर तेरे - मेरे  इश्क का,
ईंटें गिराई तुमने,निशान ना छोड़ा इश्क के बीज का।

जिंदा दफन हो गई अस्थियां,फिर कभी ना उठ सका,
आती रही पीढ़ियां किस्सा और चलता रहा इश्क का। मैंने सरेआम कत्ल किया तेरे लिए उन फूलों का  ,
पर तुम ख्याल ना रख सकी इश्क़ के उसूलों का ।

दुनिया  रंगीन है , जहां देखोगे इंतजाम है दवा का,

Poonam Suyal

बाल श्रम यूँ नन्हें हाथों को ना करो तुम इतना मजबूर पढ़ना लिखना छोड़कर बनना पड़े उन्हें मजदूर जिन हाथों में होनी थी कलम और पुस्तक #restzone #collabwithrestzone #rzलेखकसमूह #rzwriteshindi #rzwotm #rzwotm_oct #rztask135 #ps_dailyquotes

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बाल श्रम 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) बाल श्रम 

यूँ नन्हें हाथों को 
ना करो तुम इतना मजबूर 
पढ़ना लिखना छोड़कर 
बनना पड़े उन्हें मजदूर 

जिन हाथों में होनी थी कलम और पुस्तक

Zoga Bhagsariya

किसी ने कहा ,गरीबी हटाओ, किसी ने किया इरादा छिपाने को, कोई गोरा आने वाला है, बनवाई है दीवार ,विकास दिखाने को , गर लगती ये ईंटें ,इस बस्ती #poem #poority #trumpcomingindia #deewar_wall

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किसी ने कहा ,गरीबी हटाओ,
किसी ने किया इरादा छिपाने को,

कोई गोरा आने वाला है,
बनवाई है दीवार ,विकास दिखाने को ,

गर लगती ये ईंटें ,इस बस्ती में,
क्या पड़ती ज़रूरत ? ,छिपाने को ,

गर मैं बोलूं ,इसका राज खोलूं ,
गद्दार"ए"वतन लगूंगा "ज़माने"को ,

अपनी " ऐशों परस्ती में , लगा है वो गरीब ,
      खाली करने मुल्क के "खज़ाने" को ,

गर होता है खड़ा कोई , वतन परस्ती में,
सारा जहां आ जाता है ,साला गिराने को ,

कई कहते हैं के, यहां सच कौन कहता है,
मुझसे बात करो , मैं आया हूं ,बताने को ,

ये बेवफ़ा"ए"वतन है,इसे किसी से भी मोहब्बत नहीं,
बिहार में कुछ होने वाला है,
               देखो आया है ,लिट्टी चोखा खाने को ,

"जोगा " जो जाता है ,देश, का ही जाता है,
बस इक झोला ही है,पास इसके कुछ गंवाने को ।।

"जोगा भागसरिया "
ZOGA BHAGSARIYA RAJASTHANI
KAFIR ZOGA GULAM

#trumpcomingindia ,#deewar_wall ,#poority किसी ने कहा ,गरीबी हटाओ,
किसी ने किया इरादा छिपाने को,

कोई गोरा आने वाला है,
बनवाई है दीवार ,विकास दिखाने को ,

गर लगती ये ईंटें ,इस बस्ती

Kaustubh Vats

#proud #expectation #duty nojoto #Bricks #Stress #Motivation #moral बोझ से एक दिन थक कर पूरा ईंट भी एक दिन ईंट से बोली सारा दिन मैं भार उ

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बोझ से एक दिन थक कर पूरा
ईंट भी एक दिन ईंट से बोली
सारा दिन मैं भार उठाती 
इमारत मेरे बिन गिर जाती

फिर क्यों मुझे इनाम ना मिलता
दो वक्त आराम ना मिलता
मुझको कोई सम्मान ना मिलता
मेहनत का परिणाम ना मिलता

सुनकर उसके वचन अनोखे
नीचे वाली ईंट भी बोली
तुझ से ज्यादा मेहनत करती
तुझ से ज्यादा वजन को रखती

मुझको भी आराम न मिलता
मेहनत का इनाम ना मिलता
सारी ईंटें बोल पड़ी फिर
अपने हक़ को मांग रही फिर

सुनकर सबको एक ही सुर में
नीव कि निचली ईंट भी बोली
सबसे ज्यादा भार मुझ ही पर
सबसे भारी काम मुझ ही पर

इनाम कि अच्छी हकदार हूं मैं तो
फिर यू बेकार हूं मैं तो
सुनकर उनकी घमंड कि बातें
मिट्टी ने फिर शब्द निकले

बोली तुम क्या चीज़ ही यू तो
तुम जैसी हजार है मुझ पर
तुम काहे का इनाम हो चाहती
ये सब तो कर्तव्य है तुम पर

इंसान भी हर पल यही सोचता
ईंट कि भांति इनाम को खोजता
ज़िन्दगी में कही तुम्हरी कोई मोड़ ना आ जाए
चलो संभल कर कही ज़िन्दगी में कोई भूकंप ना आ जाए #proud #expectation #duty #nojoto #bricks #stress #motivation #moral 

बोझ से एक दिन थक कर पूरा
ईंट भी एक दिन ईंट से बोली
सारा दिन मैं भार उ

i am Voiceofdehati

★मकान★ यह मकान उस पिता को इंगित करता है जिसके जीते जी उसका परिवार बंट जाता हैं और पिता उन सबको समेटकर एक तो रखना चाहता है, लेकिन उनके बेटो #MyThoughts #yqdidi #दुःख #मेरीक़लमसे #voiceofdehati #बंटवाराहिस्सोंमें

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★मकान★

मकान ही था, अकेला ही था 
लेकिन एक था 
क्योंकि उसकी ईंटें उसके साथ थी
पर अचानक क्या हुआ न भूकंप आया
न‌ कोई तुफान‌ फिर भी मकान में दरारें पड़ गई
ऐसा क्या घटित हुआ जो मकान आज कंप उठा
उसका हर एक ज़र्रा आज बंट उठा
ईंटों में बिना दरारों के दूरियां आ गईं
आज आखिर कौन सी मजबूरियां आ गईं
लेकिन जल्द ही 
मकान सब समझ चुका था
उसे समझ में आ गया था
अब मैं बस दिखावटी रह गया हूं
अंदर से तो पूरा परिवार बंट गया
मैं बाहर से सजावटी रह गया हूं
अब दीवारें साथ होकर भी बात नहीं कर सकती
ईंटों की ये दूरियां किसी “सीमेंट” से नहीं भर सकती ★मकान★

यह मकान उस पिता को इंगित करता है  जिसके जीते जी उसका परिवार बंट जाता हैं और पिता उन सबको समेटकर एक तो रखना चाहता है, लेकिन उनके बेटो

शुभी

आसमाँ था, एक नदी थी और कुछ गज़ ज़मीं थी, नदी ने बाँटा ज़मीं को, आसमाँ बस देखता रहा। कुछ ऐसा हो भी सकता था, वो आसमाँ गिर भी सकता था, या बन क

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जानते हो?
(पूरी रचना अनुशीर्षक में) आसमाँ था, एक नदी थी और कुछ गज़ ज़मीं थी,
नदी ने बाँटा ज़मीं को, आसमाँ बस देखता रहा।
कुछ ऐसा हो भी सकता था,
वो आसमाँ गिर भी सकता था, 
या बन क
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