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Manmohan Dheer
बातें क्या होती है बस मीठी चुगलियां दुनिया भर की कभी वो हमको चौंकाता है कभी हम उनको मनाते हैं . चुगलियां
Manmohan Dheer
चुगलियां तो तेरी झुकी आंखें ही ख़ूब कर देंगी गेसूओं के ये चिलमन भरोसे के काबिल नहीं हैं चुगलियां
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} जिंदा लोगों की चुगलियां, और मर जाने पर तारीफ, क्या अजीबोगरीब फ़ित्ररत इस दुनिया की।। ©N S Yadav GoldMine #feelings {Bolo Ji Radhey Radhey} जिंदा लोगों की चुगलियां, और मर जाने पर तारीफ, क्या अजीबोगरीब फ़ित्ररत इस दुनिया की।।
सुसि ग़ाफ़िल
कभी-कभी प्रेम की गलियों में भी बैचेन हो जाता हूं, होता है सब कुछ पास फिर भी हैरान हो जाता हूं । असल में तो यह दुनिया बड़ी अजीब सी है , कई बार रिश्तों को भी देखकर उलझन सी हो जाती है। चुगलियां करते हैं आपस में सब लोग यहां , बहुत बार मुझे यह दुनिया ढोंग सी लगती है । मरने से पहले यहां देता नहीं कोई पानी का गिलास यहां मरने के बाद झूठे आंसुओं की फुहार सी लगती है। पता नहीं क्यों कब कैसे हो जाता है , इस दुनिया से उठकर मेरा मन फकीर सा हो जाता है। कभी-कभी प्रेम की गलियों में भी बैचेन हो जाता हूं, होता है सब कुछ पास फिर भी हैरान हो जाता हूं । असल में तो यह दुनिया बड़ी अजीब सी है , कई ब
Neha Dubey
रिंकी✍️
औरतों की गप्पे शाम से पहले दोपहर के बाद घर से बाहर मोहल्ले के अंदर बरगद के पेड़ के पास छांव में जमती है हर इसी वक़्त औरतों की बैठक छुटकी की भाभी पिंटू की मामी पड़ोस वाली आंटी दादी और नानी बैठती है औरतें नई और पुरानी दुख दर्द सुनाती है सुनाती है अपने ही घरों के किस्से पड़ोसियों की होती है चुगलियां बांटती है अपने जीवन के हिस्से दादी नानी सुनाती है अपनी ही कहनियां सास सुनाती है बहुओ की और बहुयें सुनाती है सासों की शैतानियां बीच मे जोर जोर से ठहाके लगाए जाते है भावुक हो अगर तो ,आँसुये बहाई जाती है हां में हां मिलाई जाती है बात बिगड़ी और बनाइ जाती है बड़ी गौर से सुनी जाती है सबकी बातें और इसी तरह चलती रहती है औरतों की गप्पें औरतों की गप्पे शाम से पहले दोपहर के बाद घर से बाहर मोहल्ले के अंदर बरगद के पेड़ के पास छांव में
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat जाने दो किस दौर में हम जीते है सोचते है हर बात पर जाने दो चुस्कियां ले कर सुनते भी है फिर कहते है जाने दो हमे क्या? चुगलियां भी करते है ठहाके भी लगाते है फिर अगले पल कहते है जाने दो हमे क्या? इस क़दर बे लिहाज़ शब्दों का उच्चारण करते है फिर अगले पल कहते है जाने दो हमे क्या? अगर हो सके तो उसकी जगह पर अक्सर आकर तो देख ,वहीं छेद हुआ जूता उसका अपने पैरों में डाल कर तो देख। उसी फटे जूते को कीचड़ भरी सड़क पर चल कर तो देख। उसके दर्द को एक बार मेहसूस करके तो देख। उस लड़की के उपर ताना कसने वालों एक बार उसकी ज़िन्दगी जी कर तो देख अगले ही पर यही कहोगे जी कैसे रहो हो ऐसी ज़िन्दगी? ख़ुद का दर्दं, दर्दं है औरों का दर्दं बेदर्द नहीं। सुप्रभात। जीवन पर हमारा सम्पूर्ण अधिकार नहीं हो सकता। #जानेदो #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshi
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की पानी द्वारा एक धरती में दबे हुए बीज को पौधा और फिर वृक्ष बनाया जाता है इसीलिए शायद पानी लकड़ी को डूबने नहीं देता ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आप भले ही बुरे वक़्त को भूला दें पर उस बुरे वक़्त -खाली जेब -खाली पेट -अपने और परायों की जिल्लत -और उस समय मिले सबक को हमेशा ध्यान रखें ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की सभी सलाह देने वाले साथ नहीं देते और अक्सर सामने अच्छा बोलने वाले पीछे से आपकी चुगलियां -निंदा करते हैं ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की हमारे दिल में कोई तभी तक रह सकता है जब तक उसका मन साफ़ है ,ये बिलकुल वैसा ही है जैसे गाँठ लगा धागा सुई में प्रवेश नहीं कर सकता ...! बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की पानी द्वारा एक धरती में दबे हुए बीज को पौधा और फिर वृक्ष बनाया जाता है इसीलिए शायद पानी ल
रिंकी✍️
मैं क्यो लिखता हूँ 👇 कविता अनुशीर्षक में पढ़े मैं क्यो लिखता हूं ये न पूछो बस यही समझ लो की जब अथाह दुखो से मिलकर पीड़ा में होता हूं और ह्रदय से रोता हूँ वेदना उमड़ जाती आँसू कागज़ से भर
Drg
चाँद की शिकायतें सुनो ना रात.. समझाओ तुम तारों को, तन्हाई पर मेरी हँसतें हैं, डर कर जो छुप जाऊं बादलों में, टिमटिमाकर बुज़दिल कहतें हैं (शेष अनुशीर्षक में पढ़ें) चाँद की शिकायतें सुनो ना रात.. समझाओ तुम तारों को, तन्हाई पर मेरी हँसतें हैं, डर कर जो छुप जाऊं बादलों में, टिमटिमाकर बुज़दिल कहतें हैं