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Ombir Phogat
मै बचपन को बुला रहा था, बोल उठी बिटिया मेरी, नंदन कानन सी फूल उठी ,वह छोटी सी कुटिया मेरी। ©O.Phogat नंदन कानन सी #gaon
अदनासा-
हे समस्त वृक्षों हे कानन हमें क्षमा कर दो, हम मानव तुम्हारे पतन का कारण बन चुके है, हम विकसित मानव चरम विकास में मग्न है अब हम सुंदर परिधान धारक है नग्न नही, अपितु चरम आधुनिक काल के अंतर्गत, हमें हमारे हर स्थान को सुविधा एवं सरलता में बदलना है, तुम्हारी दुविधा एवं पीड़ा से हमारा नाता नही है, हमारी चिंताएं अधिक है हमें स्वयं का अधिकार चाहिए, तुम्हें अधिकार नही है क्योंकि तुम बोल नही पाते, वैसे हमारी स्वयं की सुनवाई ही कम हो रही है, तो तुम्हारी सुनवाई भला कौन कैसे करे ? हमारा स्वयं से नाता न्युन एवं यंत्र से अधिक है, भला जीव जंतुओं की चिंता एवं चिंतन संभव कैसे हो ? हम विकसित विकासशील मानव पुनः क्षमा प्रार्थी है, माना की हम एकदा विद्यालय में पर्यावरण के विद्यार्थी भी थे, हम सुशिक्षित सुसभ्य केवल हृदय से सॉरी ही कह सकते है, हमें केवल और केवल सुविधाजनक विकास चाहिए, स्वयं के ह्रास हेतु अत: असुविधा हेतु खेद प्रकट करते है, हमने तुम्हारे पतन में स्वयं का उत्थान खोज लिया है। ©अदनासा- #हिंदी #कानन #वृक्षों #आधुनिक #विकास #उत्थान #पतन #Instagram #Facebook #अदनासा
अनिता कुमावत
ले चलें कान्हा गौएँ अपनी वन में गौएँ भई अति प्रसन्न मन ही मन में पूजन कर गौओं का , दिया मान बढ़ाय गौ चारण की लीला , कान्हा के मन भाय ...!!! गोपाल माई कानन चले सवारे छीके कांध बाँध दधि ओदन गोदध के रखवारे...!!! #गोपाष्टमी #yqdidi #yqhindi #yqspiritual
Krish Vj
मुखमंडल प्रसन्नता से भरा हुआ, 'औज' से जीवन बना हुआ प्रेम,करुणा, झलकती साक्षात जैसे 'माँ' अम्बा का रूप हुआ उर बस्ती है, उत्कृष्टत "प्रतिभा" कर कमलों से सू कर्म हुआ प्रथम दृष्टया ही प्रतिबिंब 'अग्रजा' सा एहसास मन को हुआ उमर भर खुशियों के सुमन खिलते रहे यूँ 'जीवन' आँगन में लेखन संग प्रेम,करुणा,वात्सल्य की धारा अविरल बहती रहें माँ शारदे विराजे लेखन में, भरती रहें कविता का सागर यूँही माँगते रब से खुशी कामयाबी, जीवन सदा महकता रहें यूँही Dedicating a #testimonial to Pratibha Pathak कुछ लिखने में गलती हुई हो तो यह अनुज अपनी अग्रजा से क्षमा प्रार्थी है... "बहन बिना सुना यह जी
AB
.... भाल चंन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के, ,💚, ॐ नमः शिवाय,💚, _____________________________________
Ratan Singh Champawat
आशाओं का अवश अहेरी कानन कानन डोल रहा है तुम आओ तो सपने सींचूं, प्रेम पंछी यह बोल रहा है शेष अनुलेख में .... #dilkideharise M.... 21/2/16 ❤ दिल की देहरी से ❤ 🙏🏼🙏🏼आज कुछ स्पंदन.. 🙏🙏🏼
Rimpi chaube
बेख़ौफ़ फिरूं मैं, बेखौफ़ फिरूँ मैं आंगन में, इस धरती के आंचल में! ये मन विचरण कर कहता है,सब धरा है घर ये कानन में! फिर बंदिश कैसी रोक कहाँ,क्यूँ जंजीरे फिर पाँवन में! मन मस्त गगन सब अपना है,सबको सम समझो अंतर्मन में!! ©Rimpi chaube #बेखौफ़_फिरूँ_मैं ❤ बेखौफ़ फिरूँ मैं आंगन में, इस धरती के आंचल में ये मन विचरण कर कहता है,सब धरा है घर ये कानन में फिर बंदिश कैसी रोक कहाँ,क
Shaarang Deepak
सोमेश त्रिवेदी
Bharat Bhushan pathak
चित्रपदा छंद विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण चार चरण, दो-दो समतुकांत भगण भगण गुरु गुरु २११ २११ २ २ नीरद जो घिर आए। तृप्त धरा कर जाए।। कानन में हरियाली। हर्षित है हर डाली।। कोयल गीत सुनाती। मंगल आज प्रभाती। गूँजित हैं अब भौंरे। दादुर ताल किनारे।। मेघ खड़े सम सीढ़ी। झूम युवागण पीढ़ी।। खेल रहे जब होली। भींग गये जन टोली।। दृश्य मनोहर भाते। पुष्प सभी खिल जाते।। पूरित ताल तलैया। वायु बहे पुरवैया।। भारत भूषण पाठक'देवांश' ©Bharat Bhushan pathak #holikadahan #होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद विध