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Govind Singh rajput GSR

इश्क में गुमनाम भी होना नहीं है और फिर नाकाम भी होना नहीं है चाहते हैं सब यहां मशहूर होना हाँ मगर बदनाम भी होना नहीं है by govind singh #Trending #New #Like #Shayari

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faltu1211

ज्यादा अच्छा होना भी गुनाह है,,,, #Quotes

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malay_28

#किसी का भी नहीं होना #शायरी

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Himanshu Prajapati

#mango लोगों के बहकावे में बिल्कुल भी ना आए लोग तो कुछ भी कहते हैं जैसे कहते हैं कि जिंदगी में सब कुछ बनो लेकिन "आम" मत बनो, लेकिन जिंदग #विचार

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White लोगों के बहकावे में बिल्कुल भी ना आए
 लोग तो कुछ भी कहते हैं 
जैसे कहते हैं कि जिंदगी में 
सब कुछ बनो लेकिन "आम" मत बनो, 
लेकिन जिंदगी में "आम" का कितना महत्व होता है 
यह बात कोई नहीं समझता, 
जैसे "कच्चे आम" का अचार 
खाने का स्वाद बढ़ाता है 
वैसे ही "पके आम" का रस 
पीने का स्वाद बढ़ाता है,
इसलिए जिंदगी में थोड़ा "आम" भी होना चाहिए, 
तभी जिंदगी का स्वाद आता है..!

©Himanshu Prajapati #mango लोगों के बहकावे में बिल्कुल भी ना आए
 लोग तो कुछ भी कहते हैं 
जैसे कहते हैं कि जिंदगी में 
सब कुछ बनो लेकिन "आम" मत बनो, 
लेकिन जिंदग

Rameshkumar Mehra Mehra

# कमाल की मोहब्बत थी उसे मुझसे,उसे किसी और का भी होना था,और मेरा भी वने रहना था..... #Quotes

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Pradeep Phandan

#DailyMessage तुम्हारा ना होते हुए भी तुम्हारा ही होना

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Mukesh Poonia

#Night #हौसला होना चाहिए #जिंदगी तो कभी भी कहीं से भी फिर #शुरू हो सकती है #विचार

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Poet Kuldeep Singh Ruhela

#bachpan #इस भागदौड़ वाली जिंदगी में भी थोड़ा सकून होना चाहिए प्यार मोहब्बत में भी थोड़ा बातुन होना चाहिए मिलके जो खुशियों को बांटें स #शायरी

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Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग द #Bhakti

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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

यही जीवन चक्र सृजन हुआ
जिसका नष्ट भी होना तय उसका
सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी

त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से 
मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है 

कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का
हिसाब किताब जैसा वैसा तन

पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न
मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को

©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

यही जीवन चक्र सृजन हुआ
जिसका नष्ट भी होना तय उसका
सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी

त्याग द

Govind Singh rajput GSR

इश्क में गुमनाम भी होना नहीं है और फिर नाकाम भी होना नहीं है चाहते हैं सब यहां मशहूर होना हाँ मगर बदनाम भी होना नहीं है #Shayari

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