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Kiran Mishra
White फरवरी महीना- फरवरी का महीना केवल अंग्रेजी कैलेंडरों की वजह से ही चर्चा में नहीं रहता की सात फरवरी से चौदह फरवरी तक प्रेमी-प्रेमिका फूल गिफ्ट और चाकलेट वगैरह देकर एक दूसरे को प्रपोज करते हैं बल्कि फरवरी का महीना आध्यात्म, सात्विकता, मांगलिक कार्यक्रमों एवं पर्वों के कारण भी अपनी विशेषता प्रदर्शित करता है साथ ही प्रकृति का लावण्य उसकी खूबसूरती के कारण भी यह महीना बेहद खास हैं जिसे हम एहसास करते हैं अपने सांसों अपनी आँखों में अपने बदन में और पल पल गुजरते सुबह से शाम और रात तक में खेत बगीचे फुलवारियां सब पर गजब की मनोहरता बिखरी रहती है आप अपने घर की छत या बालकनी से नजर घुमाकर तो देखिए मन मोह लेगा छोटे-छोटे गमलों में सुन्दर- सुन्दर फूलों के गुच्छेदार पौधे आम अमरूद अनार तुलसी में नये-नये पत्तों की कोपलें कोमलता से झूमती पेड़ों की दरख्तों पर कोयलों मनमोहक सुर संगीत कभी पार्कों या बगीचों में जाकर देखिए मन ही नहीं करेंगा वहाँ से वापस आने का गुलाबी सुबह शाम की ठंडक मन हो तो स्वेटर पहनिए या ना मन हो तो नहीं पहनिए फैशन का भरपूर आनन्द उठाइए आपकी मर्जी ये फरवरी सबके दिलों पर राज करती है चाहे शादी व्याह मुंडन कनछेदन या गृहप्रवेश हो दिल खोलकर नाचो गाओ भोजन पानी का भरपूर आनन्द लीजिए बिंदास साज श्रृंगार करें मजाल है जो घबराहट या उल्झन हो फरवरी का ऐसा सुरूर है कि पूरे साल भर तक तरोताजगी बरकरार रहेगी मन-मष्तिस्क में, प्रकृति उड़ेल- उड़ेल कर सब्जियां परोसती है रंग-बिरंगी सब्जियों से सजकर थालियां भी तो इस फरवरी में ही इठलाती हैं। किरण मिश्रा #निधि# ©Kiran Mishra फरवरी का महीना
फरवरी का महीना
read moreRavidash nayak
White पयार करना तो मा सेकरना यारो कयुँ की लडकी दिल तोडकर चलीजाति है मा कबिबि अपने बंचेको सोडकर नहि जाती है ©Ravidash #Sad_Status मा❤ अनमोल विचार
#Sad_Status मा❤ अनमोल विचार
read moreParasram Arora
White जिस मा ने बच्चो को अपनी ममत्व क़ी छाँव मे परवरीश देकर बड़ा किया था आज वो मा उपेक्षित सी अपना जीवन किसी तरह गुजार रहीं है लगता हैँ वे निर्मम औलादे मा के ममत्व का क़र्ज़ उतराना भूल गई है ©Parasram Arora उपेक्षित मा
उपेक्षित मा
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
प्रेम की वेदी तुम आते हो एक आस लेकर, तुम जाते हो एक आस देकर। ना जाने कौन हो तुम मेरे, तुम जाते हो एक ख़ुशी देकर। तुम आते हो एक उम्मीद लेकर, तुम जाते हो एक ख़्वाब देकर। ना जाने कब तक साथ दोगे, तुम जाते हो एक एहसास देकर। कुछ ख़्वाबों को सजा रही हूँ, बिन कहे कहानी गुनगुना रही हूँ। जब आओगे, तुमसे कुछ लेना, पूर्ण कर दो मुझे कसम देकर। भरी सावन में छेड़ती सखियाँ, ले चलो अब गवाँना कराकर। अब बाबुल का घर न भाए, ले आओ डोली सुंदर सजाकर। मेहंदी में मैं नाम छुपाऊँ, ढूँढ़ना तुम मेरे हाथों को जोड़कर। मैं तो तेरा रस्ता देखूँगी, तेरे प्रेम का गहरा रंग चढ़ाकर। अधूरे ख़्वाबों को सजा दो, आ जाओ अब सेहरा बांधकर। ले चलो मुझे अपने आंगन, प्रेम की अंतिम वेदी पर बैठकर। भरे रहें एहसासों से आंगन, बस छू लो मुझे हाथों में लेकर। बिरहन जीवन से कर दो रिहा, सूनी मांग में सिंदूर भरकर। ©theABHAYSINGH_BIPIN #togetherforever Anupriya Rakhie.. "दिल की आवाज़" writer Sunita singh Arab ab tu SAB par najar Rakha kar Jodi jiski Amar banaa de usi ka D
#togetherforever Anupriya Rakhie.. "दिल की आवाज़" writer Sunita singh Arab ab tu SAB par najar Rakha kar Jodi jiski Amar banaa de usi ka D
read moreJAGAT HITKARNI 274
White जय परमेश्वर यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा-जीयादा चलतीहें यह जमीनको गरम-ताओका-रोगहै?जब?आदमीयोंको और चोपायांन,पंखेरुओंको,गरम,ताओकी वजहसे बीमारीयांहोतीहें;और,सरदीके,महीनोंमें चार महीना सरदीका रोगरखतेहें,किजो,सरदीकीवजहसे जांनवरों वगैराको और;आदमीयों,वगेराको,ठंडा;ताओवगैरा चढताहे सोजबकि जमीनमाताको.ठंडा.ताओ चढताहे और जादुसे ठंडे ताओका.रोगकरतेहें.जब,अनाज,और बनासपतीवगेरा सरदीके,रोगकीवजहसे,जलजातीहे जेसाकि आदमीयोंको.ठंडा.ताओचढताहे और कलेजेमेंसेभी और पेटमेंसेभी.ठंडउठतीहे.उसीतरहसे जमीनकोभी सरदीकी-मोसममें;ठंडे;ताओका-रोग जादुसेकीयाहे और!जोगरमीके-दीनआतेहें-और लुऐंवगैरा जीयादा चलतीहें तोजादुसे-जमीनमाताको?गरम ताओका रोगकीयाहे और,जोआदमीको,यह,सरदी,और गरमीके रोगनहीहूं,तो हमेशां.तंन्दुरस्तीसे.सरीररहताहे और तबीयत खुशरहतीहे..... ( २४७ ) अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५ M. No. :- 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274 जय परमेश्वर यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा
जय परमेश्वर यह बनीये बेइमांन जादुके जुल्मसे-जमीनमाताको-आठ महीना रोगरखतेहें सो,गरमीके-महीनोंमें-तो,चारमहीना गरमीका रोगरखतेहें किजो-लुऐंवगैरा
read morekavi Ravi Srivastava
Unsplash कभी पूस की ठिठुरन बनकर अंग अंग टीस रहा हूँ ! कभी शब्द का सावन बनकर, अंतर सींच रहा हूँ !! कभी समय के गलियारे में,मुट्ठी भींच रहा हूँ ! जिनसे बिछड़ा उनकी यादें,पल पल खींच रहा हूँ !! ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव ©Ravi Srivastava कभी पूस की ठिठुरन बनकर अंग अंग टीस रहा हूँ ! कभी शब्द का सावन बनकर, अंतर सींच रहा हूँ !! कभी समय के गलियारे में,मुट्ठी भींच रहा हूँ ! जिनसे
कभी पूस की ठिठुरन बनकर अंग अंग टीस रहा हूँ ! कभी शब्द का सावन बनकर, अंतर सींच रहा हूँ !! कभी समय के गलियारे में,मुट्ठी भींच रहा हूँ ! जिनसे
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White इश्क़ ए ज़ज़्बात इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं, हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं। कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी, ए इश्क़ के गलियारें कभी भाया नहीं। मैंने याद बहुत किया उन हसीं लम्हों को, बीत गया सावन वो वापस आया नहीं। सुख गईं आँखें मेरी अच्छे की आस में, पर ख़्वाब हक़ीकत में कभी आया नहीं। कितना अजीज़ शख़्स था मेरे दिल को, जो इश्क़ ए ज़मीं पर कभी आया नहीं। अभय, इंतेज़ार की ये घड़ियाँ गवाह हैं, ना आने का कारण कभी बताया नहीं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #GoodNight इश्क़ ए ज़ज़्बात इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं, हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं। कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी, ए इश्
#GoodNight इश्क़ ए ज़ज़्बात इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं, हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं। कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी, ए इश्
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वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ, वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं। क्यों पकड़े हो कसकर पतंग की डोर, इशारे में थामो, उड़ान बदलती है। क्यों बढ़ने हैं तुम्हें सब एक दिशा से, वक्त के साथ रिश्ते भी बिखरते हैं। क्यों आवेश में पड़े चिंतित हो, वक्त पर ही सारी पहेलियाँ सुलझती हैं। हर रिश्ते में वो जज़्बात रहते हैं, हर रिश्ते में वो तड़प रहती है। क्यों हो इतना भी बेकरार तुम, वक्त पर ही नींद सुकून की आती है। जिंदगी का फ़लसफ़ा किसे पता, वक्त पर ही जिंदगी सब सिखाती है। क्यों कार्यों के बोझ तले डूबे हो, वक्त ही वक्त ख्वाहिशें जगाता है। नासूर ज़ख्मों की परवाह क्यों, वक्त पर ही दवा मिलती है। दिल अगर टूटा है तो क्या हुआ, वक्त पर ही अपने मिलते हैं। क्या हुआ जो मौसम सावन चला गया, वक्त पर ही तो सारे मौसम बदलते हैं। क्या हुआ जो रिश्ते पतझड़ बन गए, वक्त पर ही बसंत की बहार खिलती है। छोड़ दो बेफिक्री में बेफिकर उसे, वक्त पर ही दबे राज भी खुलते हैं। वक्त पर सब कुछ अच्छा मिलता है, वक्त पर ही सही, नक्षत्र मिलते हैं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के
#Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के
read moreSanjeev0834
धीरे धीरे सब छोड़ जाते हैं December तो एक महीना है दोस्त ©Sanjeev0834 #December #महीना #दोस्त #beingsanjeev0834🦅 #nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari #reality motivational thoughts images struggle motivat
#december #महीना #दोस्त beingsanjeev0834🦅 nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari #Reality motivational thoughts images struggle motivat
read moreSanatan_Sanskriti_Shubhash
सावन और हरिद्वार -- एक उत्कृष्ट संयोग Sawan and Haridwar - a wonderful combination Follow for more.... #mahadev #harharmahadev #lordshiva
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